indo nepal border issue: मानचित्र में बदलाव पर नेपालियों ने ही उठाए सवाल Gorakhpur News
भारत-नेपाल के बीच हालिया सीमा विवाद को लेकर नेपाल के मैदानी क्षेत्र में सुगबुगाहट तेज हो गई है। नेपाल का मधेशी समुदाय किसी भी स्थिति में भारत से टकराव नहीं चाहता है।
गोरखपुर, जेएनएन। नेपाल के मानचित्र में बदलाव को लेकर संसद में पेश संविधान संशोधन विधेयक पर वहीं के मधेशी समुदाय ने सवाल खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि कोई भी बात या तथ्य प्रमाणिकता के आधार पर होनी चाहिए। लिपुलेख, कालापानी व लिपियाधुरा मुद्दे पर भारत को दोषी ठहराना बिल्कुल गलत है।
बोले, भारत बड़ा भाई, किसी भी स्थिति में टकराव ठीक नहीं
भारत-नेपाल के बीच हालिया सीमा विवाद को लेकर नेपाल के मैदानी क्षेत्र में सुगबुगाहट तेज हो गई है। भारत को बड़ा भाई मानने वाला नेपाल का मधेशी समुदाय किसी भी स्थिति में भारत से टकराव नहीं चाहता है। मानचित्र में बदलाव के मसले पर जब उनकी राय ली गई तो वह भारत के पक्ष में नजर आए।
नेपाल की संसद में पेश संविधान संशोधन विधेयक औचित्यहीन
रूपन्देही जिले के मर्चवार क्षेत्र से कांग्रेसी विधायक अष्टभुजा पाठक ने नए नक्शे के औचित्य पर ही सवाल खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि हम सरकार से पूछ रहे हैं कि पुराने नक्शे में क्या कमी थी, जिसे बदलने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश करना पड़ा। नया मानचित्र जारी करने का रहस्य क्या है। नेपाल की राष्ट्रीय जनता समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता महेंद्र यादव ने कहा कि जो भूभाग जिस देश का है उसे मिलना चाहिए। इस मुद्दे पर भारत को गाली देना ठीक नहीं हैं। सीमा विवाद संबंधी जो भी मसला है, उसे दोनों देश के जिम्मेदार लोगों को मिल-बैठकर सुलझा लेना चाहिए।
इन्हें कहते हैं मधेशी
नेपाल के दक्षिणी भाग के मैदानी क्षेत्र में बसे लोगों को मधेशी कहा जाता है। मधेशी मूल के नेपाली और पूर्व उत्तर प्रदेश व बिहार के सीमावर्ती लोगों में काफी समानता है। मधेशी मूल के लोग अपने बेटे-बेटियों की शादी भी भारत के सीमाई इलाकों में करते हैं।
मधेश में शामिल हैं 22 जिले
नेपाल का झापा, मोरंग, सुनसरी, सप्तसरी, किरहा, धनुषा, भोजपुर, इलम, मोहतरी, सरलाही, रौतहट, बारा, परसा, चितवन, नवलपरासी, रूपन्देही, कपिलवस्तु, दांग, बांके, बरदिया, कैलाली व कंचनपुर जिला मधेश में शामिल है। यहां का रहन-सहन, बोली-भाषा पहाड़ी क्षेत्र से बिल्कुल अलग है। इसको लेकर पहाड़ी व मैदानी क्षेत्र के लोगों में समय-समय पर टकराव की स्थिति भी उत्पन्न होती रही है।