जनता सब जानती है-बिन बाल वाले साहब की केस सज्जा Gorakhpur News
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गोरखपुर, जेएनएन। खेतों तक पानी पहुंचाने की गारंटी लेने वाले विभाग के बिन बाल वाले साहब इन दिनों अपनी केस सज्जा को लेकर काफी चर्चा में हैं। विभाग में उनकी पहचान विग वाले साहब के रूप में भी है। साहब को जब भी किसी मीटिंग या पार्टी में जाना होता है तो वह विग लगा ही लेते हैं लेकिन पिछले दिनों हुए एक वाक्ये से वह सामूहिक रूप से हंसी के पात्र बन गए। हुआ यूं कि बीते सप्ताह साहब अपने कार्यालय में बैठे हुए थे, मौसम में थोड़ी गर्माहट थी तो साहब विग उतारकर अपना सर खुजला रहे थे। अचानक कुछ लोग कमरे में दाखिल हुए तो उन्हें देख साहब घबरा गए और विग से गंजे सर को ढकने का प्रयास करने लगे। यह देख आगंतुक पहले तो असहज हुए बाद में खुद को नियंत्रित कर बिन बाल वाले साहब की केस सज्जा देख मन ही मन मुस्कराते रहे।
इज्जत भी तो बचानी है...
राजधानी से आए बड़े साहब ने पिछले दिनों एक गांव में विकास कार्यों के निरीक्षण का फरमान सुनाया। बस क्या था, गांवों को चकाचक करने की तैयारी शुरू हो गई। आनन-फानन गड्ढे व जलजमाव वाली सड़कों को ठीक करा दिया गया। यह वही सड़क थी, जो वर्षों से उपेक्षित थी। गांव के ही एक बुजुर्ग ने सवाल किया कि अचानक सड़क क्यों बनाई जा रही है, इसपर एक कर्मचारी ने कहा कि इसका जवाब नहर की पटरियों को देखो तब मिलेगा। बुजुर्ग के मन में भी उत्सुकता जगी और निकल पड़े नहर की पटरियों का हाल जानने। पटरियों पर पहुंचे तो सारा माजरा समझ में आया। वहां पर बड़ी संख्या में सफाईकर्मी पटरियों पर किए शौच को मिट्टी से ढक रहे थे। बुजुर्ग ने पूछा कि ये क्या हो रहा है भाई? इस पर एक सफाई कर्मी ने कहा कि जो किए हो, उसी की इज्जत बचा रहे हैं।
निकल लेने में ही भलाई
गांवों में विकास की रूपरेखा तय करने वाले विभाग के एक अफसर खासा परेशान हो चले हैं। सदस्यों के विरोध के कारण उनकी पहले से ही किरकिरी हो चुकी है, ऐसे में वह हर कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। सदस्य भी आक्रामक मुद्रा में हैं, इसलिए वह डिफेंसिव स्ट्रोक खेल रहे हैं। हालांकि विभाग में एक पुराना मामला खुलने से इनकी परेशानियां फिर से बढ़ गई हैं। वैसे तो मामला इनसे सीधे तौर पर नहीं जुड़ा है, लेकिन मामले में पुलिस पूछताछ इन्हीं से कर रही है। पिछले कुछ दिनों से कार्यालय में काफी गहमागहमी है। कर्मचारियों में भी भय का माहौल है। लोग कुछ भी कहने से बच रहे हैं। अफसर की परेशानी देख एक कर्मचारी सांत्वना देता है कि आपने थोड़े ही कुछ किया है इसलिए परेशान मत होइए, तो उनके मुहं से निकल पड़ता है कि अब यहां से निकल लेने में ही भलाई है।
मुझसे तो ना हो पाएगा
अगस्त में शस्त्र लाइसेंस के फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ। इसमें बाबुओं की मिलीभगत की पुष्टि हुई तो उन्हें भी जेल की हवा खानी पड़ी। फर्जीवाड़े के पर्दाफाश से पहले असलहा बाबू का पद काफी रसूख वाला हुआ करता था, लेकिन पर्दाफाश के बाद इस पद पर जाने के लिए कोई बाबू तैयार नहीं था। काफी खोज के बाद जनपद के दक्षिणी हिस्से की एक तहसील के बाबू को तैनाती मिली लेकिन उनका मन यहां लगता ही नहीं था। जांच की आंच कहीं उन पर ना आ जाए, इसलिए वह कोई भी नया काम नहीं करना चाहते थे। इधर दफ्तर में काम का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा था ऐसे में बाबू पर काम का दबाव पड़ा तो बाबू ने काम करने से ही हाथ खड़ा कर दिए। विभाग में बाबू ने दो टूक कह दिया कि अब यह काम मुझसे तो ना हो पाएगा साहब, भले ही नौकरी चली जाए।