जानें- यूपी की इस जेल में क्यों बढ़ रही है विदेशी बंदियों की संख्या Maharajganj News
गोरखपुर जोन की महराजगंज जिला जेल में सबसे अधिक विदेशी बंदी हैं। इसको लेकर जेल की संवेदनशीलता बढ़ गई है।
By Edited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 08:05 AM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 09:43 AM (IST)
महराजगंज, जेएनएन। गोरखपुर जोन की महराजगंज जिला जेल में सबसे अधिक विदेशी बंदी हैं। जिसकी वजह से जेल अति संवेदनशील हो गई है। दक्षिण अफ्रीका, रूस, चीन, इजराइल, चाड, तिब्बत, यूगांडा व उज्वेकिस्तान के आठ बंदी के अलावा नेपाल के 76 बंदी विभिन्न बैरकों में निरुद्ध हैं। इसमें 21 सजायाफ्ता हैं। विदेशी बंदियों की देखरेख के लिए जेल प्रशासन ने विशेष रुप से इंतजाम कर रखा है।
इन बंदियों की चौकसी सबसे अधिक की जाती है। सुरक्षा को देखते हुए इन बंदियों को आम भारतीय बंदियों की बैरकों में नहीं रखा गया है। साढ़े पांच सौ बंदियों की क्षमता वाली जिला जेल में 875 बंदी विभिन्न मामलों में बंद हैं। इन बंदियों में अच्छी खासी तादात विदेशी बंदियों की हैं। नौ देशों के 84 बंदी विभिन्न जिला कारागार में हैं। वर्ष 2014 में सोनौली के पास से पुलिस ने इजराइल के रहने वाले पिन्हास को गिरफ्तार किया। मामला सीजेएम कोर्ट में विचाराधीन है।
ऐसे ही चाड के रहने वाले अलतमीनी, रूस के डेनियार विलदानोव, तिब्बत के तलुस, मध्य अफ्रिका के विषमार्क वकुबा, चीन के ली जीकुन, यूगोंडा के सेवविन्याबेन और उज्बेकिस्तान की महिला बंदी दिलाफिरोज विचाराधीन बंदी के रूप में बंद है। इन पर मादक पदार्थ की तस्करी, बिना पासपोर्ट भारत में आने व धोखाधड़ी का आरोप है। इसके साथ ही नेपाल के 76 महिला व पुरुष बंदी विभिन्न मुकदमों में निरुद्ध है। दो महिला सहित 21 नेपाली नागरिकों को सजा सुनाई जा चुकी है।
नेपाली बंदी को छोड़कर बाकी आठ देशों के बंदियों को आम भारतीय बंदियों से अलग रखा जाता है। विदेशी बंदी एक ही बैरक में रखा गया है। बंदी रक्षकों के अलावा राइटर विदेशी बंदियों के साथ रखे जाते है। सुरक्षा का विशेष ध्यान दिया जा रहा है। केंद्रीय जेलों को छोड़ दिया जाए तो यूपी के किसी जेल में इतने विदेशी बंदी नहीं हैं।
इनकी सुरक्षा, भोजन पर विशेष ध्यान रख जा रहा है। बैरक भी अलग किए गए हैं। - एके सिंह, जेल अधीक्षक, महराजगंज
इन बंदियों की चौकसी सबसे अधिक की जाती है। सुरक्षा को देखते हुए इन बंदियों को आम भारतीय बंदियों की बैरकों में नहीं रखा गया है। साढ़े पांच सौ बंदियों की क्षमता वाली जिला जेल में 875 बंदी विभिन्न मामलों में बंद हैं। इन बंदियों में अच्छी खासी तादात विदेशी बंदियों की हैं। नौ देशों के 84 बंदी विभिन्न जिला कारागार में हैं। वर्ष 2014 में सोनौली के पास से पुलिस ने इजराइल के रहने वाले पिन्हास को गिरफ्तार किया। मामला सीजेएम कोर्ट में विचाराधीन है।
ऐसे ही चाड के रहने वाले अलतमीनी, रूस के डेनियार विलदानोव, तिब्बत के तलुस, मध्य अफ्रिका के विषमार्क वकुबा, चीन के ली जीकुन, यूगोंडा के सेवविन्याबेन और उज्बेकिस्तान की महिला बंदी दिलाफिरोज विचाराधीन बंदी के रूप में बंद है। इन पर मादक पदार्थ की तस्करी, बिना पासपोर्ट भारत में आने व धोखाधड़ी का आरोप है। इसके साथ ही नेपाल के 76 महिला व पुरुष बंदी विभिन्न मुकदमों में निरुद्ध है। दो महिला सहित 21 नेपाली नागरिकों को सजा सुनाई जा चुकी है।
नेपाली बंदी को छोड़कर बाकी आठ देशों के बंदियों को आम भारतीय बंदियों से अलग रखा जाता है। विदेशी बंदी एक ही बैरक में रखा गया है। बंदी रक्षकों के अलावा राइटर विदेशी बंदियों के साथ रखे जाते है। सुरक्षा का विशेष ध्यान दिया जा रहा है। केंद्रीय जेलों को छोड़ दिया जाए तो यूपी के किसी जेल में इतने विदेशी बंदी नहीं हैं।
इनकी सुरक्षा, भोजन पर विशेष ध्यान रख जा रहा है। बैरक भी अलग किए गए हैं। - एके सिंह, जेल अधीक्षक, महराजगंज
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