भारत की रोक से नेपाल में रुला रहा प्याज
नेपाल के पहाड़ी जिले गोरखा पाल्पा दांग सल्यान आदि में प्याज ऊंचे दामों पर बिक रहा है। खुदरा सब्जी विक्रेता सरस्वती श्रेष्ठा ने बताया कि शनिवार को 110 रुपये थोक मूल्य से प्याज खरीदा गया।
महराजगंज: सीमा पर तनाव के बीच भारत ने नेपाल को प्याज के निर्यात पर रोक लगाई तो बढ़ी कीमत ने प्याज के लिए रूला दिया। भारत के प्रतिबंध के बाद 'प्याज के आंसू' रोकने को चीन ने प्याज का निर्यात बढ़ाया है। रसुआ बार्डर के रास्ते नेपाल को प्याज भेज रहा है। इसके बाद भी कीमत में आई तेजी थमने का नाम नहीं ले रही है। काली माटी फ्रूट्स एंड वेजिटेबल मार्केट डवलपमेंट एसोसिएशन के मुताबिक प्याज की कीमत थोक भाव में 120 रुपये किलो पहुंच गई हैं।
प्याज के निर्यात पर 14 सितंबर से भारत द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने से नेपाल में कालाबाजारी शुरू हो गई है। प्याज 150 से 200 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। मूल्य को नियंत्रित करने के लिए नेपाल सरकार द्वारा उठाए गए कदम नाकाफी साबित हो रहे हैं। फुटकर व्यापारी 200 रुपये किलो तक प्याज बेच रहे हैं। प्रतिबंध से पूर्व नेपाल में प्याज 20 से 30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बाजार में उपलब्ध था।
10 व्यापारियों के खिलाफ हुई कार्रवाई
काली माटी फल और सब्जी विकास समिति के सूचना अधिकारी विनय श्रेष्ठ के मुताबिक अब तक कालाबाजारी के आरोप में 10 थोक व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इनकी दुकानों व गोदामों को सील कर तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा गया है।
पहाड़ी इलाकों में सर्वाधिक किल्लत
नेपाल के पहाड़ी जिले गोरखा, पाल्पा, दांग, सल्यान आदि में प्याज ऊंचे दामों पर बिक रहा है। खुदरा सब्जी विक्रेता सरस्वती श्रेष्ठा ने बताया कि शनिवार को 110 रुपये थोक मूल्य से प्याज खरीदा गया। फेडरेशन आफ फ्रूट्स एंड वेजिटेबल एंटर प्रेनन्योर्स के अध्यक्ष खोम प्रसाद धिमरे ने थोक व्यापारियों द्वारा की जा रही कालाबाजारी को अनुचित बताया है।
भारत पर निर्भर है नेपाल का सब्जी बाजार
नेपाल का सब्जी बाजार पूरी तरह से भारत पर निर्भर है। आलू, प्याज सहित अन्य सब्जियों का निर्यात बड़े पैमाने पर भारत से होता है। सोनौली सीमा के रास्ते प्रतिदिन औसतन 100 मालवाहक छोटे-बड़े वाहनों से सब्जियां नेपाल जाती हैं। निर्यात पर प्रतिबंध के बाद प्याज लदे 35 ट्रक सीमा पर रोके गए हैं।
प्याज के निर्यात पर भारत के प्रतिबंध लगाए जाने से नेपाल में कीमत बढ़ गई है। थोक व्यापारियों द्वारा प्याज की जमाखोरी से स्थिति और बिगाड़ती जा रहा है। जब तक भारत से प्याज आना शुरू नहीं हो जाता, सरकार को मूल्य नियंत्रण के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
प्रेमलाल, फोरम आफ कंज्यूमर राइट्स, नेपाल