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अब ग्रामीणों को वित्तीय प्रबंधन भी सिखाएंगे डाकिए, गावों में लगाएंगे शिविर

डाक विभाग डाकियों को अब नई जिम्मेदारी सौंपने जा रही है। डाकिए अब डाक पहुंचाने के अलावा ग्रामीणों को वित्तीय प्रबंधन का गुण भी सिखाएंगे। डाक विभाग इसके लिए डाकियों को प्रशिक्षित करने का सिलसिला शुरू कर चुका है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 28 Jul 2022 09:07 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jul 2022 09:07 AM (IST)
अब ग्रामीणों को वित्तीय प्रबंधन भी सिखाएंगे डाकिए, गावों में लगाएंगे शिविर
डाकिए अब डाक पहुंचाने के साथ ही लोगों को आर्थिक प्रबंधन भी सिखाएंगे। - प्रतीकात्मक तस्वीर

गोरखपुर, डा. राकेश राय। गांव के लोग धन की बचत की जरूरत जान सकें। घर में रखे धन की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें। साथ ही अपने धन को ब्याज के जरिये बढ़ाने की योजनाओं से अवगत हो सकें। इसके लिए डाक विभाग ने अपने व्यापक नेटवर्क के इस्तेमाल करने का न केवल निर्णय लिया है बल्कि उसका क्रियान्वयन भी शुरू कर दिया है। विभाग ने इसे वित्तीय साक्षरता अभियान नाम दिया है। अभियान के तहत डाकिये अपने लिए विभाग से निर्धारित अन्य कार्यों के साथ-साथ ग्रामीणों को वित्तीय प्रबंधन सिखाएंगे। इस कार्य में वह शाखा डाकपालों और डाक एजेंटों की भी मदद लेंगे।

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डाकपालों को दी जाएगी क्षेत्रवार जिम्मेदारी

ग्रामीणों को वित्तीय साक्षर बनाने के लिए डाकियों को प्रशिक्षित करने का सिलसिला शुरू हो चुका है। इसके लिए विभाग के अधिकारी स्वयं क्षेत्र में जा रहे हैं और डाकियों को उनका यह नया कार्य बता रहे हैं। हर शाखा डाकपाल के पास कम से कम पांच चार से पांच गांव की जिम्मेदारी होती है। ऐसे में उनकी जिम्मेदारी क्षेत्रवार तय की जा रही है। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद शाखा डाकपाल की मदद से डाकिये गांव के प्रमुख स्थान पर शिविर का आयोजन करेंगे, जिससे वह ग्रामीणों को सरकार की बचत योजनाओं को बताएंगे। इच्छुक ग्रामीणों को तत्काल योजनाओं का लाभ भी दिलाएंगे। वित्तीय साक्षरता के लिए आयोजित शिविरों तक ग्रामीणों को पहुंचाने के लिए विभाग ने ग्राम प्रधानों की मदद लेने का निर्णय लिया है।

वेबिनार में आया था विभागीय नेटवर्क के उपयोग का सुझाव

इस बार के केंद्रीय बजट के बाद डाक विभाग की ओर से 'लीविंग नो सिटीजन बिहाइंड' विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इस दौरान चर्चा के क्रम के यह बात सामने आई कि गांव के लोग अपने धन को न तो सुरक्षित रख पाते हैं और न ही उसे बढ़ाने के लिए सरकार की वित्तीय योजनाओं का लाभ उठा पाते हैं। ऐसा वित्तीय साक्षर न होने के चलते होता है। यदि ग्रामीणों को वित्तीय रूप से साक्षर कर दिया जाए तो इससे उनका फायदा तो होगा ही, किसी न किसी योजना के माध्यम से खातों में धन आने से सरकार की आर्थिक समृद्धि भी बढ़ेगी। यह कार्य गांव स्तर पर विभाग के व्यापक नेटवर्क के इस्तेमाल से आसानी से हो सकता है।

ग्रामीणों को वित्तीय साक्षर बनाने के लिए केंद्रीय नेतृत्व से मिले निर्देश का पालन शुरू कर दिया गया है। डाकियों और शाखा डाकपालों को इसके लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। जल्द गांव-गांव में अभियान को सफल बनाने के लिए शिविरों के आयोजन का सिलसिला शुरू हो जाएगा। शिविर को सफलता सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को भी जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। - मनीष कुमार, प्रवर अधीक्षक डाक, गोरखपुर मंडल।


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