Loksabha Election 2019 : वोटर ID नहीं है तो न हों परेशान, इन दस्तावेजों को दिखाकर भी कर सकते हैं मतदान
मतदान के समय पहचान पत्र के रूप में निर्वाचन आयोग ने 11 दस्तावेजों को मान्य किया है। इनमें से कोई भी उपयोग किया जा सकता है। इन दस्तावेजों को दिखाकर भी आप मतदान कर सकते हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। मतदान के समय पहचान पत्र के रूप में निर्वाचन आयोग ने 11 दस्तावेजों को मान्य किया है। इनमें से कोई भी उपयोग किया जा सकता है। इसे संभाल कर रखें। इन दस्तावेजों को दिखाकर भी आप मतदान कर सकते हैं।
- वोटर कार्ड
- आधार कार्ड
- मनरेगा जॉब कार्ड
- पासबुक (जिसे बैंक पोस्ट ऑफिस द्वारा फोटो सहित जारी किया गया हो)
- ड्राइविंग लाइसेंस
- सेवा पहचान पत्र (केंद्र, रा'य सरकार, पीएसयू अथवा पब्लिक लिमिटेड कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों को जारी किया गया हो )
- पैन कार्ड
- पासपोर्ट
- पेंशन दस्तावेज फोटो सहित स्मार्ट कार्ड
- स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड (श्रम मंत्रालय की योजना के तहत जारी)
- आधिकारिक पहचान पत्र : (एमपी एमएलए एमएलसी को जारी)
- विदेश में रहने वाले मतदाताओं को मतदान केंद्र पर पहचान पत्र के रूप में अपना मूल पासपोर्ट दिखाना होगा
मतदाता देख सकेंगे, सही प्रत्याशी को वोट पड़ा अथवा नहीं
निर्वाचन आयोग ने चुनाव में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के जरिये आपने जो मतदान किया है, वह सही प्रत्याशी को ही मिला है अथवा नहीं, इसका पोलिंग बूथ के भीतर ही पता चल जाने की व्यवस्था कर रखी है। इसके लिए वहां लगाई जाने वाली वीवीपैट (वोटर वेरीफाइड पेपर आडिट ट्रेल) मशीन से एक सत्यापन पर्ची निकलेगी लेकिन पर्ची हाथ नहीं आती है। इसे कुछ क्षण के लिए स्क्रीन पर सिर्फ देखा जा सकता है। पर्ची पर प्रत्याशी का चिह्न और नंबर अंकित रहता है।
दरअसल मतदान के लिए ईवीएम की दो यूनिट का इस्तेमाल होता है। एक कंट्रोल यूनिट पीठासीन अधिकारी के पास होती है और दूसरी बैलेट यूनिट पर मतदाता मतदान करता है। वीवीपैट मशीन ईवीएम के बगल में ही रखी जाती है। इसे लगाने का आशय यह है कि ईवीएम की बटन सही दबी है अथवा नहीं। पर्ची सात सेकंड के लिए नजर आती है और फिर स्वत: कटकर मशीन के भीतर बने बाक्स में गिर जाती है। सभी पर्चियां मतदान के बाद एकत्र कर सील की जाती हैं और किसी शंका समाधान अथवा जरूरत पडऩे पर उसे मतगणना के समय उसकी गिनती की जाती है।
क्या है जनप्रतिनिधित्व अधिनियम व भारत निर्वाचन आयोग
संसद तथा राज्य विधान सभा के चुनाव करने संबंधी प्रावधान जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 तथा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में हैं। संविधान के अनु'छेद 327 के तहत इस अधिनियम को संसद द्वारा पारित किया गया था। यह संसद और रा'य विधानसभाओं के लिए चुनाव का संचालन प्रदान करता है। संविधान की लोकतंत्र की अवधारणा पहले से ही निर्वाचन के जरिये संसद तथा रा'य विधान सभाओं में जन प्रतिनिधित्व को मानती है। देश में चुनाव प्रक्रिया संचालन के लिए संविधान ने एक स्वतंत्र भारत निर्वाचन आयोग का गठन किया है। चुनाव अधीक्षण, निर्देशन तथा नियंत्रण की शक्ति निर्वाचन आयोग को प्रदान की गई हैं। निर्वाचन आयोग वैसे मामलों से निपटने के लिए विशेष आदेश या निर्देश जारी कर सकता है, जिसके बारे में संसद द्वारा पारित कानून ने कोई प्रावधान नहीं किया है या प्रावधान अपर्याप्त है।