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किसानों के लिए खुशखबरी, बिना लेवा के बोया धान तो गेहूं से भर जाएगा खलिहान; पढ़ें- पूरी जानकारी

कृषि वैज्ञानिकों की शोध में यह बात सामने आई है कि बिना लेवा के धान की खेती करने से अगली फसल अच्छी होगी। ऐसे में किसानों को काफी फायदा मिलेगा। धान की खेती छिटकाव विधि या फिर सुपर सीडर की मदद से करने पर अगली फसल उपजाऊ हो जाता है।

By Pragati ChandEdited By: Pragati ChandPublished: Sat, 10 Jun 2023 04:27 PM (IST)Updated: Sat, 10 Jun 2023 04:27 PM (IST)
बिना लेवा के बोया धान तो गेहूं से भर जाएगा खलिहान। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। पूर्वांचल में धान खरीफ की प्रमुख फसल है। धान की खेती के लिए किसानों ने कमर कस ली है। मानसून की पहली बारिश के साथ ही भारत के कई राज्यों में धान की रोपाई शुरू होगी। अच्छी फसल उत्पादन के लिए धान की खेती करने वाले किसानों के लिए खास सलाह लेकर आए हैं। आइए जानते हैं...

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इस विधि से करें धान की खेती

लेवा लगाकर धान की रोपाई करने की जगह किसान छिटकाव विधि या फिर सुपर सीडर की मदद से खेती करते हैं तो उन्हें न सिर्फ धान की अच्छी फसल प्राप्त होगी, बल्कि गेहूं के सीजन में भरपूर उत्पादन भी मिलेगा। कृषि विज्ञानियों की ओर से जारी शोध में ऐसा मिला है। आचार्य नरेंद्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या के मार्गदर्शन में सिद्धार्थनगर के भनवापुर ब्लाक के सोहना कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी शोध कर रहे हैं। दो ट्रायल सफल भी हो चुके हैं।

अगली फसल के लिए उपजाऊ होगा खेत

अब तक के शोध में यह बात स्थापित हो रही कि बिना लेवा लगाए धान की खेती करने पर अगली फसल के लिए खेत पलिहर की तरह उपजाऊ हो जाता है। वहीं, लेवा लगाने से खेतों में मौजूद लाभकारी बैक्टीरिया तीन माह के लिए निष्क्रिय हो जाते हैं। उनका पूरा जीवनचक्र प्रभावित हो जाता है। मृदा में उनकी बढ़ोतरी नहीं हो पाती।

ऐसे में धान की खेती के लिए किसान बीज रोपने में छिटकाव विधि या सुपर सीडर का उपयोग करें। इससे खेतों में लाभकारी बैक्टीरिया की सक्रियता बनी रहेगी और उसकी गुणवत्ता पलिहर जैसी बन जाती है। इसमें पोषक तत्व बड़ी मात्रा में तैयार हो जाते हैं, जो गेहूं के प्रचुर उत्पादन में सहायक होती है। पारंपरिक विधि से जैविक खेती को लेकर 2010 से जारी शोध में लेवा लगाकर धान की रोपाई की विधि खेतों की उर्वरता पर प्रतिकूल असर डालने वाली मिली है।

लाभकारी बैक्टीरिया बढ़ाते हैं पोषक तत्व

सोहना कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी व फार्म प्रबंधक डा. मारकंडेय सिंह कहते हैं कि भूसे में चार प्रकार के तत्व होते हैं, लेकिन जब गाय इसे खाकर गोबर करती है तो उसमें पोषक तत्वों की संख्या 40 से अधिक हो जाती है। गाय के पेट में कई लाभकारी बैक्टीरिया होते हैं, जो भूसे को पचाने के साथ इसे अलग-अलग तत्वों में बदल देते हैं। ऐसा ही मृदा के साथ भी है। इसमें मौजूद बैक्टीरिया स्वत: ही पोषक तत्वों का निर्माण करते रहते हैं। उदाहरण के तौर पर दलहनी फसलों की जड़ों में पाया जाने वाला राइजोबियम नामक नत्रजन स्थिरीकरण बैक्टीरिया भी एक है। यह बैक्टीरिया वायुमंडलीय नाइट्रोजन को नाइट्रेट में बदलकर मिट्टी में स्थापित करते हैं, जिससे उर्वरा शक्ति पुनः स्थापित हो जाती है।


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