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नम आंखों से रमजान को कहा अलविदा

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : शहर की अधिकांश मस्जिदों में शुक्रवार को जमीयत-उल-विदा (रमजान

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Jun 2018 12:43 AM (IST)Updated: Sat, 09 Jun 2018 12:43 AM (IST)
नम आंखों से रमजान को कहा अलविदा
नम आंखों से रमजान को कहा अलविदा

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : शहर की अधिकांश मस्जिदों में शुक्रवार को जमीयत-उल-विदा (रमजान का आखिरी जुमा) की नमाज अदा की गई। नमाजियों ने नम आंखों से उस माह को अलविदा कहा, जिसमें उन्हें कुरान शरीफ जैसी किताब मिली थी। रमजान का आखिरी जुमा होने से मस्जिदों में खूब भीड़ उमड़ी। नमाज के बाद सभी ने अल्लाह से दुआ मांगी की उन्हें अगले साल तक जिदंगी दे, ताकि उन्हें रहमतों एवं बरकतों का एक माह और इबादत के लिए मिल जाए। साथ ही मुल्क में अमन, तरक्की एवं बारिश की दुआएं मांगी।

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सुबह से ही नमाजियों की भीड़ मस्जिदों में जुटने लगी थी। नमाज के तय समय से काफी पहले जामा मस्जिद उर्दू बाजार, जामा मस्जिद गोरखनाथ, मस्जिद अस्करगंज, शिया जामा मस्जिद, संगी मस्जिद, मस्जिद बाबर अली शाह, दरोगा साहब की मस्जिद, मस्जिद छोटे काजीपुर, गौसिया मस्जिद, हकीम साहब की मस्जिद, काजी जी की मस्जिद, मुस्लिम मुसाफिरखाना, मस्जिद कंकड़ शाह समेत सभी मस्जिदें नमाजियों से भर चुकी थीं।

भीड़ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जामा मस्जिद, उर्दू बाजार पर सड़क के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक सिर्फ नमाजी नजर आ रहे थे। नमाज के बाद खुसूसी (खास) दुआ में आपस में मेल-मिलाप बढ़ाने, पूरे साल नेक और अच्छे काम करने की तौफीक अदा करने, मुसलमानों की बेहतरी, उनकी हिफाजत, मुल्क की तरक्की एवं बारिश के लिए दुआएं की गई।

अलविदा को लोग छोटी ईद भी कहते हैं, इसलिए आसपास के कस्बों से बड़ी संख्या में लोग अलविदा की नमाज पढ़ने आए और उसके बाद ईद की तैयारियों को लेकर खरीदारी की। कुर्ता-पाजामा, टोपी, इत्र, पैंट-शर्ट, जूते-चप्पल, सेवई और खजूर की खूब बिक्री हुई।

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किसने क्या कहा

ज्यादातर मस्जिदों में पेशइमामों ने नमाज से पहले अपनी खास तकरीर में रोजेदारों से अल्लाह का दामन थामे रहने और ताजिदंगी नेक इंसान बनकर रहने की नसीहत की।

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गुनाहों से करें तौबा

जामा मस्जिद, उर्दू बाजार के पेशइमाम मौलाना अब्दुल जलील मजाहिरी ने कहा कि हमें अफसोस होना चाहिए कि रमजान जैसा नेकियों का महीना खत्म हो रहा है। अभी भी मौका है अपने गुनाहों से तौबा कर लें और आज खुद से यह वादा करें कि अपनी पूरी जिदंगी अल्लाह के बताए हुए रास्तों पर चलेंगे। किसी का दिल नहीं दुखाएंगे, किसी का हक नहीं मारेंगे, किसी को बेवजह नहीं सताएंगे, गरीबों, यतीमों और परेशाहाल लोगों की मदद करेंगे। जिस दिन सारे मुसलमानों में दीनदारी आ गई उस दिन से मुसलमानों में फैली सारी बुराइयां अपने आप खत्म हो जाएगी।

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ईमानदारी से निकाले जकात व फित्रा

हकीम साहब की मस्जिद के इमाम मौलाना हकीम मोहम्मद अहमद ने कहा कि अल्लाह ने ऐसा निजाम बनाया है कि ईद के मौके पर कोई गरीब, जरूरतमंद, यतीम भूखा-नंगा न रहे। मुसलमान अगर ईमानदारी से जकात निकालता है तो मुसलमानों की सारी आर्थिक समस्या दूर हो जाएगी। ऐसे लोगो को पैसे देने से बचना चाहिए जो सेहतमंद होते हुए भी भीख मागने का काम करते हैं। सबसे अच्छा तो यह है कि मदरसों को जकात के पैसे दिए जाएं, ताकि वहा पढ़ने वाले गरीब बच्चों को अच्छी तालीम के साथ उनके खाने-पीने का भी इंतजाम हो सके।

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अच्छा व नेक बनने की सीख देता है रमजान

अस्करगंज मस्जिद के इमाम मुफ्ती वलीउल्लाह ने कहा रमजान हमें अच्छा और नेक बनने की सीख देता है। सच्चे मोमिन (मुसलमान) के लिए यह जरूरी है कि अल्लाह और उनके रसूल के बताए रास्तों पर चलें। यही मौका है अल्लाह से अपने गुनाहों से माफी मागने का। अल्लाह बहुत बड़ा और रहम करने वाला है, वह अपने बंदों को जरूर माफ कर देगा।

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चप्पे-चप्पे पर था पहरा

अलविदा की नमाज को लेकर प्रशासन और पुलिस महकमा पूरी तरह मुस्तैद दिखा। नमाज शुरू होने के आधा घटे पहले मियां बाजार जाने वाली सड़क पर बड़ी गाड़ियों की आवाजाही रोक दी गई थी। सभी मस्जिदों के बाहर पुलिस तैनात थी। पुलिस के कई अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेते रहे।


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