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प्रदूषण मुक्त होंगे पूर्वोत्तर रेलवे के स्टेशन, पर्यावरण का होगा संरक्षण- तैयार होगा ग्रीन बेल्ट

रेलवे स्टेशनों की आबोहवा प्रदूषित नहीं होगी। अब धूल कण भी नहीं दिखेंगे। गोरखपुर सहित यूपी में तेजी के साथ बढ़ते वायु प्रदूषण को गंभीरता से लेते हुए रेलवे प्रशासन नकहा और बस्ती सहित लखनऊ और इज्जतनगर मंडल के दस स्टेशनों पर वाटर स्प्रिंकलिंग सिस्टम लगाने का निर्णय लिया है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Sun, 21 Nov 2021 07:02 AM (IST)Updated: Sun, 21 Nov 2021 07:02 AM (IST)
प्रदूषण मुक्त होंगे पूर्वोत्तर रेलवे के स्टेशन, पर्यावरण का होगा संरक्षण- तैयार होगा ग्रीन बेल्ट
प्रदूषण मुक्त होंगे पूर्वोत्तर रेलवे के स्टेशन। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, प्रेम नारायण द्विवेदी। रेलवे स्टेशनों की आबोहवा प्रदूषित नहीं होगी। अब धूल कण भी नहीं दिखेंगे। गोरखपुर सहित यूपी में तेजी के साथ बढ़ते वायु प्रदूषण को गंभीरता से लेते हुए रेलवे प्रशासन नकहा और बस्ती सहित लखनऊ और इज्जतनगर मंडल के पांच-पांच सहित कुल दस स्टेशनों पर वाटर स्प्रिंकलिंग सिस्टम लगाने और डस्ट स्क्रीन वाल के निर्माण का निर्णय लिया है। वाटर स्प्रिंकलिंग सिस्टम से धूल हवा में जाने से पहले पानी के साथ जमीन पर आ जाएंगे। डस्ट स्क्रीन वाल धूल को बाहर फैलने नहीं देंगे। इसके अलावा इन स्टेशनों पर पौधा रोपण कर ग्रीन बेल्ट भी तैयार किया जाएगा।

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कुल बजट का एक फीसद खर्च करेगा रेलवे

फिलहाल, पर्यावरण के प्रति अहम कदम उठाते हुए रेलवे ने कुल बजट का एक फीसद खर्च करने का निर्णय लिया है। महाप्रबंधक की हरी झंडी के बाद लखनऊ, वाराणसी और इज्जतनगर मंडल में 25 तरह के कार्य स्वीकृत किए गए हैं। जिसमें वाटर स्प्रिंकलिंग सिस्टम लगाने और डस्ट स्क्रीन वाल के अलावा वाटर री-साइकिलिंग प्लांट, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, वाटर ड्रैनेज सिस्टम, ग्रीन बेल्ट, ग्रीन रेटिंग, थ्री कलर डस्टबीन, आटोमेटिक कंपोस्टर मशीन, जीरो वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम, लो कास्ट एयर क्वालिटी मानीटरिंग मशीन और एयर पोलुशन कंट्रोल सिस्टम शामिल है। इन कार्यों के लिए 19 करोड़ दस लाख रुपये का बजट आवंटित हो गया है।

मालगोदामों की वजह से उडते रहते हैं धूलकण

दरअसल, मालगोदामों के चलते रेलवे स्टेशनों, आसपास की रेलवे व प्राइवेट कालोनियों की हवा में धूलकण तैरते रहते हैं। सीमेंट और कोयले आदि की ढुलाई के चलते वातावरण प्रदूषित रहता है। स्थानीय लोगों के अलावा रेल यात्रियों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

यहां लगेंगे वाटर स्प्रिंकलिंग सिस्टम व डस्ट स्क्रीन वाल

- नकहा, बस्ती, कटरा, थामसनगंज, सुभागपुर, काशीपुर, रुद्रपुर सिटी, फर्रुखाबाद, पीलीभीत और काशगंज।

यहां लगेंगे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

- लखनऊ जंक्शन, आजमगढ़, बलिया, बेल्थरा रोड, भटनी, छपरा, देवरिया, मऊ, खोरासन रोड, वाराणसी सिटी, काठगोदाम, हल्द्वानी, लालकुआं, काशीपुर, रुद्रपुर सिटी, फर्रुखाबाद, कन्नौज, पीलीभीत और कासगंज

यहां लगेंगे वाटर ड्रैनेज सिस्टम

- नकहा, बस्ती, कटरा, थामसनगंज, सुभागपुर, काशीपुर, रुद्रपुर सिटी, फर्रुखाबाद, पीलीभीत और कासगंज।

यह भी जानें

- गोरखपुर और लखनऊ जंक्शन पर तैयार होंगे री-साइकिलिंग प्लांट। गोरखपुर में न्यू कोचिंग डिपो में एक प्लांट कार्य करने लगा है।

- वाराणसी मंडल के 70 स्टेशनों पर रखे जाएंगे तीन कलर डस्टबीन, आजमगढ, बेल्थरा, गाजीपुर सिटी, देवरिया व खाेरासन रोड, मऊ, छपरा, सिवान, वाराणसी सिटी, बलिया और भटनी में लगेंगी आटोमेटिक कंपोस्टर मशीन। -

- छपरा में लगेगा जीरो वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम और 12 स्टेशनों पर लगेगी लो कास्ट एयर क्वालिटी मानीटरिंग मशीन।

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम कर रहा रेलवे

पूर्वोत्‍तर रेलवे के मुख्‍य जन संपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह बताते हैं कि पूर्वोत्तर रेलवे को हरित रेलवे के रूप में विकसित करने के लिए पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अनेक कार्य किए जा रहे हैं। इसी क्रम में वाटर री- साइक्लिंग प्लांट, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, वाटर स्प्रिंकलर, ऑटोमेटिक कंपोस्टर मशीन, ग्रीन बेल्ट इत्यादि कार्य स्वीकृत किए गए हैं।


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