गोरखपुर रेलवे में अब नहीं दिखेंगे पुराने भवन और उपकरण Gorakhpur News
दरअसल उम्र पूरी हो जाने के बाद रेलवे प्रशासन दफ्तरों भवनों बंगलों क्वार्टरों पानी की टंकियों का उपयोग करना तो छोड़ देता है लेकिन समय से उसका निस्तारण नहीं हो पाता। ऐसे परित्यक्त भवन दुर्घटना को दावत तो देते ही हैं अराजकतत्वों के पनाहगार भी साबित होते हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। पूर्वोत्तर रेलवे परिसर में अब पुराने (परित्यक्त) भवन और कबाड़ हो चुके उपकरण नहीं दिखेंगे। नए साल में मार्च तक सबका निस्तारण सुनिश्चित कर दिया जाएगा। महाप्रबंधक विनय कुमार त्रिपाठी के दिशा-निर्देश पर रेलवे प्रशासन ने कार्य योजना तैयार करनी शुरू कर दी है।
दरअसल, उम्र पूरी हो जाने के बाद रेलवे प्रशासन दफ्तरों, भवनों, बंगलों, क्वार्टरों, पानी की टंकियों का उपयोग करना तो छोड़ देता है, लेकिन समय से उसका निस्तारण नहीं हो पाता। ऐसे परित्यक्त भवन दुर्घटना को दावत तो देते ही हैं, अराजकतत्वों के पनाहगार भी साबित होते हैं। यही नहीं रेलवे के पुराने उपकरण व सामान स्टेशनों, कालोनियों और रेल लाइनों के किनारे पड़े रहते हैं। उनकी नोटिस लेने वाला कोई नहीं होती। आए दिन चोरी की घटनाएं होती रहती हैं। जर्जर होने के बाद उपकरणों की कीमत भी कम हो जाती हैं। नई व्यवस्था से रेलवे परिसर की सफाई तो सुनिश्चित होगी ही आमदनी भी बढ़ेगी।
दफ्तरों और कालोनियों की मैपिंग कराएगा रेलवे
पुराने भवनों व उपकरणों का निस्तारण होने के बाद रेलवे अपनी कालोनियों और दफ्तरों की मैपिंग भी कराएगा। इसके लिए योजना तैयार की जा रही है। मैपिंग के बाद कालोनियों और दफ्तरों की आनलाइन निगरानी हो सकेगी। डिविजन ही नहीं जोन में बैठे अधिकारी भी लोकेशन ले सकेंगे। दरअसल, रेलवे के अभिलेखों में कारखानों, दफ्तरों, प्रशिक्षण केंद्रों तथा रेल म्यूजियम आदि की जानकारी तो मिल जाती है लेकिन उनकी अवस्था का सही आंकलन नहीं हो पाता। मसलन, उनकी भौतिक स्थिति कैसी है, व्यवस्था क्या है, कार्य प्रणाली कैसी है, आदि के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाती। अब जब इनकी ई मैपिंग हो जाएगी तो सबकुछ सामने होगा।
डिजिटल प्लेटफार्म पर होने लगे हैं रेलवे के कार्य
रेलवे के सभी कार्य डिजिटल प्लेटफार्म पर होने लगे हैं। रेलवे बोर्ड का नया निर्देश भी इसी की एक कड़ी है। अब तो रेलवे के दफ्तरों में फाइलों की जगह अब ई आफिस ने ले ली है। स्टेशन ही नहीं रेल लाइनों, रेल पुलों, बिजली के तारों, ट्रेनों के इंजनों, कोचों और वैगनों तक की निगरानी ऑनलाइन शुरू हो गई है। रेल मंत्रालय की पहल पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पूर्वोत्तर रेलवे सहित भारतीय रेलवे के सभी ट्रेनों की निगरानी का बीड़ा उठाया है। इंजनों में जीपीएस सिस्टम भी लगने शुरू हो गए हैं। अब तो ट्रेनों की सटीक जानकारी मिलने लगी है।