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सिर्फ दो डिस्मिल जमीन और नजीर बन गईं किसान प्रेमशीला

प्रेमशीला ने दो एकड़ जमीन बटाई पर ले ली। जीइएजी की सलाह पर उन्होंने खेती में मचान विधि और जैविक खाद के इस्तेमाल के फार्मूले को अपना और एक फसली वर्ष में 20 से अधिक फसल लेने लगीं। प्रेमशीला मुख्य रूप से सब्जी की खेती करती हैं।

By Satish chand shuklaEdited By: Published: Sat, 30 Jan 2021 12:32 PM (IST)Updated: Sat, 30 Jan 2021 05:55 PM (IST)
सिर्फ दो डिस्मिल जमीन और नजीर बन गईं किसान प्रेमशीला
अपने सब्‍जी के खेत में महिला किसान प्रेमशीला।

गोरखपुर, जेएनएन। जिद, जज्बा और जुनून हो तो संसाधन की कमी भी विकास में आड़े नहीं आती, महिला किसान प्रेमशीला इसकी नजीर है। महज दो डिस्मिल जमीन की यह किसान हौसले के बल पर आज न केवल दो एकड़ खेत में किसानी कर रही हैं बल्कि एक फसली वर्ष में 20 फसल ले रही हैं। यही नहीं अन्य महिला किसानों के लिए प्रेरणा बनकर उन्हें प्रशिक्षित भी कर रही हैं।

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सामान्य से विशेष किसान बनने की प्रेमशीला का कहानी महज सात साल पुरानी है। जंगल कौडिय़ा के राखूखोर गांव में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और गोरखपुर इन्वायरमेंटए एक्शन ग्रुप (जीइएजी) की ओर से एक संगोष्ठी आयोजित थी। खेती में विशेष रुचि रखने वाली प्रेमशीला भी उसमें पहुंची। संगोष्ठी में मिली कम खेत में अधिक उपज की सलाह उन्हें बहुत भायी और वह जीइएजी से स्थायी तौर पर जुड़ गईं। कम खेती विकास में आड़े आई तो प्रेमशीला ने दो एकड़ जमीन बटाई पर ले ली। जीइएजी की सलाह पर उन्होंने खेती में मचान विधि और जैविक खाद के इस्तेमाल के फार्मूले को अपना और एक फसली वर्ष में 20 से अधिक फसल लेने लगीं। प्रेमशीला मुख्य रूप से सब्जी की खेती करती हैं। कोहड़ा, लौकी, नेनुआ, करेला आदि की खेती पर उनका जोर रहता है। प्रेमशीला से प्रेरित होकर गांव की सुभावती और इंद्रावती ने भी इसी तरह से खेती शुरू कर दी है।

अपने लिए खुद तैयार करती हैं नर्सरी

प्रेमशीला अपनी खेती के लिए नर्सरी भी खुद ही तैयार करती हैं। इसके लिए उन्होंने एक पाली हाउस भी बना रहा है। इससे पौधों को लेकर उनकी बाजार पर निर्भरता न केवल कम हुई है बल्कि धीरे-धीरे खत्म हो रही है।

जैविक खाद भी बनाती हैं प्रेमशीला

खेती की लागत कम करने का प्रयास करने के क्रम में जीएईजी की सलाह पर प्रेमशीला ने अपने उपयोग के लिए घर में खाद और कीटनाशक बनाने का निश्चय किया। आज उनके पास मटका कीटनाशक की सात यूनिट, वर्मी कंपोस्ट की एक युनिट और 20 लीटर क्षमता की मटका खाद की एक यूनिट है। धीरे-धीरे जब उनकी जरूरत से ज्यादा खाद बनने लगी तो उन्होंने गांव में ही इसकी बिक्री भी शुरू कर दी। आज की तारीख में वह खाद भेजकर प्रतिमाह 1500 से 1800 रुपये तक की आय भी अर्जित कर रही हैं।

अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में ले चुकी हैं हिस्सा

महिला किसान के तौर पर प्रेमशीला किस तरह स्थापित हो चुकी हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हेें बीते दिनों दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित अंतराष्ट्रीय सेमिनार में भी आमंत्रित किया गया था। खेती को लेकर अपने प्रयोग को बताकर उन्होंने विषय विशेषज्ञों को भी आश्चर्य में डाल दिया।


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