विश्व के सबसे बड़े रेलवे प्लेटफार्म पर धब्बा लगा रहे रेलवे के इंजीनियर Gorakhpur News
गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर कार्यदायी संस्था और रेलवे के इंजीनियरों की गलती की सजा रेल यात्रियों को भुगतनी पड़ रही है।
गोरखपुर, जेएनएन। विश्व के सबसे बड़े प्लेटफार्म का तमगा हासिल करने वाले गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर कार्यदायी संस्था और रेलवे के इंजीनियरों की गलती की सजा रेल यात्रियों को भुगतनी पड़ रही है। पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय स्थित विश्वस्तरीय गोरखपुर जंक्शन पर लगने वाला महापंखा (बड़ा पंखा) हवा में ही रह गया। आज तक पंखा नहीं लग सका। जबकि, गर्मी के अंतिम चरण में उमस अपने चरम पर है। जनरल टिकट घर में यात्रियों का पसीना नहीं सूख पा रहा।
तैयारी पूरी होने के बाद पता चला नहीं लग सकता है यह महापंखा
गर्मी की दस्तक के साथ ही यात्रियों को अतिरिक्त सुविधा देने के उद्देश्य से मार्च में ही जनरल टिकट घर में महापंखा लगाने के लिए तैयारी पूरी कर ली गई। लेकिन जब इंजीनियर पंखा लगाकर उसका परीक्षण करने लगे तो अपनी गलती का अहसास हुआ।
छत को बहुत नीचे करके पंखा सेट कर दिया गया था। ऐसे में पंखा बहुत नीचे हो गया। जब इंजीनियरों को यह बात समझ में आई कि अधिक नीचे होने के चलते इस पंखे से तो यात्रियों को हवा ही नहीं मिलेगी। हर पल दुर्घटना की आशंका बनी रहेगी।
लगाने के बाद उतार लिया पंखा
इसके बाद उन्होंने पंखा को उतार लिया। छह माह बीत चुके हैं लेकिन अभी तक पंखा नहीं टंग पाया है। उसकी मशीन शो पीस बनी हुई है। गर्मी के मारे यात्री परेशान हैं। यहां जान लें कि रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देश पर भारतीय रेलवे के सभी बड़े प्रमुख स्टेशनों पर महापंखा लगाया जाना है। गोरखपुर में चार महापंखा लगाया जाना है। जिसमें जनरल टिकट घर में दो शो पीस बने हुए हैं। दो जनरल वेटिंग हाल में लगना है। लेकिन अभी वेटिंग हॉल का नवनिर्माण हो रहा है। वेटिंग हाल बन जाने के बाद उसे दो पंखे लगाए जाएंगे।
हिल रहे हैं छोटे पंखे भी
जनरल टिकट घर में लगे छोटे पंखे भी हिल रहे हैं। उनकी हवा यात्रियों तक नहीं पहुंच पा रही। कुछ पंखे बंद पड़े हैं। उनकी नोटिस लेने वाला कोई नहीं है।
यात्रियों के बीच घूम रहे छुट्टा जानवर
जनरल टिकट घर में यात्रियों के बीच छुट्टा जानवर घूम रहे हैं। मंगलवार को दोपहर एक बजे के आसपास जनरल काउंटरों पर लगी लंबी लाइन के बीच आधा दर्जन छुट्टे जानवर (कुत्ते) दौड़ लगा रहे थे। कुछ यात्रियों के पैरों के नीचे आराम फरमा रहे थे। यात्री भी डरे सहमे थे। कहीं कुत्ते उन्हें काट न लें।