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गोरखपुर के चिडिय़ाघर के नवाब 'पटौदी' को पसंद नहीं गंदे नाखून

शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान (चिडिय़ाघर) गोरखपुर की कैद में भी बब्बर शेर नवाब पटौदी और मरियम का नवाबी अंदाज कायम है। जंगल में रहने वाले शेरों की ही तरह उन्हें भी गंदे नाखून पसंद नहीं हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 20 Jul 2021 12:45 PM (IST)Updated: Tue, 20 Jul 2021 12:45 PM (IST)
गोरखपुर स्‍थ‍ित चिडिय़ाघर का टाइगर। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। शेर को यूं ही जंगल का राजा नहीं कहा जाता, बल्कि उसका अंदाज-ए-बयां और रहन-सहन भी राजशाही होता है। उसे गंदगी पसंद नहीं हैं। इसीलिए कीचड़ से दूर रहना उसकी फितरत में शामिल है। शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान (चिडिय़ाघर) की कैद में भी बब्बर शेर पटौदी और मरियम का यह नवाबी अंदाज कायम है। जंगल में रहने वाले शेरों की ही तरह उन्हें भी गंदे नाखून पसंद नहीं हैं। पंजा और नाखून शेर के लिए सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है।

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कीचड़ से दूर रहना बब्बर शेर की फितरत में है शामिल

चिडिय़ाघर के पशु चिकित्साधिकारी डा. योगेश प्रताप सिंह बताते हैं कि शेर के पंजे की बनावट ऐसी होती है कि उसमें बहुत जल्दी संक्रमण फैल जाता है। कीचड़ लगने इसकी आशंका काफी अधिक होती है। पंजे का संक्रमण तेजी से नाखूनों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। संक्रमण होने की दशा में शेर के लिए मुश्किल हो जाता है। इसलिए उन्हें सुरक्षित रखने के प्रति वह हमेशा सजग रहता है। यह नसीहत उसे प्राकृतिक रूप से मिली हुई है। यही वजह है कि दो दिन हुई लगातार बारिश के बाद बाड़े में कई जगह कीचड़ जमा हो जाने की वजह से पटौदी और मरियम दड़बे से बाहर नहीं निकल रहे हैं।

जंगल में कीचड़ से बचाने के लिए अपनाते हैं कई तरीके

डा. योगेश बताते हैं कि प्राकृतिक रूप से शेर ऐसी जगहों पर पाए जाते हैं जहां बारिश कम होती है और यदि बारिश होती भी है तो वहां न तो पानी जमा होता है और न ही कीचड़। भारत में गिर के जंगलों में शेरों की रिहाइश होना इसका उदाहरण है। जंगल में रहने वाले शेर बारिश के सीजन में ऊंचाई वाले स्थानों की तरफ चले जाते हैं। तराई के कुछ जंगलों में भी भी शेर पाए जाते हैं। इन जंगलों में बड़ी मात्रा बेत की झाडिय़ां होती हैं। इन झाडिय़ों में कीचड़ नहीं जमा होता है। इसीलिए इन जंगलों में रहने वाले शेर बारिश होने पर बेत की झाडिय़ों के बीच चले जाते हैं।

जलाशय में पानी पीने के दौरान रखते हैं सावधानी

जंगल के जलाशय में पानी पीने के दौरान भी पैर में कीचड़ लगने को लेकर बब्बर शेर सावधान बरतता है। चिडिय़ाघर के निदेशक डा. एच राजामोहन बताते हैं कि जलाशय के किनारे यदि कीचड़ जमा होता है तो शेर आमतौर से जलाशय में उतरकर पानी पीता है। पानी पीने के बाद छलांग लगाकर बाहर निकलता है, ताकि पैरों में कीचड़ न लगे। किनारा सूखा होने पर ही वह जलाशय से बाहर खड़ा होकर पानी पीता है। मगरम'छ का शिकार करने के दौरान भी शेर कीचड़ को लेकर पूरी तरह से सावधान रहता है।


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