अब गोरखपुर में ही होगा डीएनए परीक्षण, 18 जिलों को लखनऊ जाना बंद Gorakhpur News
एफएसएल गोरखपुर में पहले जीव विज्ञान अथवा रक्त विज्ञान से संबंधित जांच की सकती थी। रक्त विज्ञान में हत्या से जुड़े मामलों की जांच होती है। अपराध के दौरान घटनास्थल पर मिले कपड़े आदि की जांच के जरिये जाना जा सकता है।
गोरखपुर, जेएनएन। डीएनए परीक्षण के लिए गोरखपुर व वाराणसी जोन के 18 जिलों के लोगों को अब लखनऊ नहीं जाना होगा। गोरखपुर के विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) में पहली अप्रैल से डीएनए का परीक्षण शुरू हो चुका है। डीएनए के परीक्षण के लिए यहां गोरखपुर-वाराणसी जोन के 21 सैंपल भी सामने आ चुके हैं। अभी पर्याप्त विशेषज्ञ न होने के कारण इसकी जांच में देरी हो रही है। लेकिन जल्द ही यहां पर डीएनए की जांच भी शीघ्रता होने लगेगी। इससे अपराधियों पर शिकंजा कसना भी आसान होगा।
जांच में लगता था समय
बता दें डीएनए शरीर की जन्मकुंडली की भांति होता है। इसकी जांच से जाना जा सकता है कि अपराध करने के दौरान अपराधी के जैविक हिस्से ( जैसे बाल, नाखून, वीर्य, थूक, खून आदि) के जरिये उसकी मौजूदगी की पुष्टि होती है। उस आधार पर अपराधी पकड़े जाते हैं। इसके अलावा भी कई राज खुलते हैं। पहले इसकी जांच की व्यवस्था सिर्फ एफएसएल लखनऊ के पास थी। वहां पूरे प्रदेश की नमूने जांच के लिए जाते थे, इससे वहां जांच में काफी वक्त भी लगता था। जांच में अधिक वक्त लगने से कई बार अपराधियों का पकड़ा जाना कठिन रहता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। एफएसएल में इसकी जांच शुरू होने से तमाम अबूझ पहेलियां समय रहते सुलझ सकेंगीं। इतना ही नहीं डीएनए के परीक्षण से यह भी जाना जा सकता है कि माता की कोई जैविक बीमारी बच्चे में तो नहीं पहुंच गई। सगे संबंधी अथवा कोई खून का रिश्तेदार है या नहीं, ये भी डीएनए की जांच से जाना जा सकता है। इसके अलावा भी बहुत सी जांचें की जा सकती है।
पहले यह थी व्यवस्था
एफएसएल गोरखपुर में पहले जीव विज्ञान अथवा रक्त विज्ञान से संबंधित जांच की सकती थी। रक्त विज्ञान में हत्या से जुड़े मामलों की जांच होती है। अपराध के दौरान घटनास्थल पर मिले कपड़े आदि की जांच के जरिये जाना जा सकता है कि कपड़ों पर गिरा खून किस व्यक्ति का है। जबकि जीव विज्ञान में दुष्कर्म के मामलों की जांच होती है। एफएसएल गोरखपुर में बीते एक अगस्त से पांच से अधिक रक्त विज्ञान व जीव विज्ञान से संबंधित जांचें हों चुकी हैं। गोरखपुर के विधि विज्ञान प्रयोगशाला के उपनिदेशक सुरेश चंद्रा का कहना है कि लखनऊ पर नमूने का लोड अधिक होने के कारण परिणाम आने में काफी वक्त लगता है, लेकिन यहां अभी कोई लोड नहीं है। यहां संख्या बल की कमी है, यहां डीएनए जांच के लिए सिर्फ दो ही वैज्ञानिक हैं। इसके लिए कम से कम चार से पांच वैज्ञानिक चाहिए। यहां अभी डीएनए जांच के लिए जितने भी नमूने आए हैं, अभी उनका परिणाम नहीं आया है। जांच प्रक्रियाधीन है।