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रेलवे ने बचाया 490 करोड़ का डीजल, पर्यावरण भी हो रहा संरक्षित Gorakhpur News

रेल लाइनों पर इलेक्ट्रिक ट्रेनों की बढ़ती संख्या कहें या गाड़‍ियों का टोटा। मामला जो भी हो कोरोना काल में पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने वर्ष 2019 की तुलना में एक अप्रैल से 31 दिसंबर 2020 तक 490 करोड़ रुपये का डीजल बचा लिया है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 10:10 AM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 10:10 AM (IST)
रेलवे ने बचाया 490 करोड़ का डीजल, पर्यावरण भी हो रहा संरक्षित Gorakhpur News
रेलवे ने बचा लिया 490 करोड़ रुपये का डीजल। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, प्रेम द‍ि्वे्दी। रेल लाइनों पर इलेक्ट्रिक ट्रेनों की बढ़ती संख्या कहें या गाड़‍ियों का टोटा। मामला जो भी हो, कोरोना काल में पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने वर्ष 2019 की तुलना में एक अप्रैल से 31 दिसंबर, 2020 तक 490 करोड़ रुपये का डीजल बचा लिया है। रेलवे के खर्चों में कटौती तो हुई ही है, पर्यावरण भी संरक्षित हो रहा है। दरअसल, पूर्वोत्तर रेलवे में तेजी के साथ विद्युतीकरण हो रहा है। मुख्य रेलमार्ग ही नहीं अब तो लूप लाइनों (साइड लाइनों) पर भी इलेक्ट्रिक ट्रेनें चलने लगी हैं। गोरखपुर से बनकर चलने वाली 20 जोड़ी ट्रेनें इलेक्ट्रिक इंजनों से चलाई जा रही हैं। वहीं, डीजल इंजनों से चलने वाली ट्रेनों की संख्या महज पांच है। लिंक हाफमैन बुश (एलएचबी) कोचों वाली रेक से चलने वाली ट्रेनों के बल्ब, एसी और पंखे आदि भी इलेक्ट्रिक इंजनों से ही चल रहे हैं। इसके लिए इंजन और पावर कार में हेड आन जेनरेशन सिस्टम (एचओजी) लगाए जा रहे हैं। इस सिस्टम के इस्तेमाल से ट्रेन संचालन में डीजल की खपत समाप्त हो गई है।

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13 ट्रेनों में काम कर रहा हेड आन जेनरेशन सिस्टम 

गोरखपुर से बनकर चलने वाली गोरखधाम, हमसफर और इंटरसिटी सहित 13 ट्रेनों में यह सिस्टम काम कर रहा है। आने वाले दिनों में सभी इलेक्ट्रिक ट्रेनों में यह सिस्टम लगा दिया जाएगा। ट्रेनों की रेक में पावरकार विकल्प के रूप में होगी। एलएचबी कोच वाली रेक में बल्ब, एसी व पंखे आदि के लिए पावर कार लगाई जाती है। पूर्वोत्तर रेलवे, गोरखपुर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि पूर्वोत्तर रेलवे के विद्युतीकरण कार्य में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। कोरोना काल मे भी कई महत्वपूर्ण खंडों का कार्य पूर्ण किया गया है। सभी एलएचबी कोच वाली रेक में एचओजी सिस्टम लगाया जा रहा है। इससे डीजल की खपत में कमी आई है। कोविड-19 के कारण कम ट्रेनों के संचालन से भी डीजल की खपत कम हुई है। 

एक घंटे में बच जाता है 60 लीटर डीजल

ट्रेन को तेज गति से चलाने पर डीजल इंजन में एक घंटे में 460 से 480 लीटर डीजल जल जाता है। ट्रेन में सिर्फ पावरकार नहीं चलने से एक घंटे में लगभग 60 लीटर डीजल की बचत हो जाती है। 


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