एंबुलेंस का पीसीआर खोलेगा फर्जीवाड़े का राज, बन सकती है गले की फांस
महराजगंज: जिले में एंबुलेंस सेवा के फर्जीवाड़े की जांच शुरू हो गई है। यह संबंधित कंपनी की मुश्किलें बढ़ा सकती है। अस्पताल रजिस्टर से पीसीआर (पेशेंट केयर रिकार्ड) और डीबीआर (ड्राप बैक रजिस्टर) के मिलाने के बाद हैरत में डालने वाले तथ्य सामने आए हैं। रोगियों की जगह दूसरे का नाम अंकित किया गया है। इसके अलावा अयोध्या, सिद्धार्थनगर और मऊ तक रोगियों को पहुंचाया गया है। कागज में यह हेराफेरी लोगों के गले की फांस बन सकती है।
जिले में कुल 64 एंबुलेंस है। इसमें से प्रत्येक ब्लाकों पर चार से पांच एंबुलेंस उपलब्ध कराया गया है, ताकि प्रसव पीड़िता व दुर्घटना में घायल लोगों को त्वरित अस्पताल पहुंचाकर चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराया जा सके, लेकिन सरकार के एंबुलेंस सेवा को उनके मातहत ही चूना लगा रहे हैं। जिस कंपनी को इसकी जिम्मेदारी दी गई, वहीं धन की हेराफेरी में जुटी है। पीसीआर, डीबीआर में एक दिन में एक दिन में 40-40 रोगियों को लाने और पहुंचाने की बात गले नहीं उतर रही है। फर्जीवाड़े की हकीकत सामने आने लगी तो सबकी सांस अटकी है।
ऐसे होता फर्जीवाड़ा
डिलेवरी के लिए 102 तथा दुर्घटना व अन्य रोग के रोगियों के लिए 108 नंबर पर लखनऊ काल सेंटर पर फोन जाता है। यहां से संबंधित व्यक्ति के मोबाइल नंबर को एंबुलेंस चालक के पास ट्रांसफार्मर किया जाता है। इसके बाद चालक रोगी का नाम, पता, आधारकार्ड और मोबाइल नंबर पीसीआर में दर्ज करता है, लेकिन इसमें फर्जीवाड़ा करने के लिए चालक किसी आशा, एएनएम या अन्य से फोन कराते हैं और पीसीआर में उसी का नंबर भरकर गोलमाल करते हैं।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. आइए अंसारी ने बताया कि प्रभारी चिकित्साधिकारियों को अतिशीघ्र जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। कुछ ब्लाकों से आधा अधूरी रिपोर्ट आई है, जिसे फिर से पूरा उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है।