कोरोना को हराने में कारगर हो सकती है फिजियोथेरेपी Gorakhpur News
पढ़ें विश्व फिजियोथेरेपी दिवस पर विशेष रिपोर्ट...
गोरखपुर, जेएनएन। यह कोरोना का समय चल रहा है। यह सबसे ज्यादा फेफड़ों को संक्रमित कर रहा है। इसके अलावा अस्थमा आदि फेफड़ों के कई ऐसे रोग हैं जिनके लाइलाज होने के बाद डॉक्टर फिजियोथेरेपी की सलाह देते हैं। इसे चेस्ट फिजियोथेरेपी कहा जाता है। दवाइयां तत्काल दर्द तो खत्म कर देती हैं लेकिन नुकसान भी करती हैं। फिजियोथेरेपी बिना दवाओं के इलाज करती है। इसके प्रति जागरूकता लाने के लिए आठ सितंबर को विश्व फिजियोथेरेपी दिवस मनाया जाता है।
कब दी जाती है चेस्ट फिजियोथेरेपी
फिजियोथेरेपिस्ट -डॉ. देवेज्य श्रीवास्तव के अनुसार कोविड 19 के बारे में बहुत स्पष्ट गाइडलाइन है। उसके अनुसार शुरुआती लक्षणों के दिखते ही थेरेपी नहीं दी जानी चाहिए। हां, निमोनिया जैसी स्थिति से लेकर कोरोना के गंभीर मरीजों को चेस्ट फिजियोथेरेपी दी जाएगी। सांस लेने में दिक्कत होने पर चेस्ट फिजियोथेरेपी की सलाह दे सकते हैं। इस थेरेपी में एक ग्रुप होता है। इसमें पॉस्च्युरल ड्रेनेज, चेस्ट परक्यूजन, चेस्ट वाइब्रेशन, टर्निंग, डीप ब्रीङ्क्षदग एक्सरसाइज जैसी कई थेरेपी शामिल होती हैं। इनसे फेफड़ों में जमा बलगम बाहर निकालने में मदद मिलती है।
कम की जा सकती है दवाइयों पर निर्भरता
फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. मानित दीक्षित का कहना है कि फिजियोथेरेपी यानी मांसपेशियों, जोड़ों, हड्डियों-नसों के दर्द या सुन्न वाले हिस्से का वैज्ञानिक तरीके से आधुनिक मशीनों व एक्सरसाइज के माध्यम से इलाज कर मरीज को आराम पहुंचाया जाता है। आज की जीवनशैली में हम लंबे समय तक अपनी शारीरिक प्रणालियों का सही ढंग से उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। जब शरीर की सहनशीलता नहीं रहती है तो वह तरह-तरह की बीमारियों व दर्द की चपेट में आ जाता है। फि•ायिोथेरेपी को अपनी ङ्क्षजदगी का हिस्सा बनाकर दवाइयों पर निर्भरता कम की जा सकती है।
इन तकलीफों में कारगर
मोटापा, ब्लड प्रेशर, शुगर, लंबे समय तक एसी में बैठना, पीठ, कमर, गर्दन, कंधे व घुटने के दर्द में इससे आराम मिलता है। जोड़ों का दर्द, हार्मोनल बदलाव, पेट से जुड़ी समस्याएं भी इस विधा से ठीक होती हैं। खेलकूद की चोटें, ऑपरेशन से जुड़ी समस्याएं, मांसपेशियों का ङ्क्षखचाव व उनकी कमजोरी, नसों का दर्द व उनकी ताकत कम होना, चक्कर आना, कंपन, झनझनाहट, सुन्नपन और लकवा में भी यह काफी कारगर है। बढ़ती उम्र संबंधी बीमारियों के कारण चलने-फिरने में दिक्कत, संतुलन बिगडऩा, तनाव व अनिद्रा में भी फिजियोथेरेपी अपनाई जा सकती है।