गोरखपुर जिला महिला अस्पताल, जिसके पास कटोरी न थाल, उसे नहीं मिलती रोटी-दाल
Gorakhpur District Women Hospital गोरखपुर जिला महिला अस्पताल में मरीजों को भोजन नहीं मिल रहा है। ठीकेदार भोजन वितरण में भारी घोटाला कर रहे हैं मरीजों का उनके विस्तर तक भोजन पहुंचाने का नियम है लेकिन जिन मरीजों के पास बर्तन नहीं हैं उन्हें भोजन नहीं दिया जा रहा है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर जिला महिला अस्पताल में जिस रोगी के पास अपनी थाली व कटोरी नहीं है, उसे खाना नसीब नहीं होता है। ठीकेदार अपनी थाली में खाना नहीं देता है। यही नहीं रोगियों के बेड तक खाना नहीं पहुंचाया जाता। कर्मचारी वार्ड के गेट पर खड़े होकर खाना आने की सूचना दे देते हैं। अशक्त रोगी गेट पर जाकर खाना नहीं ले पाते। ये दोनों तरकीबें खाना बचाने की हैं। क्योंकि ठीकेदार को पता है कि रोगी अपनी थाली-कटोरी लेकर अस्पताल नहीं आता है। दूसरे अशक्त गर्भवती गेट तक खाना लेने आ नहीं सकतीं। इसलिए खाना मात्र 10 प्रतिशत रोगियों के हिसाब से बनाया जाता है। वह भी रोगियों को नहीं मिलता, ठीकेदार के सगे खा जाते हैं।
किसी के पास बर्तन नहीं तो कोई रोगी गेट तक आ नहीं सकता
भर्ती रोगियों को खाना देने की जिस फर्म को जिम्मेदारी दी गई है। उसने खाना बचाने की ऐसी तरकीब निकाली है कि रोगियों को खाना मिले भी नहीं और फर्म खाना न देने के दोष से भी बच जाए। अन्य अस्पतालों में ठीकेदार अपनी थाली में खाना रोगियों के बेड तक पहुंचाता है। लेकिन महिला अस्पताल में जब रोगी गेट पर अपनी थाली-कटोरी लेकर आएगा तो कर्मचारी करछुल से उसमें दाल-चावल डालेंगे और हाथ से रोटी। इसलिए खाना रोगियों की संख्या के हिसाब से बनाया ही नहीं जाता। सोमवार के अंक में जागरण ने रोगियों की संख्या व खाना बनने की बात प्रमुखता से प्रकाशित की थी। जागरण टीम को कुक राजेश ने बताया था कि 50 लोगों का खाना बन रहा है, जबकि भर्ती रोगियों की संख्या 145 थी। टीम ने मौके पर देखा मात्र 10-12 लोगों का खाना बन रहा था।
मिलीभगत से चल रहा फर्जीवाड़ा
फर्म व भोजन वितरण की निगरानी करने वाले जिम्मेदार कर्मचारियों की मिलीभगत से महिला अस्पताल में फर्जीवाड़ा चल रहा है। खाना भले ही किसी को न मिले लेकिन कर्मचारी रोगियों की संख्या के हिसाब से भोजन वितरण की पुष्टि कर देते हैं और फर्म को पूरा भुगतान हो जाता है। वर्षों से यह धंधा चल रहा है लेकिन आज तक प्रबंधन ने इसकी जांच नहीं कराई।
जांच शुरू करा दी गई है। फर्म को निर्देश दिया गया है कि वह दो छोटी-छोटी ट्राली बनवाए, जो वार्ड के अंदर जा सके। रोगियों को बेड पर खाना मिलना चाहिए। गेट पर बहुत से रोगी आने की स्थिति में नहीं होते हैं। साथ ही उसे यह भी कहा गया है कि थाली या भोजन पैक का इंतजाम करे, क्योंकि रोगी यहां थाली-कटोरी लेकर नहीं आता है। यदि फर्म ने सुधार नहीं किया तो कार्रवाई के लिए संस्तुति की जाएगी। - डा. एनके श्रीवास्तव, प्रमुख अधीक्षक, जिला महिला अस्पताल।