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गोरखपुर पुस्तक मेले में हाथों-हाथ बिक गईं नाथ पंथ की किताबें Gorakhpur News

गोरखपुर महोत्सव के पुस्तक मेले में नाथ पंथ पर लिखी किताबों की खूब डिमांड रही। यह किताबों मेले से हाथों-हाथ उठ गईं। राजकमल प्रकाशन की चार किताबों की ओर पाठकों को विशेष रुझान रहा। गोरखनाथ जीवन दर्शन की 42 प्रतियां बिक गई।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 01:10 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 01:10 PM (IST)
गोरखपुर का गुरु गोरक्षनाथ मंदिर। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर महोत्सव के तहत चंपा देवी पार्क में लगे पुस्तक मेले का शनिवार को समापन हो गया। मेले की खास बात यह रही कि इसमें नाथ पंथ पर लिखी किताबों की खूब डिमांड रही। यह किताबों मेले से हाथों-हाथ उठ गईं। राजकमल प्रकाशन की चार किताबों की ओर पाठकों को विशेष रुझान रहा।

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राजकमल प्रकाशन के सेल्स मैनेजर के मुताबिक कन्हैया सिंह की लिखी किताब गोरखनाथ : जीवन दर्शन की 42 प्रतियां बिक गई तो हजारी प्रसाद द्विवेदी की नाथ संप्रदाय 48 प्रतियों को लोगों ने खरीदा। डा. रमाशंकर मिश्र की पुस्तक गोरखनाथ की भी खासी डिमांड रही। इसकी 44 प्रतियां मेले के स्टाल से बिकीं। अर्थ सहित गोरखवाणी की तो इतनी मांग रही कि प्रकाशक को इसे दो बार मंगाना पड़ा। सेल्स मैनेजर के मुताबिक इसकी करीब 70 से अधिक प्रतियां बिक गईं। परशुराम चतुर्वेदी की पुस्तक उत्तर भारत की संत परंपरा के प्रति भी पाठकों का खासा रुझान रहा। धर्मवीर भारती की सिद्ध साहित्य भी खूब बिकी।

रागदरबारी और चित्रलेखा का बरकरार है क्रेज

श्रीलाल शुक्ल की रागदरबारी और भगवती चरण वर्मा की चित्रलेखा की बिक्री के आंकड़े यह बताते हैं कि पाठकों में इनका क्रेज अभी भी बरकरार है। दोनों ही किताबों की 50 से अधिक प्रतियां मेले के स्टाल से बिकीं। भीष्म साहनी की तमस और रामधारी सिंह दिनकर की रश्मिरथी को पाठकों ने उत्साह के साथ खरीदा। कुमार विश्वास के कविता संग्रह के प्रति भी पाठकों का उत्साह देखा गया। तस्लीमा नसरीन की लज्जा और नरेंद्र कोहली महासमर व शिखंडी को भी खूब खरीदार मिले।

गीता प्रेस के स्टाल से युवाओं ने खूब खरीदा गीता

शहर में गीता प्रेस का आउटलेट होने के बावजूद पुस्तक मेले में इसके स्टाल पर बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और पुस्तकें खरीदीं। रामचरित मानस और गीता को बड़ी संख्या में लोगों ने खरीदा। स्टाल के प्रबंधकों को इन दोनों ही पुस्तकों को कई बार मंगाना पड़ा। गीता के प्रति युवाओं का विशेष आकर्षण रहा। बहुत से युवाओं ने अर्थ सहित गीता खरीदी। अति निम्न आकार की गीता, जिसकी कीमत महज 10 रुपये थी, लोगों ने खूब खरीदा।

कड़ाके की ठंड के बावजूद लोग पुस्तक मेले में पहुंचे और खरीदारी की। इससे जाहिर होता है कि किताबों के प्रति पाठकों की भूख अभी भी बरकरार है। नाथ पंथ की किताबों को लोगों ने काफी उत्साह के साथ खरीदा। - राम सिंह, सेल्स मैनेजर, राजकमल प्रकाशन

गोरखपुर महोत्सव में आने वाले हर व्यक्ति के कदम पुस्तक मेले में भी पड़े। लोगों ने अपनी रुचि की किताबेें खरीदीं। बिक्री को बहुत संतोषजनक तो नहीं कहा जा सकता लेकिन बहुत निराशाजनक स्थिति भी नहीं रही। - दिनेश, सेल्स मैनेजर, वाणी प्रकाशन।


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