Move to Jagran APP

यहां पानी में घुसकर इसलिए जाते हैं बच्चे, जानिए क्या है कारण

इस गांव के लिए सड़क तो है नहीं, पुलिया तक नहीं है। स्कूली बच्चों को प्रतिदिन पानी में घुसकर जाना पड़ रहा है। अब तक यह लाइलाज समस्या है।

By Edited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 09:10 AM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 09:10 AM (IST)
यहां पानी में घुसकर इसलिए जाते हैं बच्चे, जानिए क्या है कारण
यहां पानी में घुसकर इसलिए जाते हैं बच्चे, जानिए क्या है कारण
गोरखपुर, (जेएनएन)। कैसा विकास, आधुनिकता का कौन सा दौर। बस्ती जिले के रुधौली विकास खंड के ग्राम पंचायत पेड़ा के चौधरी पुरवा के ग्रामीण कुछ नहीं जानते। इस मौजे को अभी तक विकास के नाम पर एक पुलिया और ग्रामीणों के चलने लायक एक सड़क तक नहीं मिल सकी है। गांव से बाहर निकलने के लिए बारह महीने पानी में घुसकर ही जाना पड़ता है। सर्वाधिक मुसीबत बच्चों के लिए है। उन्हें अपना भविष्य संवारने के लिए रोज स्कूल तक आना-जाना पड़ रहा है। अभिभावक अपने मासूमों को कंधों पर बैठाकर इस पार से उस पार पहुंचाते हैं। कुछ बड़े बच्चे खुद घुटनों तक कपड़े बटोर कर पानी में घुसकर आ-जा रहे हैं।
दो तहसीलों का सीमावर्ती है यह गांव दर असल विकास क्षेत्र के ग्राम पंचायत पेड़ा का चौधरी पुरवा दो तहसीलों का सीमावर्ती गांव है। ऐसे में एक तरफ दो ग्राम पंचायतों के बीच सीमा विवाद और दूसरी सबसे बड़ी बात कि जनप्रतिनिधि और प्रशासन की ओर से कभी कोई पहल न होने के कारण ही इसका विकास नहीं हो पा रहा है। गांव के बाहर तालाब है। उसके बाद स्कूल है। स्कूल जाने के लिए तालाब के पानी से होकर जाना ही पड़ेगा। क्योंकि स्कूल पहुंचने के लिए कोई पगडंडी नहीं है।
यहां पुलिया तक नहीं दोनो गांवों के बीच में यदि पुलिया का निर्माण हो जाता तो आने-जाने में काफी सुविधा होती। मगर सड़क को कौन कहे यहां एक पुलिया तक नहीं बन सकी। जिम्मेदारों ने कभी ग्रामीणों और बच्चों की पीड़ा को समझा ही नहीं। अब पानी में घुसकर स्कूल तक पहुंचना बच्चों की नियति बन गई है। बच्चे इसके अभ्यस्त भी हो चुके हैं। दूसरी सड़क से जाने के लिए ढाई किमी अतिरिक्त दूरी इसके अलावा दूसरे मार्ग का सहारा ले तो 2 से 2.5 किमी दूरी अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ेगी। आए दिन यहां अनहोनी को दावत दी जा रही है। घुटने भर पानी में घुसकर बच्चे, महिलाएं और पुरुष आने-जाने को विवश हैं। बरसात के मौसम में तो पानी का बहाव तेज रहता है।
ऐसे में सभी बच्चे एक दूसरे का हाथ पकड़ कर इस रास्ते को पार करते हैं। जब तक यह बच्चे घर नहीं पहुंचते तब तक अभिभावकों को ¨चता बनी रहती है। कुछ अभिभावक स्कूल आने जाने के समय खुद सक्रिय होकर बच्चों को रास्ता पार कराते हैं। ग्रामीणों का है यह दर्द राजेंद्र, रामस्वरूप भजन, राजू कृष्ण कुमार, राम प्रसाद, राम बुझारत, राम सजीवन, चंद्रमा, शिवपूजन ने कहा कि हम लोग इतने सक्षम नहीं हैं कि अपने बच्चों को वाहन से स्कूल भेज सकें। इस रास्ते उन्हें ले आना ले जाना मजबूरी है। बहुत जनप्रतिनिधि आए वोट लेकर चले गए। लेकिन किसी ने हमारी समस्या का समाधान नहीं निकाला।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.