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गोरखनाथ मंदिर में उत्साह, कौतूहल व अनुशासन का अनूठा समागम

गोरखपुर, जेएनएन। मंच से पुरस्कृत होने का उत्साह हो और राष्ट्रपति जैसी शख्सियत से रूबरू हो

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 04:45 PM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 04:45 PM (IST)
गोरखनाथ मंदिर में उत्साह, कौतूहल व अनुशासन का अनूठा समागम
गोरखनाथ मंदिर में उत्साह, कौतूहल व अनुशासन का अनूठा समागम

गोरखपुर, जेएनएन। मंच से पुरस्कृत होने का उत्साह हो और राष्ट्रपति जैसी शख्सियत से रूबरू होने का कौतूहल भी। बावजूद इसके अनुशासन बना रहे तो वह दृश्य निश्चित रूप से अद्भुत और अनुकरणीय होगा। ऐसे ही उत्साह, कौतूहल और अनुशासन का अनूठा समागम देखने को मिला महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह के मुख्य महोत्सव में, जो गोरखनाथ मंदिर के दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में आयोजित हुआ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मौजूदगी ने आयोजन को न केवल खास बनाया बल्कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद और गोरखनाथ मंदिर के इतिहास को समृद्ध भी कर दिया।

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तय कार्यक्रम के मुताबिक पुरस्कृत होने के लिए सबेरे से ही संस्थापक सप्ताह समारोह के दौरान आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेता आने लगे। बारी-बारी से आते गए और अपना स्थान लेते गए। परिषद से जुड़ी शिक्षण संस्थाओं के शिक्षकों, कर्मचारियों, जनप्रतिनिधियों और शहर के गणमान्य लोगों ने भी निर्धारित समय से पहले ही अपना स्थान ग्रहण कर लिया। कार्यक्रम साढ़े नौ बजे से आयोजित था, लेकिन सभागार साढ़े आठ बजते-बजते पूरी तरह भर गया। अब इंतजार था मुख्यमंत्री और राज्यपाल संग राष्ट्रपति के आगमन का।

हालांकि कार्यक्रम के संचालक डॉ. श्रीभगवान बच्चों की सांस्कृतिक और काव्यात्मक प्रस्तुतियों से लोगों का मनोरंजन करने की कोशिश करते रहे, लेकिन लोगों की निगाहें उस दरवाजे पर टिकी रहीं, जहां से राष्ट्रपति को प्रवेश करना था। राष्ट्रपति के पहुंचने से पहले जब राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंचासीन हुए तो लोगों को एक-एक पल का इंतजार भारी पड़ने लगा। थोड़ी देर में राष्ट्रपति का प्रवेश हुआ तो पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। राष्ट्रगान से कार्यक्रम की शुरुआत हुई तो सरस्वती वंदना और कुलगीत से आयोजन का सिलसिला आगे बढ़ा। मुख्यमंत्री द्वारा राष्ट्रपति और राज्यपाल को उत्तरीय एवं स्मृति चिह्न प्रदान करने के बाद शुरू हुआ पुरस्कार वितरण का क्रम। महाराणा प्रताप पीजी कॉलेज, जंगल धूसड़ के प्राचार्य डॉ. प्रदीप राव द्वारा सर्वश्रेष्ठ संस्था का पुरस्कार लेने के साथ जो सिलसिला शुरू हुआ वह 11 विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत करने के बाद ही संपन्न हुआ। अंत में आई अतिथियों के संबोधन की बारी। मुख्यमंत्री योगी ने स्वागत भाषण से इसकी शुरुआत की तो राज्यपाल राम नाईक ने राष्ट्रपति के अभिनंदन और विद्यार्थियों को सीख देकर उसे आगे बढ़ाया। अंत में राष्ट्रपति ने अपने 18 मिनट के सारगर्भित भाषण से सभी को अपना बना लिया। उन्होंने गोरखपुर के सांस्कृतिक, साहित्यिक और आध्यात्मिक विरासत की चर्चा कर लोगों को गौरवान्वित किया तो शैक्षिक विकास को पड़ाव तक पहुंचाने के लिए 2032 तक का टारगेट भी दिया। शहर में दिख रहे विकास के कार्य की चर्चा कर वे लोगों के दिल में उतर गए।

दिल को छू गया संस्कृत में ओजस्वी भाषण

कार्यक्रम की सूची में भाषण प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत करने का जिक्र था, लेकिन उन विजेताओं से भाषण सुनने का नहीं जबकि परिषद के मुख्य महोत्सव का यह पारंपरिक कार्यक्रम था। पुरस्कार वितरण होने के बाद जब मुख्यमंत्री ने इस परंपरा का पालन होता नहीं देखा तो उन्होंने राष्ट्रपति से पूछकर संचालक को परंपरा के पालन का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री से मिले निर्देश के बाद संचालक ने सबसे पहले संस्कृत भाषण प्रतियोगिता कनिष्ठ वर्ग के पुरस्कृत विजेता उदयांश पांडेय को भाषण के लिए आमंत्रित किया। उदयांश ने महज एक मिनट का ही भाषण दिया, लेकिन वह इतना ओजस्वी था कि राष्ट्रपति और राज्यपाल समेत सभागार में मौजूद सभी के दिल को छू गया। ¨हदी में मानस मिश्रा और अंग्रेजी में ऐशानी पांडेय ने अपने भाषण से सभी को प्रभावित किया।

बधाई देकर बढ़ाया विजेताओं का हौसला

विजेताओं को पुरस्कृत करने के दौरान राष्ट्रपति हर विजेता से व्यक्तिगत संवाद करते दिखे। उन्होंने सभी विजेताओं को बधाई तो दी ही। साथ ही आगे इस सफलता को जारी रखने के लिए हौसला भी बढ़ाया। ऐसा उन्होंने केवल विजेता बच्चों से ही नहीं किया बल्कि सर्वश्रेष्ठ संस्था के लिए पुरस्कृत हो रहे डॉ. प्रदीप राव और सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का पुरस्कार ले रहे डॉ. नीरज सिंह के साथ भी किया।

इन्हें मिला राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार

गुरु गोरक्षनाथ स्वर्ण पदक : डॉ. प्रदीप राव, प्राचार्य, महाराणा प्रताप पीजी कॉलेज, जंगल धूसड़ (सर्वश्रेष्ठ संस्था)

योगीराज गंभीरनाथ स्वर्ण पदक : डॉ. नीरज सिंह (सर्वश्रेष्ठ शिक्षक)

ब्रह्मालीन महंत दिग्विजयनाथ स्वर्ण पदक : करिश्मा वारसी (सर्वश्रेष्ठ स्नातकोत्तर विद्यार्थी)

ब्रह्मालीन महंत अवेद्यनाथ स्वर्ण पदक : श्रेया त्रिपाठी (सर्वश्रेष्ठ स्नातक विद्यार्थी)

महाराणा मेवाड़ स्वर्ण पदक : कृष्णा मणि त्रिपाठी (सर्वश्रेष्ठ माध्यमिक विद्यार्थी)

भाषण प्रतियोगिता विजेता (¨हदी) : मानस मिश्रा (कनिष्ठ वर्ग)

भाषण प्रतियोगिता विजेता (संस्कृत) : उदयाश पाडेय (कनिष्ठ वर्ग)

भाषण प्रतियोगिता विजेता (अंग्रेजी) : ऐशानी पाडेय (कनिष्ठ वर्ग)

रामचरित मानस प्रतियोगिता की विजेता : अंशिका श्रीवास्तव

श्रीमद् भगवद् गीता प्रतियोगिता की विजेता : पुनीष कुमार

पं. बब्बन मिश्र पुरस्कार : अंशिका श्रीवास्तव (सर्वश्रेष्ठ प्रतियोगिता प्रतिभागी)

दूसरे चरण में पुरस्कृत किए गए 719 विजेता

महोत्सव में पुरस्कार वितरण का कार्यक्रम दो चरणों में सम्पन्न हुआ। पहले चरण में 11 विजेताओं को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पुरस्कृत किया तो दूसरे चरण में 719 विद्यार्थी गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वीके सिंह, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल आरपी शाही और प्रो. यूपी ंिसह द्वारा पुरस्कृत हुए। समूचे कार्यक्रम में कुल 730 विजेता प्रतिभागियों को नकद पुरस्कार, प्रमाण पत्र और शील्ड देकर पुरस्कृत किया गया।

मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति को दिया नाथ साहित्य

गोरखनाथ मंदिर में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और राज्यपाल राम नाईक को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाथ पंथ की पुस्तकें भेंट कीं। उन्होंने दोनों अतिथियों को यह पुस्तकें गोरक्षपीठाधीश्वर के बैठक कक्ष में जलपान के दौरान दीं। इनमें महंत अवेद्यनाथ अभिनंदन ग्रंथ (तीन खंड), महंत अवेद्यनाथ स्मृति ग्रंथ, गोरखवाणी, गोरखपुर और गोरखनाथ मंदिर, महायोगी गोरखनाथ, योगीराज गंभीरनाथ, ब्रह्मालीन महंत दिग्विजयनाथ, ब्रह्मालीन महंत अवेद्यनाथ की पुस्तकें शामिल रहीं।


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