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आम की अच्छी फसल के लिए अभी से कर लें तैयारी, कीटों के लिए दिसंबर काफी महत्‍वपूर्ण Gorakhpur News

इसी समय गुजिया और मिज नाम के कीट अपनी रिहाइश बना लेते हैं। जो बाद में फसल को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने भी बागवानों को जागरूक करना शुरू कर दिया है। विभाग ने कई जरूरी सलाह दी है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 08:30 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 08:30 AM (IST)
आम की अच्छी फसल के लिए अभी से कर लें तैयारी, कीटों के लिए दिसंबर काफी महत्‍वपूर्ण Gorakhpur News
आम के पेड़ में लगे बौर का फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। आम की अच्छी फसल पाने के लिए वागबानों को अभी से तैयारी करनी होगी। फलों को हानिकारक कीटों से बचाने के लिए नवंबर के आखिरी सप्ताह से लेकर दिसंबर का महीना काफी अहम होता है। क्योंकि आम के पेड़ में इसी समय गुजिया और मिज नाम के कीट अपनी रिहाइश बना लेते हैं। जो बाद में फसल को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने भी बागवानों को जागरूक करना शुरू कर दिया है। ताकि प्रदेश में आम का उत्पादन अच्छा हो। इस दिशा में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने कई जरूरी सलाह दी है।

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दिसंबर में ही अपना ठिकाना बनाते हैं गुजिया कीट

गुजिया कीट के शिशुओं के विकसित होने के लिए नवंबर के आखिरी सप्ताह से लेकर दिसंबर महीना काफी मुफीद होता है। इसी सीजन में वे जमीन से निकलकर आम के पेड़ों पर अपना ठिकाना बनाना शुरू करते हैं। गोरखपुर के उद्यान अधीक्षक ने बताया कि इन शिशुओं को पेड़ों पर चढऩे से रोकने के लिए आम के पेड़ में मुख्य तने पर भूमि से 50-60 मीटर ऊंचाई से लेकर चार सौ मीटर तक 50 सेमी चौड़ी पट्टी की पालीथिन शीट चारों तरफ लपेट कर सुतली से बांध देनी चाहिए। इसके बाद पालीथिन पर ग्रिस का लेप लगा देना चाहिए। ताकि फलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीट पेड़ पर न चढ़ सकें।

इन दवाओं का करें प्रयोग

फलों को भारी नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को जमीन पर ही मारने के लिए दिसंबर के आखिरी में या फिर जनवरी के शुरुआत में 15 दिन के अंतराल पर दो बार क्लोरोपाइरीफास (1.5 प्रतिशत) का चूर्ण का 250 ग्राम प्रति पेड़ के हिसाब से मुख्य तने के चारों तरफ बुरकवाना चाहिए। यदि कीट पेड़ पर चढ़ गए हों तो एक लीटर पानी में मोनोक्रोटोफास 36 ईसी एक मिली या डायमेथोएट 30 ईसी दो मली के औसत से मिलाकर घोल का तनों पर छिड़काव करें।

बौर आने पर करें कीटनाशक का छिड़काव

मिज कीटों का प्रकोप बौर आने के साथ शुरू होता है। ये कीट मंजरियों में तुरंत बने फूलों और फलों में तथा बाद में मुलायम कोपोलों में अंडे देते हैं। जिससे फलों को काफी नुकसान पहुंचता है। इससे बचाव के लिए कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए। एक लीटर पानी में फेनीट्रोथियान 50 ईसी एक मिली या डायजिनान 20 ईसी दो मिली या डायमेथेएट 30 ईसी 1.5 मिली के औसत से मिलाकर बौर निकलने से पहले छिड़काव करना चाहिए। जिससे मिज किट खत्म हो जाते हैं और आम की उपज अच्छी होती है।


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