रैली की तैयारियों में दिख रही लोकसभा चुनाव की चुनौती, आएंगे प्रधानमंत्री
गोरखपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आने वाले हैं। यहां पर वह किसान सम्मेलन करेंगे। संगठन के लोग इसकी तैयारी में लगे हुए हैं।
By Edited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 09:29 AM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 10:04 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। किसानों को साधनों के लिए 23-24 फरवरी को गोरखपुर में आयोजित होना वाला भाजपा किसान मोर्चा का राष्ट्रीय अधिवेशन अब पूरी तरह से चुनावी रंग ले चुका है। सपा-बसपा के गठबंधन और प्रियंका गांधी के प्रत्यक्ष राजनीति में प्रवेश के बाद बदले सियासी परिदृश्य में भाजपा इस अधिवेशन की सफलता को चुनावी चुनौती मान रही है और अधिवेशन के दूसरे दिन होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली को भाजपाई चुनौती की काट के रूप में ले रहे है।
जैसे-जैसे अधिवेशन और रैली की तारीख नजदीक आ रही है, इसे लेकर स्थिति और साफ होती जा रही है। दो दिन पहले अधिवेशन और रैली को लेकर हुई बैठक में भाजपा जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नसीहत ने इस पर मुहर भी लगा दी है। उन्होंने सभी को यह निर्देशित किया कि वह रैली की सफलता को चुनाव की चुनौती के रूप में देखें। बैठक में उन्होंने यह भी घोषणा कर दी कि इसी रैली से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव का शंखनाद करेंगे। पार्टी से किसानों को जोड़ने की मुहिम के साथ आयोजित होने वाले इस अधिवेशन का बढ़ता दायरा भी इस बात को साबित कर रहा है कि सपा-बसपा का गठबंधन भाजपा को बेचैन किए हुए है।
रैली में ढाई लाख लोगों को जुटाने का लक्ष्य पार्टी नेतृत्व में निर्धारित किया है। इसमें किसानों के साथ-साथ केंद्र व प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को लाने का न केवल फैसला किया गया है बल्कि जन प्रतिनिधियों से लेकर पदाधिकारियों तक की इसे लेकर जिम्मेदारी भी तय कर दी गई है। इससे साफ है कि इस रैली के मंच से समूचे देश को संदेश देने की तैयारी भाजपा कर रही है। रैली के मंच से प्रधानमंत्री के हाथों देश भर में किसान सम्मान योजना की शुरुआत करने का फैसला भी चुनौती को लेकर गहरा संदेश देने वाला है।
लोकसभा उपचुनाव परिणाम की है दहशत मार्च 2018 के लोकसभा उपचुनाव में मिल हार की दहशत भी भाजपाइयों में साफ नजर आ रही है, जिसमें पार्टी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर और उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य की फूलपुर सीट सपा-बसपा के अघोषित गठबंधन में ही गवां बैठी थी। आज जबकि यह गठबंधन स्थायी रूप ले चुका है तो इन सीटों को हासिल करने की चुनौती और बड़ी हो गई है। रैली के मंच से यह दशहत मिटाने की भी तैयारी है।
जैसे-जैसे अधिवेशन और रैली की तारीख नजदीक आ रही है, इसे लेकर स्थिति और साफ होती जा रही है। दो दिन पहले अधिवेशन और रैली को लेकर हुई बैठक में भाजपा जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नसीहत ने इस पर मुहर भी लगा दी है। उन्होंने सभी को यह निर्देशित किया कि वह रैली की सफलता को चुनाव की चुनौती के रूप में देखें। बैठक में उन्होंने यह भी घोषणा कर दी कि इसी रैली से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव का शंखनाद करेंगे। पार्टी से किसानों को जोड़ने की मुहिम के साथ आयोजित होने वाले इस अधिवेशन का बढ़ता दायरा भी इस बात को साबित कर रहा है कि सपा-बसपा का गठबंधन भाजपा को बेचैन किए हुए है।
रैली में ढाई लाख लोगों को जुटाने का लक्ष्य पार्टी नेतृत्व में निर्धारित किया है। इसमें किसानों के साथ-साथ केंद्र व प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को लाने का न केवल फैसला किया गया है बल्कि जन प्रतिनिधियों से लेकर पदाधिकारियों तक की इसे लेकर जिम्मेदारी भी तय कर दी गई है। इससे साफ है कि इस रैली के मंच से समूचे देश को संदेश देने की तैयारी भाजपा कर रही है। रैली के मंच से प्रधानमंत्री के हाथों देश भर में किसान सम्मान योजना की शुरुआत करने का फैसला भी चुनौती को लेकर गहरा संदेश देने वाला है।
लोकसभा उपचुनाव परिणाम की है दहशत मार्च 2018 के लोकसभा उपचुनाव में मिल हार की दहशत भी भाजपाइयों में साफ नजर आ रही है, जिसमें पार्टी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर और उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य की फूलपुर सीट सपा-बसपा के अघोषित गठबंधन में ही गवां बैठी थी। आज जबकि यह गठबंधन स्थायी रूप ले चुका है तो इन सीटों को हासिल करने की चुनौती और बड़ी हो गई है। रैली के मंच से यह दशहत मिटाने की भी तैयारी है।
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