ट्रेनों में इसके इस्तेमाल पर लगेगी पाबंदी, धुआं उठेगा तो मचेगा शोर
ट्रेनों में अब बीड़ी या सिगरेट पीना खतरे से खाली नहीं होगा। यदि यात्रियों ने ऐसा किया तो इसकी सूचना रेलवे के सभी अधिकारियों को हो जाएगी।
By Edited By: Published: Sun, 09 Jun 2019 09:30 AM (IST)Updated: Mon, 10 Jun 2019 12:14 PM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। अब रेल यात्रा में कहीं भी बीड़ी सिगरेट, लाइटर या माचिस का प्रयोग किया तो शोर मच जाएगा। बोगियों में कहीं भी धुआं उठा, कोई चिंगारी उठी या तापमान बढ़ा तो तुरंत अलार्म बज जाएगा। जान-माल की पूरी सुरक्षा के लिए रेलवे बोर्ड ट्रेन की बोगियों में फायर एंड स्मोक डिटेक्शन सिस्टम और फायर डिटेक्शन एंड सप्रेशन सिस्टम लगाने जा रहा है। रेलवे बोर्ड की स्वीकृति के बाद पूर्वोत्तर रेलवे में तैयारी शुरू हो गई है। ऐसे काम करेगा सिस्टम फायर एंड स्मोक डिटेक्शन सिस्टम यात्री बोगियों में तथा फायर डिटेक्शन एंड सप्रेशन सिस्टम पावर कार और पैंट्रीकारों में लगाए जाएंगे।
बोगी में कार्बन की मात्रा सामान्य से अधिक होने या तापमान बढ़ने से सिस्टम का सेंसर कार्य करना शुरू कर देगा। पहले अलार्म बजेगा। फिर लोको पायलट, गार्ड और कोच कंडक्टर से लगायत सभी रेलकर्मियों तक मैसेज पहुंच जाएगा। रेलकर्मी इस सिस्टम से विषम परिस्थिति में भी आग पर काबू पा लेंगे। आग पर ऐसे पाएंगे काबू पेंट्रीकार और पावर कार में लगने वाले फायर डिटेक्शन एंड सप्रेशन सिस्टम में दो 80-80 लीटर क्षमता के वाटर टैंक लगे रहेंगे। इसके अलावा 200 लीटर क्षमता का नाइट्रोजन टैंक भी मौजूद रहेगा।
रेलकर्मी 200 बार के प्रेशर से आग पर पानी और नाइट्रोजन की बौछार कर आग पर काबू पा लेंगे। इस सिस्टम को सफलता पूर्वक प्रयोग में लाने के लिए रेलकर्मियों की कार्यशाला आयोजित की जाएगी। फिलहाल, प्रथम चरण में पूर्वोत्तर रेलवे के 297 यात्री बोगियों में फायर एंड स्मोक डिटेक्शन सिस्टम तथा 30 पेंट्रीकार और 53 पॉवर कार में फायर डिटेक्शन एंड सप्रेशन सिस्टम लगाया जाएगा। द्वितीय चरण के लिए रेलवे बोर्ड ने डिमांड की मांग की है। सप्रेशन सिस्टम लगाने में खर्च होगा प्रति कोच साढ़े छह लाख फायर डिटेक्शन एंड सप्रेशन सिस्टम लगाने में प्रति बोगी साढ़े छह लाख तथा फायर डिटेक्शन एंड स्मोक सिस्टम लगाने में प्रति कोच तीन लाख रुपये खर्च होंगे। रेलवे बोर्ड ने धन आवंटित कर दिया है। बोर्ड का कहना है कि 15 दिन के अंदर रिपोर्ट दें, अन्यथा वह अपने स्तर से सिस्टम लगाने की तैयारी शुरू कर देगा।
हालांकि, पूर्वोत्तर रेलवे में टेंडर आदि की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ट्रेन यात्रियों को सलाह पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ संजय यादव का कहना है कि इस सिस्टम से रेल यात्रा सुरक्षित होगी। आम यात्रियों से भी अपेक्षा है कि वे रेलवे का सहयोग करें। धूमपान न करें और ज्वलनशील पदार्थ लेकर यात्रा न करें।
बोगी में कार्बन की मात्रा सामान्य से अधिक होने या तापमान बढ़ने से सिस्टम का सेंसर कार्य करना शुरू कर देगा। पहले अलार्म बजेगा। फिर लोको पायलट, गार्ड और कोच कंडक्टर से लगायत सभी रेलकर्मियों तक मैसेज पहुंच जाएगा। रेलकर्मी इस सिस्टम से विषम परिस्थिति में भी आग पर काबू पा लेंगे। आग पर ऐसे पाएंगे काबू पेंट्रीकार और पावर कार में लगने वाले फायर डिटेक्शन एंड सप्रेशन सिस्टम में दो 80-80 लीटर क्षमता के वाटर टैंक लगे रहेंगे। इसके अलावा 200 लीटर क्षमता का नाइट्रोजन टैंक भी मौजूद रहेगा।
रेलकर्मी 200 बार के प्रेशर से आग पर पानी और नाइट्रोजन की बौछार कर आग पर काबू पा लेंगे। इस सिस्टम को सफलता पूर्वक प्रयोग में लाने के लिए रेलकर्मियों की कार्यशाला आयोजित की जाएगी। फिलहाल, प्रथम चरण में पूर्वोत्तर रेलवे के 297 यात्री बोगियों में फायर एंड स्मोक डिटेक्शन सिस्टम तथा 30 पेंट्रीकार और 53 पॉवर कार में फायर डिटेक्शन एंड सप्रेशन सिस्टम लगाया जाएगा। द्वितीय चरण के लिए रेलवे बोर्ड ने डिमांड की मांग की है। सप्रेशन सिस्टम लगाने में खर्च होगा प्रति कोच साढ़े छह लाख फायर डिटेक्शन एंड सप्रेशन सिस्टम लगाने में प्रति बोगी साढ़े छह लाख तथा फायर डिटेक्शन एंड स्मोक सिस्टम लगाने में प्रति कोच तीन लाख रुपये खर्च होंगे। रेलवे बोर्ड ने धन आवंटित कर दिया है। बोर्ड का कहना है कि 15 दिन के अंदर रिपोर्ट दें, अन्यथा वह अपने स्तर से सिस्टम लगाने की तैयारी शुरू कर देगा।
हालांकि, पूर्वोत्तर रेलवे में टेंडर आदि की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ट्रेन यात्रियों को सलाह पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ संजय यादव का कहना है कि इस सिस्टम से रेल यात्रा सुरक्षित होगी। आम यात्रियों से भी अपेक्षा है कि वे रेलवे का सहयोग करें। धूमपान न करें और ज्वलनशील पदार्थ लेकर यात्रा न करें।
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