आतिशबाजी से स्मॉग की चपेट में आया पूर्वी उत्तर प्रदेश, यह हो रही परेशानी Gerakhpur News
दिवाली के बाद से पूर्वी उत्तर प्रदेश में मौसम ने विचित्र रुख अख्तियार कर रखा है। धूप के साथ-साथ धुंध बनी हुई है।
गोरखपुर, जेएनएन। दिवाली के बाद से पूर्वी उत्तर प्रदेश में मौसम ने विचित्र रुख अख्तियार कर रखा है। धूप के साथ-साथ धुंध बनी हुई है। आसमान में छाए काले बादल इसे लेकर असमंजस पैदा कर रहे हैं कि वह बादल ही हैं या फिर कुछ और। धुंध से धूप कमजोर है तो गर्मी क्यों बढ़ रही? यह वह सवाल हैं, जिसे लेकर सभी परेशान हैं। जलवायु विशेषज्ञ और पर्यावरणविद से इसे लेकर चर्चा हुई तो उन्होंने साफ किया कि दिवाली की आतिशबाजी से हुए प्रदूषण की वजह से समूचा पूर्वांचल स्मॉग की चपेट में है।
बढ़ गया तापमान
जलवायु विशेषज्ञ कैलाश पांडेय मुताबिक आसमान में दिखने वाले बादल दरअसल स्मॉग हैं। स्मॉग की वजह से ही पूर्वांचल का तापमान एक बार फिर से चढ़ गया है। 25 डिग्री सेल्सियस तक नीचे आ चुका अधिकतम तापमान एक बार फिर 30 तक पास गया है। न्यूनतम तापमान भी 20 के पार है। विशेषज्ञ ने बताया कि औद्योगिक गतिविधियों और वाहनों की संख्या के बढऩे से पूर्वांचल का पर्यावरण संतुलन पहले से ही बिगड़ रहा है, दिवाली में हुई आतिशबाजी ने इसे और बिगाड़ दिया। बीते एक पखवारे से अनवरत चल रही पुरवा हवाओं के साथ आ रही नमी के बीच उलझकर धूल और कार्बन के कण वायुमंडल में स्थिर हो गए हैं। यही स्मॉग है, जो काले बादल की तरह दिख रहा है।
पशुआ हवाओं का इंतजार
धूप की किरणें स्मॉग को पार कर जमीन तक पहुंच तो जा रही हैं लेकिन उसके बाद कमजोर हो जाने के कारण वापस वायुमंडल में लौट नहीं पा रहीं। तापमान की बढ़ोत्तरी की वजह यही है। अब इंतजार है शुष्क पछुआ हवाओं का, जिसकी वजह से वातावरण की नमी कम होगी तो वायुमंडल में स्थिर हो चुके कार्बन व धूल के कण जमीन पर आ जाएंगे। ऐसा होने पर ही स्मॉग से निजात मिलेगी। मौसम विशेषज्ञ पांडेय के अनुसार इसके लिए अभी कम से कम तीन से चार दिन तक इंतजार करना होगा।
वातावरण में सल्फर डाई आक्साइड और नाइट्रोजन आक्साइड के साथ धूल के कणों की आवश्यकता से अधिक मौजूदगी स्मॉग की वजह बनती है। धुआं इसमें सर्वाधिक जिम्मेदार होता है। धुएं से सल्फर डाई आक्साइड और नाइट्रोजन आक्साइड तो निकलता ही है, धूल भी उड़ती है, नमी का साथ मिलकर वह वायुमंडल के निचले स्तर पर विलंबित हो जाती है। गोरखपुर इस समय इसी दौर से गुजर रहा है। - प्रो. गोविंद पांडेय, पर्यावरणविद
क्या है स्मॉग
स्मॉग वायु प्रदूषण की एक अवस्था है। स्मॉग शब्द का इस्तेमाल 20वीं सदी के शुरुआत से हो रहा है। यह शब्द अंग्रेजी के दो शब्दों स्मोक और फॉग से मिलकर बना है। गाडिय़ों और औद्योगिक कारखानों द्वारा उत्सर्जित धुएं में उपस्थित राख, गंधक व अन्य हानिकारक रसायन जब कोहरे के संपर्क में आते हैं तो स्मॉग का निर्माण होता है। यह स्मॉग इस रूप में वायु प्रदूषण जनित बीमारियों का कारण बन जाता है।
सांस के रोगियों और ब'चों के लिए घातक है स्मॉग
प्रदूषित माहौल ने अस्थमा रोगियों की दिक्कत को चार गुना बढ़ा दिया है। साथ ही अस्थमा की दिक्कत के नए मरीज सामने आ रहे हैं। दरअसल प्रदूषित हवाएं सांस की नली में प्रवेश कर उन्हें सिकोड़ दे रही हैं। इसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत हो रही है।
इससे बचने के लिए मास्क लगाकर चलें। स्मॉग का प्रभाव खत्म होने तक सुबह और शाम का टहलना बंद कर दें। बच्चों को भी मास्क लगाकर स्कूल भेजें। डॉ. रत्नेश तिवारी, चेस्ट रोग विशेषज्ञ
प्रदूषित वातावरण का सर्वाधिक खराब प्रभाव बच्चों पर ही पड़ता है। स्मॉग तो उनके लिए और भी घातक है। मौसम का बदलाव झेल रहे बच्चों पर स्मॉग अतिरिक्त मार के रूप में है। यही वजह है कि इस समय इलाज के लिए आ रहे 90 फीसद बच्चे सर्दी, जुकाम और सांस की बीमारी से पीडि़त हैं। इससे बचाव के लिए छोटे ब'चों को अनावश्यक घर से बाहर न निकलने दे। उन्हें गुनगुने पानी से ही नहलाएं। - डॉ. ओएन श्रीवास्तव, वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ