पौष पूर्णिमा 17 जनवरी को, इसी दिन से शुरू हो जाएगा माघ स्नान
18 जनवरी से 16 फरवरी तक माघ मास है। पौष की पूर्णिमा 17 जनवरी को है। पौष मास की पूर्णिमा से ही माघ मास की पूर्णिमा तक माघ मास का स्नान किया जाता है। पं. शरदचंद्र मिश्र ने बताया कि पद्मपुराण में माघ मास स्नान का महत्व बताया गया है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। इस वर्ष 18 जनवरी से 16 फरवरी तक माघ मास है। पौष की पूर्णिमा 17 जनवरी को है। पौष मास की पूर्णिमा से ही माघ मास की पूर्णिमा तक माघ मास का स्नान किया जाता है। पं. शरदचंद्र मिश्र ने बताया कि पद्मपुराण में कहा गया है कि माघ मास में शीतल जल में डुबकी लगाने वाले मनुष्य पापमुक्त हो जाते हैं। इस मास में स्नान करने से पूण्य लाभ मिलता है।
प्रयागराज में माघ स्नानका है विशेष महत्व
माघ स्नान का महत्व प्रयागराज में है, क्योंकि महाभारत में कहा गया है कि माघ की अमावस्या को प्रयागराज में तीन करोड़ 10 हजार तीर्थों का समागम होता है। प्रयाग के अतिरिक्त काशी, नैमिषारण्य, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार तथा अन्य पवित्र तीर्थों एवं नदियों में स्नान का बड़ा महत्व है।
सूर्योदय से पूर्व किया जाता है स्नान
यह स्नान सूर्योदय से पूर्व किया जाता है। पद्मपुराण में कहा गया है कि माघ मास में व्रत-दान और तपस्या से भी भगवान विष्णु को उतनी प्रसन्नता नही होती है, जितनी माघ मास में स्नान से। इसलिए स्वर्गलाभ, सभी पापों से मुक्ति तथा भगवान वासुदेव की प्राप्ति के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए। इसी माघ महीने में मौनी अमावस्या का स्नान किया जाता है। इस दिन व्रती को स्नान और उपवास करना चाहिए। पूरे दिन मौन रहकर नारायण का चिंतन करना चाहिए।
माघ मास में दान का महत्व
माघ मास में दान का विशेष महत्व है। तिल और कंबल के दान से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा गया है कि जो माघ मास में ब्राह्मण या सत्पात्र को तिल दान करता है,वह समस्त जन्तुओं से भरे हुए नरक का दर्शन नहीं करता है। माघ महीने में ब्रह्मवैवर्त पुराण का दान करना चाहिए। यदि इस पुराण का दान न कर सकें तो किसी पुराण या धार्मिक पुस्तक का दान अवश्य करें। मत्स्य पुराण का कथन है कि जो व्यक्ति माघ महीने में ब्रह्मवैवर्त पुराण का दान करता है,उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।