रेलवे के भी खेवनहार बनेंगे पीएम मोदी का सलाम पाए महराजगंज के रामगुलाब
रेलवे ने प्रधानमंत्री से प्रशंसा पा चुके रामगुलाब की शकरकंद को गुजरात की मंडी तक सुरक्षित पहुंचाने का भरोसा दिया है। रेलवे की इस पहल से किसानों को फायदा होगा ही इसके साथ ही रेलवे को अपनी आय बढ़ाने का जरिया भी बनेगा।
गोरखपुर, प्रेम नारायण द्विवेदी। किसानों को तरक्की की राह दिखाने वाले महराजगंज के रामगुलाब अब रेलवे के भी खेवनहार बनेंगे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रशंसा पा चुके रामगुलाब से रेलवे ने संपर्क साधा है। रेलवे ने उनकी सुनहरी शकरकंद को गुजरात की मंडी तक सड़क मार्ग से कम समय में सुरक्षित पहुंचाने का भरोसा दिया है। रेलवे प्रशासन की इस पहल से न सिर्फ रामगुलाब व उनके साथ जुड़े सैकड़ों किसानों की पहुंच देश के बड़े बाजारों तक होगी, बल्कि रेलवे को अपनी आय बढ़ाने का एक जरिया भी बनेगा।
महराजगंज के वनग्राम बीट नर्सरी गांव स्थित शकरकंद के खेत में पहुंची रेलवे की टीम
लखनऊ मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अंबर प्रताप सिंह के मार्गदर्शन में मुख्य वाणिज्य निरीक्षक विशाल श्रीवास्तव, वाणिज्य निरीक्षक जितेंद्र कुमार और पार्सल इंचार्ज अजीत कुमार की टीम गोरखपुर से करीब 90 किमी दूर वनग्राम स्थित बीट नर्सरी गांव के शकरकंद के खेत में पहुंची जो रामगुलाब व अन्य किसानों को सहसा विश्वास नहीं हुआ। रामगुलाब ने बताया कि उन्होंने कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) में 300 से अधिक किसानों को जोड़ा है। सब मिलकर सुनहरी शकरकंद की खेती कर रहे हैं।
गुजरात जाएगा महराजगंज का शकरकंद
फरवरी में उनकी फसल तैयार हो जाएगी। एक स्वयंसेवी संस्था के सहयोग से गुजरात के अहमदाबाद स्थित एक निजी फर्म से इस वर्ष 400 क्विंटल शकरकंद देने की वार्ता हुई है। फर्म ने उन्हें 25 रुपये प्रति किलो का मूल्य निर्धारित किया है। यहां फुटकर में भी 15 रुपये से अधिक कीमत नहीं मिल पा रही थी। एक तो उनका उत्पाद एक बार में ही बिक जाएगा, ऊपर से ऊंची कीमत भी मिल जाएगी। माल ढुलाई की बात आई तो किसान शांत हो गए। ऐसे में रेलकर्मियों ने किसानों के समक्ष ट्रेन से उनके उत्पाद को
किसानाें को दिया उत्पाद को समय से सुरक्षित गुजरात की मंडी तक पहुंचाने का भरोसा
अहमदाबाद तक भेजने का प्रस्ताव रखा। साथ ही नफा-नुकसान पर भी विस्तार से चर्चा की। दरअसल, पूर्वांचल के किसानों को सहूलियत प्रदान करने के लिए रेलवे बोर्ड ने सितंबर में गोरखपुर से पुणे के बीच किसान एक्सप्रेस चलाने की घोषणा की थी। लेकिन किसानों की उदासीनता और अविश्वास के चलते यह महत्वाकांक्षी ट्रेन एक माह में एक दिन भी नहीं चली। ऐसे में अब रेलवे प्रशासन ने किसान एक्सप्रेस चलाने से पहले किसानों को जागरूक करने की कवायद शुरू कर दी है।
कम खर्चे में 24 से 35 घंटे में रेलवे पहुंचाएगा किसानों का उत्पाद
जानकारों का कहना सड़क मार्ग से गुजरात तक उत्पाद पहुंचाने में पांच से सात दिन लग जाते हैं। जबकि रेलवे किसानों के उत्पादों को कम खर्चे में 24 से 35 घंटे में गुजरात की मंडियों में पहुंचा देगा। किराया भी 482 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित है। वहीं सड़क मार्ग से भेजने में करीब 800 रुपये प्रति क्विंटल पड़ जाएगा। हालांकि, ट्रेन से माल का लदान गोरखपुर या नजदीक के स्टेशन से ही होगा। खेत से स्टेशन तक माल पहुंचाने व ले जाने की जिम्मेदारी फर्म की रहेगी।
बस्ती, सिद्धार्थनगर और महराजगंज के किसानों से संपर्क साध रहा रेलवे
पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन औद्योगिक घरानों और व्यापारियों के ही नहीं बल्कि किसानों के दरवाजे पर भी पहुंचकर उनसे संपर्क साध रहा रहा है। लखनऊ मंडल के वाणिज्य निरीक्षकों की टीम बस्ती, सिद्धार्थनगर और महराजगंज के किसानों से मिलकर रेलवे की सुविधाओं के बारे में जानकारी दे रही है। दरअसल, कच्चामाल और रेलवे के पेचीदा कायदे-कानून के चलते किसान रेलवे से अपना उत्पाद भेजने का रिस्क नहीं उठाना चाहते। उत्पाद बुक करने में ही कई दिन लग जाते हैं। सामान बुक हो भी गया तो समय से गंतव्य पर उतरेगा कि नहीं कोई नहीं जानता। ऐसे में रेलवे किसानों को अपनी तरफ आकर्षित करने और विश्वास बढ़ाने के लिए अपने सिस्टम में लगातार बदलाव कर रहा है। इसके लिए रेलवे ने बिजनेस समूह तैयार किया है। समूह में गोरखपुर, सीतापुर, लखीमपुर, लखनऊ, बाराबंकी, गोंडा, बलरामपुर, अयोध्या, बहराइच, श्रावस्ती, बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर और महराजगंज सहित 14 जिले शामिल हैं।
दस किलाे से लगायत बोगी और ट्रेन भी कर सकते हैं आनलाइन बुक
अब तो रेलवे के हेल्पलाइन नंबर 139 पर भी पार्सल बुकिंग से संबंधित सारी जानकारियां मिल जा रही हैं। यही नहीं घर बैठे आनलाइन बुकिंग भी जा रही। रेल उपभोक्ता 10 किलो से लगायत 4 टन तक पार्सल की बुकिंग कर सकते हैं। उससे अधिक 20 टन तक बोगी और उससे अधिक पूरी पार्सल ट्रेन या मालगाड़ी भी बुक कर सकते हैं। फिलहाल, पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के माध्यम से नौ पार्सल घर और नौ माल गोदाम को विकसित करने की योजना तैयार की है। फिलहाल, आनंदनगर में भी पार्सल घर खोल दिया गया है।