Coronaviras: गोरखपुर में शुरू हुई वैक्सीन ट्रायल के दूसरे फेज की तैयारी
Coronaviras गोरखपुर में कोरोना वायरस वैक्सीन के ट्रायल के दूसरे फेज की तैयारी शुरू हो गई है।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना वैक्सीन के पहले फेज के सफल ट्रायल से उत्साहित शहर के राणा अस्पताल ने दूसरे फेज के ट्रायल की तैयारी शुरू कर दी है। उसने इसके लिए वालंटियरों की सूची भी बना ली है। सबकुछ अपेक्षानुरूप रहा तो पखवारे भर में दूसरे फेज का ट्रायल भी हो सकता है।
पहले फेज में 10 वालंटियरों को वैक्सीन दी गई। इनमें स्नातक स्तर की तीन छात्राएं भी शामिल रहीं। वैक्सीन लगने के बाद तीनों छात्राएं पूरी तरह से स्वस्थ हैं। डॉक्टर लगातार उनकी सेहत की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। इन छात्राओं ने खुद ही वालंटियर बनने की पहल की थी। इसके साथ सात अन्य लोगों ने भी ट्रॉयल के लिए अपना नाम दर्ज कराया। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने इनका ब्लड लेकर दिल्ली के एक निजी लैब में जांच के लिए भेजा। जांच में वह लोग पूरी तरह से स्वस्थ पाए गए। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने वैक्सीन का पहला डोज लगाया। वैक्सीन लगने के बाद सभी वालंटियर पूरी तरह से स्वस्थ है। अस्पताल प्रबंधन इससे काफी उत्साहित है। प्रबंधन ने बताया कि दूसरे फेज की तैयारी भी पूरी कर ली गई है। कुल 28 वालंटियरों की सूची उन्होंने बना ली है। उनकी सेहत की जांच भी कर ली गई है। सभी पूरी तरह से स्वस्थ है। भारत बायोटेक की ओर से जैसे ही दूसरे फेज की तिथि तय की जाती है, ट्रॉयल शुरू कर दिया जाएगा। वैक्सीन ट्रायल की मुख्य शोधकर्ता व राणा अस्पताल की निदेशक डाॅ. सोना घोष ने बताया कि वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है। इससे कोई खतरा नहीं। पहले ट्रायल से यह पुष्ट हो गया है।
संक्रमण मिलने पर रेफर नहीं कर सकेंगे निजी अस्पताल
स्वास्थ्य विभाग ने जिन 10 निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के इलाज पर रोक लगाई गई थी, उनके लिए एक नया निर्देश जारी किया है। निर्देश के मुताबिक अब इन अस्पतालों में जो भी कोरोना मरीज मिलेंगे, उनका इलाज उन्हें ही सुनिश्चित करना होगा। अस्पताल के चिकित्सक कोरोना मरीज को रेफर नहीं कर सकेंगे। लेकिन यह अस्पताल बाहर से आए कोरोना मरीजों को भर्ती नहीं कर सकेंगे।
शहर के 10 निजी अस्पतालों को प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना मरीजों के इलाज की अनुमति दी थी। लेकिन निरीक्षण के दौरान इन अस्पतालों में साधारण मरीजों और कोविड के मरीजों के लिए एक ही रास्ता था। इसकी वजह से विभाग ने कोरोना मरीजों के भर्ती होने और किए जाने पर रोक लगा दी थी। इससे हो रही दिक्कत को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने इसे लेकर अपने निर्देश में बदलाव किया है। विभाग के नए निर्देश के मुताबिक अगर इन अस्पतालों में इलाज के दौरान कोई कोरोना मरीज मिलता है तो वहां बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में उन मरीजों का इलाज सुनिश्चित किया जाएगा। मरीजों को रेफर करने की इजाजत नहीं होगी। नोडल प्रभारी डाॅ. एनके पांडेय ने बताया कि सभी 10 निजी अस्पतालों के प्रबंधन को विभाग के नए निर्देश से अवगत करा दिया गया है।
अस्पतालों में कोरोना मरीजों का इलाज मुफ्त नहीं होगा। मरीजों को इसके लिए इलाज का खर्च वहन करना होगा। सामान्य मरीजों को आठ हजार और गंभीर मरीजों को प्रतिदिन 13 हजार रुपये शुल्क देने होगा।