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हाथ जोड़ प्रार्थना में लीन हो गईं थाई राजकुमारी, भारत-थाईलैंड की उन्नति की कामना की Gorakhpur News

थाईलैंड की राजकुमारी चुलबोर्न शनिवार को दोनों हाथ जोड़ कर कुछ समय तक प्रतिमा के समक्ष खड़े होकर प्रार्थना करतीं रहीं। भारत व थाईलैंड की उन्नति शांति व खुशहाली की कामना की।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 08:00 PM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 05:08 PM (IST)
हाथ जोड़ प्रार्थना में लीन हो गईं थाई राजकुमारी, भारत-थाईलैंड की उन्नति की कामना की Gorakhpur News
हाथ जोड़ प्रार्थना में लीन हो गईं थाई राजकुमारी, भारत-थाईलैंड की उन्नति की कामना की Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। थाईलैंड की राजकुमारी चुलबोर्न ने शनिवार को कुशीनगर स्थित महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर में विशेष पूजा की। कुशीनगर स्थित पांचवीं सदी की बुद्ध की शयनमुद्रा वाली प्रतिमा के समक्ष पहुंचते ही राजकुमारी भावविभोर हो उठीं। दोनों हाथ जोड़ कर वह कुछ समय तक प्रतिमा के समक्ष खड़े होकर प्रार्थना करतीं रहीं। उन्होंने प्रतिमा पर थाई राजपरिवार की ओर से खास चीवर चढ़ाकर भारत व थाईलैंड की उन्नति, शांति व खुशहाली की कामना की।

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काफिले के साथ मंदिर पहुंची राजकुमारी

पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत सुबह लगभग 7.20 बजे राजकुमारी चुलबोर्न थाई मोनास्ट्री से अपने काफिले के साथ महापरिनिर्वाण मंदिर पहुंची। मंदिर के बाहर कतारबद्ध खड़े थाई राजनयिकों, थाई बौद्ध भिक्षुओं, राजपरिवार व थाई प्रशासन के अधिकारियों ने उनकी अगुवानी की। कुशीनगर भिक्षु संघ व उप्र पर्यटन विभाग की ओर से उनका स्वागत किया गया। इसके बाद उन्हें मंदिर में ले जाया गया। जहां थाई बौद्ध भिक्षुओं ने बुद्ध वंदना पश्चात चीवर चढ़ाया। बौद्ध भिक्षुओं ने राजकुमारी को बुद्ध प्रतिमा की खूबियां बताईं। तीन अलग-अलग कोणों से शयन, ङ्क्षचतन व मुस्कुराती मुद्रा में नजर आने वाली प्रतिमा की खूबियों को राजकुमारी ने शिद्दत से महसूस की। मंदिर से उनका काफिला थाई क्लीनिक पहुंचा, जहां औपचारिक स्वागत के बाद उन्हें क्लीनिक की गतिविधियों की जानकारी दी गई। उन्होंने उसका निरीक्षण भी किया। यहां से वह बुद्ध के अंतिम संस्कार स्थल मुकुटबंधन चैत्य (रामाभार स्तूप) पहुंची। वहां राज्य सरकार की तरफ से विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी, अधिशासी अधिकारी प्रेम शंकर गुप्त, डा. एके सिन्हा, सभासद रामअधार यादव, केशव सिंह आदि ने स्वागत किया। स्तूप पर विशेष पूजा के बाद राजकुमारी को पुन: थाई मोनास्ट्री ले जाया गया।

राजकुमारी ने कहा, बहुत सुंदर है कुशीनगर

विशेष पूजा के बाद राजकुमारी बोलीं कि वह यहां आकर बहुत प्रसन्नता महसूस कर रही हूं। कुशीनगर बहुत ही सुंदर जगह है। यह संपूर्ण विश्व के बौद्धों का महातीर्थ है। यहां की धरती में विशेष ऊर्जा है। यही कारण है कि बुद्ध ने 2500 वर्ष पूर्व अपने निर्वाण के लिए कुशीनगर का चयन किया था। राजकुमारी भारतीय थाई परंपरा से किए गए स्वागत से अभिभूत दिखीं। कुशीनगर भिक्षु संघ की ओर से अंतररष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के पूर्व अध्यक्ष भंते नंदरतन व भंते महेंद्र ने उन्हें बुद्ध प्रतिमा देकर स्वागत किया। उप्र पर्यटन के पर्यटक सूचना अधिकारी डॉ. प्राण रंजन ने राजकुमारी का स्वागत करने के बाद पर्यटन साहित्य उपलब्ध करवाया। यहां से आगे निकलने पर राजकुमारी ने शाल वृक्ष की ओर इशारा किया। थाई बुद्धिस्ट मोनास्ट्री के चीफ मांक व थाई सरकार से भारत-नेपाल के लिए नियुक्त धम्मदूत फ्रा डॉ. दमबोधिवोंग ने शाल वृक्ष की महत्ता के बारे में बताया।


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