Coronavirus: संक्रमण के साथ ही तेजी से स्वस्थ हो रहे लोग, गोरखपुर मंडल में 17.5 हजार ने जीत ली जंग Gorakhpur News
Coronavirus गोरखपुर में कोरोना का संक्रमण तेजी बढ़ रहा है लेकिन लोग तेजी से स्वस्थ भी हो रहे हैं। गोरखपुर मंडल में अब तक 17.5 हजार लोग ठीक हो चुके हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के मामले जहां बढ़ रहे हैं। वहीं राहत की बात यह है कि ठीक होने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। गोरखपुर मंडल के चार जिलों में अभी तक 17, 508 लोगों ने कोरोना से जंग जीत ली है। समाज को शीघ्र संक्रमण मुक्त करने के लिए जांच की गति बढ़ा दी गई है। स्वास्थ्य विभाग ने संक्रमितों को ढूढ़ने का काम तेज कर दिया है।
शुरुआत में जहां प्रतिदिन गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज व कुशीनगर की मिलाकर कुल लगभग 80 जांच हो पाती थी। वहीं अब रोज लगभग पांच हजार नमूनों की जांच हो रही है। जगह-जगह कैंप लगाकर अधिक से अधिक लोगों की जांच की जा रही है। इस वजह से संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन उसी हिसाब से लोग स्वस्थ भी हो रहे हैं।
जिलावार संक्रमित व स्वस्थ
गोरखपुर 12690 9444
देवरिया 4808 3793
कुशीनगर 4036 3352
महराजगंज 4009 920
(आंकड़े 12 सितंबर तक के हैं)
जांच की संख्या हम जितना अधिक बढ़ा लेंगे, उतनी जल्दी समाज को संक्रमण मुक्त किया जा सकता है। इस दिशा में तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं। - डॉ. श्रीकांत तिवारी, सीएमओ
कोरोना योद्धा : कदम-कदम पर थे खतरे, हिम्मत व हौसले ने दिखाई राह
गोरखपुर के जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी केएन बरनवाल ने बताया कि कोरोना की शुरुआत बहुत भयावह थी। प्रवासियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ तो उनके साथ महाराष्ट्र, दिल्ली व गुजरात से संक्रमण के आने की आशंका भी प्रबल हो गई। उनकी स्कैनिंग के लिए जगह-जगह हेल्थ पोस्ट बनाए गए। नौसढ़ से लेकर मगहर तक पांच हेल्थ पोस्ट थे, जिसके नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी मुझे दी गई। उस समय यह अफवाह उड़ी थी कि कोरोना लाइलाज बीमारी है। ऐसे में भीतर डर तो था लेकिन समाज व राष्ट्र के प्रति मेरी जिम्मेदारियों ने प्रेरित किया। मैं बिना अवकाश लिए लगातार 20 मार्च से 30 अप्रैल तक हेल्थ पोस्ट पर खड़ा होकर बाहर से आ रहे लोगों की स्कैनिंग करवाता रहा। इसके बाद गीडा स्थित पूर्वांचल डेंटल कॉलेज को क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया। मुझे वहां के नोडल का चार्ज दे दिया गया। संदिग्धों को वहां क्वारंटाइन कराया जाता था। उनकी सैंपलिंग करवाना, हालचाल पूछना, रोज स्वास्थ्य संंबंधी जानकारी लेना, पॉजिटिव आने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना आदि कार्य मुझे करने पड़ते थे। यदि किसी संक्रमित का शव आ गया तो उसका अंतिम संस्कार भी मुझे ही करवाना पड़ता था।
वहां क्वारंटाइन सेंटर खत्म होने के बाद जुलाई से शहर में सैंपलिंग के लिए लग रहे कैंपों व मेडिकल मोबाइल यूनिट के प्रभारी की जिम्मेदारी मुझे दे दी गई। तभी से घर-घर जाकर लाेगों की सैंपलिंग करवा रहे हैं। कैंपों की निगरानी करनी पड़ती है। खुद भी बैठकर लोगों का रजिस्ट्रेशन करना होता है। सुबह नौ बजे से लेकर रात के नौ बजे तक ड्यूटी पर रहता हूं। यह नहीं पता होता कि किसमें संक्रमण है और किसमें नहीं। लेकिन सुरक्षा उपायों को अपनाने के चलते आज तक संक्रमण मुझ तक पहुंच नहीं पाया।
क्या अपनाए सुरक्षा उपाय
ऊर्जा प्रदान करने वाला हल्का भोजन सुबह लेते हैं।
बाहर का कुछ भी नहीं खाते।
ठंडी चीज या शीतल पेय पदार्थों से परहेज करते हैं।
पूरे दिन गर्म पानी पीते रहते हैं।
बार-बार हाथों को सैनिटाइज करते हैं।
हमेशा दो मास्क लगाते हैं।
सफाई पर विशेष ध्यान देते हैं।
घर पहुंचने पर पूरे कपड़े निकाल कर गर्म पानी में डाल देते हैं।
जूता, मोबाइल, बैग सब सैनिटाइज कर देते हैं।
गर्म पानी से स्नान करने के बाद ही घर में प्रवेश करते हैं।
सुबह गर्म पानी में नींबू डालकर लेते हैं।
तुलसी, अदरक, दालचीनी व नींबू की चाय पीते हैं।
फल व सलाद का सेवन ज्यादा करते हैं।
शारीरिक दूरी बनाए रखते हैं।
कोरोना विजेताओं से न करें भेदभाव
सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी ने कहा कि कोरोना को मात देकर समाज की मुख्यधारा में लौटने वाले किसी भी विजेता के साथ भेदभाव ठीक नहीं है। इससे लड़ाई कमजोर होगी। कोरोना से जंग जीत चुके लोगों से वायरस नहीं फैलता है। ऐसे में उनके साथ सामाजिक भेदभाव बिल्कुल न किया जाए। कोरोना उपचाराधीन मरीजों के बारे में यह देखने को मिल रहा है कि उनको बीमारी से ज्यादा यह चिंता सता रही है कि लोग क्या कहेंगे और कैसा व्यवहार करेंगे। उनकी इस चिंता और तनाव को तभी दूर किया जा सकता है जब उनके साथ पहले जैसा सामान्य व्यवहार किया जाए। कोरोना से स्वस्थ हुए व्यक्ति को अलग-थलग बिल्कुल न करें। कोविड-19 को मात देने वाले व्यक्ति के साथ बातचीत करना पूरी तरह से सुरक्षित है। इसके अलावा यह भी जानना जरूरी है कि कोरोना से जंग जीतने वाले व्यक्ति से वायरस नहीं फैलता है। साथ ही घर-परिवार छोड़ कोरोना से लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों के प्रति दिल से सम्मान करें। चिकित्सक, स्टॉफ नर्स, पैरामेडिकल, एएनएम और आशा कार्यकर्ता लोगों की जिंदगी को बचाने में जुटे हैं। उनका हौसला बढ़ाएं।