World TB Day 2021: कोरोना ही नहीं टीबी के लिए भी अचूक अस्त्र है मास्क व शारीरिक दूरी
टीबी रोग के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है। टीबी का उन्मूलन संभव है बशर्ते इसके लिए सभी लोग जागरूक हों और दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी आने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना आया तो लोगों ने सावधानियां बरतनी शुरू की। मास्क लगाने व शारीरिक दूरी बनाकर रहने से सिर्फ कोरोना का नियंत्रण नहीं हुआ बल्कि क्षय रोग (टीबी) के मामलों में भी कमी आई। 2019 की अपेक्षा 2020 में टीबी के लगभग तीन हजार रोगी कम मिले। जबकि इसके पूर्व 2014 से लगातार टीबी के मरीजों की संख्या बढ़ रही थी।
वर्ष 2020 कोरोना के नाम रहा। कोरोना का पहला मरीज 26 अप्रैल 2020 को मिला था लेकिन सतर्कता लोगों ने जनवरी से ही बरतनी शुरू कर दी थी। क्योंकि यह महामारी चीन में फैल चुकी थी और वहां एमबीबीएस करने वाले छात्र-छात्राएं जनवरी में वहां से लौटने लगे थे। चूंकि टीबी रोग भी मरीजों के संपर्क में रहने से फैलता है। ऐसे में इसका संक्रमण रोकने मास्क व शारीरिक दूरी के पालन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जागरूकता से संभव है टीबी का उन्मूलन
टीबी रोग के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है। टीबी का उन्मूलन संभव है, बशर्ते इसके लिए सभी लोग जागरूक हों और दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी आने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें। टीबी की जांच व दवाएं सरकारी अस्पतालों में निश्शुल्क मिलती हैं। सरकार व स्वास्थ्य विभाग इसके लिए कमर कस चुका है, जरूरत है हमारे सहयोग की। इसके लिए शहर में नंदानगर में 100 बेड का टीबी अस्पताल भी बना है। जिला अस्पताल व मेडिकल कालेज में सीबीनैट जांच होती है। रिपोर्ट पाजिटिव आने पर तत्काल इलाज शुरू हो जाता है।
टीबी मरीजों के आंकड़े (2019 व 2020)
2019 (जब कोरोना नहीं था)
11254 मरीज मिले
9887 लोग ठीक हो गए
498 मरीजों की मौत हो गई
869 उपचाराधीन
2020 (जब कोरोना था)
8305 मरीज मिले
3734 लोग स्वस्थ हुए
366 मरीजों की मौत हो गई
4205 उपचाराधीन
टीबी मरीजों की संख्या वर्षवार
2014 - 4149
2015 - 4592
2016 - 7574
2017 - 5163
2018 - 7065
2019 - 11254
2020 - 8305
कहां पाए गए कितने मरीज
मलिन बस्ती- 40 फीसद
इंडस्ट्रीयल एरिया- 20 फीसद
घनी आबादी- 20 फीसद
ईट-भट्टा- 5 फीसद
वृद्धाश्रम- 3 फीसद
जेल- 2 फीसद
अन्य- 10 फीसद
टीबी के कारण
गंदगी
प्रदूषण
संक्रमण
कुपोषण
व्यक्तिगत साफ-सफाई न करना
संक्रामक व्यक्ति का सानिध्य
लक्षण
दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी आना
शाम को पसीने के साथ बुखार आना
भूख न लगना
दिन-प्रतिदिन वजन कम होना
खांसी के समय बलगम के साथ खून आना
बचाव
दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी आने पर डाक्टर को दिखाएं
टीबी होने पर रुमाल से मुंह ढंककर रहें
व्यक्तिगत साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें
अपने आसपास गंदगी न होने दें
बलगम को राख में रखें और बाद में गड्ढे में दबा दें
सामान्य लोग टीबी मरीज के पास मास्क लगाकर जाएं
टीबी के समूल उन्मूलन के लिए सघन अभियान चलाया जा रहा है। हर मरीज का निश्शुल्क इलाज व पौष्टिक आहार के लिए उसे प्रति माह 500 रुपये भी दिए जा रहे हैं। पिछले वर्ष कोरोना के चलते लोगों ने विशेष सावधानी बरती, इसलिए टीबी मरीजों की संख्या कम हुई। - डा. रामेश्वर मिश्रा, जिला क्षय रोग नियंत्रण अधिकारी