Move to Jagran APP

पुआल व डंटल से घर बनाकर दुनिया भर में बनाई पहचान, गोरखपुर की युवा वैज्ञानिक श्रिति सैकड़ों को दे रहीं रोजगार

दुनिया भर में अपनी अलग पहचान बनाने वाली गोरखपुर की युवा वैज्ञानिक श्रिति गेहूं के डंठल व धान के पुआल से बने पैनल से मकान बना रहीं हैं। यह कार्य उन्होंने 2017 में शुरू किया। आज वे बेरोजगारों को रोजगार देने का काम कर रही हैं।

By Rakesh RaiEdited By: Pragati ChandPublished: Fri, 30 Sep 2022 04:14 PM (IST)Updated: Fri, 30 Sep 2022 04:14 PM (IST)
पुआल व डंटल से घर बनाकर दुनिया भर में बनाई पहचान, गोरखपुर की युवा वैज्ञानिक श्रिति सैकड़ों को दे रहीं रोजगार
अपने सहयोगियों के साथ गोरखपुर की युवा वैज्ञानिक श्रिति। सौ. स्वयं

गोरखपुर, डॉ. राकेश राय। नवाचार से अपना नाम करने वाले तो बहुतेरे होंगे पर उसके जरिये सीधे तौर पर लोगों को रोजगार की राह दिखाने वालों की संख्या कम ही होगी। गोरखपुर शहर के हरिओम नगर कालोनी की रहने वाली युवा वैज्ञानिक श्रिति पांडेय इसकी मिसाल है। उन्होंने पहले ऐसा नवाचार किया, जिससे उन्हें दुनिया भर में पहचान मिली और अब वह रोजगार देकर बेरोजगारों को पहचान दिलाने में जुटी है। अपने नवाचार के जरिये श्रिति अबतक प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष और स्थायी-अस्थाई रूप से करीब 1000 लोगों को रोजगार उपलब्ध करा चुकी हैं।

loksabha election banner

2017 में श्रिति के इस काम से हैरान रह गए लोग

श्रिति ने 2017 में गेहूं के डंठल और धान के पुआल व भूसी से एग्रो पैनल तैयार किया और उससे कम लागत में टिकाऊ मकान बनाकर पूरी दुनिया को चकित कर दिया। उनका यह नवाचार संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सराहा गया। संघ ने इस प्रयोग के लिए उन्हें सम्मानित भी किया। नवाचार से नाम का सिलसिला यहीं नहीं थमा, मशहूर अमेरिकी बिजनेस पत्रिका ’फोर्ब्स ने इसी नवाचार के लिए श्रिति को एशिया के टाप-30 युवा वैज्ञानिकों में स्थान दिया।

श्रिति ने 2018 में शुरू किया स्टार्टअप

सफलता और सम्मान से उत्साहित श्रिति ने अपने नवाचार को कार्यरूप में लाने के लिए 2018 में स्ट्राक्चर इको प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी बनाई और स्टार्टअप शुरू किया, जिसे प्रदेश सरकार ने भी अपनी स्टार्टअप सूची में शामिल किया। कंपनी बनते ही उन्हें काम मिलने लगा और उसके जरिये बेरोजगारों को रोजगार। कंपनी को मिले प्रोजेक्ट के जरिये श्रिति अपनी 22 सदस्यीय टीम के साथ बिहार के पटना और नागालैंड के दीमापुर में अपने एग्री पैनल से अस्पताल बना चुकी है।

युवाओं को रोजगार दिलाने की परी कोशिश

उड़ीसा के पंड्रीपारा और महाराष्ट्र के पुणे में उनकी कंपनी द्वारा निर्माण कार्य आज भी चल रहा है, जिसे सीधे तौर पर करीब 500 लोग जुड़कर काम कर रहे हैं। मकान निर्माण के दौरान 500 से अधिक कुशल श्रमिकों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला हुआ है। बकौल श्रिति उनकी कोशिश होती है कि जहां कंपनी का काम चल रहा है, वहां के स्थानीय युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जाए। श्रीति का स्टार्टअप अब उद्योग का रूप ले चुका है।

ये है श्रिति का नवाचार

श्रिति पांडेय ने गेहूं के डंठल, धान के पुआल और भूसे से कंप्रेस्ड एग्री फाइबर पैनल बनाया है। इस पैनल से मकान तैयार करने पर लागत काफी कम आती है, साथ ही उसकी आयु भी लंबी होगी। श्रिति ने बताया कि डंठल और पुआल का निस्तारण न हो पाने की स्थिति में किसान उसे जला देते हैं। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति तो प्रभावित होती ही है, पर्यावरण भी दूषित होता है। इस प्रयोग के व्यवसाय के धरातल पर आते ही किसानों को अपने फसलों के अवशेषों से भी आय होगी।

न्यूयार्क यूनिवर्सिटी से कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट में एमबीए हैं श्रिति

महात्मा गांधी कालेज के प्रबंधक मंकेश्वर नाथ पांडेय की बेटी श्रिति पांडेय ने वर्ष नोएडा के एक गाजियाबाद के एक इंजीनियरिंग कालेज से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद न्यूयार्क यूनिवर्सिटी से कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट में मास्टर की डिग्री हासिल की। डंठल और पराली से एग्रो पैनल बनाने का तरीका उन्होंने चेक रिपब्लिक जाकर सीखा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.