Lockdown 4: भीगी पलकों से रमजान को कहा अलविदा, घरों में अदा की गई जोहर की नमाज Gorakhpur News
जुमे की अंतिम नमाज के साथ नमाजियों ने रमजान को अलविदा कहा। नमाजियों ने घर पर ही नमाज की। मस्दिजों में केवल पांच लोग ही नमाज किए।
गोरखपुर, जेएनएन। मुकद्दस रमज़ानुल मुबारक के आखिरी जुमा (अलविदा) की नमाज मस्जिदों में शांति के साथ सम्पन्न हुई। प्रत्येक मस्जिद में चार से पांच लोगों ने नमाज अदा की। नमाजियों ने भीगी पलकों से उस माह को अलविदा कहा जिसमें उन्हें कुरान शरीफ जैसी किताब मिली थी। नमाज के बाद मुल्क में सुख-शांति व कोरोना वायरस से निजात की दुआ की गई। ज्यादातर मस्जिदों में पेश इमामों ने नमाज से पहले अपनी खास तकरीर में रोजेदारों से अल्लाह का दामन थामे रहने और सालों भर नेक इंसान बनकर रहने की नसीहत की।
लॉकडाउन व उलेमा की अपील पर अमल करते हुए लोग मस्जिदों में नहीं गए बल्कि घरों में जोहर की नमाज अदा कर दुआ मांगी। घरों में सुबह से ही अलविदा की तैयारी शुरू हो गई। बड़ों के साथ बच्चे भी घरों में जानमाज बिछाकर इबादत व तिलावत में मशगूल दिखे। शाम को सबने मिलकर इफ्तार कर अल्लाह का शुक्र अदा किया। इस तरह मुकद्दस रमज़ानुल मुबारक का 28वां रोजा पूरा हो गया। अलविदा के बाद से ईद की तैयारियां जोर पकड़ती है, लेकिन लॉकाडाउन के कारण प्रमुख बाजारों में सन्नाटा पसरा रहा। ईद की खरीदारी करने आसपास के कस्बों से भी बड़ी संख्या में लोग शहर आते थे इस बार वे भी नहीं आए।
बनो अच्छा इंसान
शाही जामा मस्जिद, उर्दू बाजार के इमाम मौलाना अब्दुल जलील मजाहिरी ने कहा कि हमें अफसोस होना चाहिए कि रमजान जैसा नेकियों का महीना खत्म हो रहा है। आप सबके पास अभी भी मौका है अपने गुनाहों से तौबा कर लें और आज खुद से यह वादा करें कि अपनी पूरी जिंदगी अल्लाह के बताए हुए रास्तों पर चलेंगे। किसी का दिल नहीं दुखाएंगे, किसी का हक नहीं मारेंगे, किसी को बेवजह नहीं सताएंगे, गरीबों, यतीमों और परेशाहाल लोगों की मदद करेंगे। जिस दिन यहां के सारे मुसलमान दीनदारी आ गई उस दिन से मुसलमानों में फैली सारी बुराइयां अपने आप खत्म हो जाएगी।
अल्लाह से मांगी गुनाहों की माफी
अस्करगंज मस्जिद के इमाम मुफ्ती वलीउल्लाह ने कहा रमजान हमें अच्छा और नेक बनने की सीख देता है। सच्चे मोमिन (मुसलमान) के लिए यह जरूरी है कि अल्लाह और उनके रसूल के बताए रास्तों पर चलें। यही मौका है अल्लाह से अपने गुनाहों से माफी मांगने का। अल्लाह बहुत बड़ा और रहम करने वाला है, वह अपने बंदों को जरूर माफ कर देगा।
चौबीसों घंटे अल्लाह कबूल करता है दुआ
मौलाना मो. असलम रज़वी ने कहा कि रमजान में सिर्फ इबादत करना, झूठ से बचना और बुराई से परहेज करना ही नहीं बताया गया है बल्कि बंदों को सारी जिदंगी इस पर अमल करने की सीख दी गई है। रमाजनुल मुबारक में अल्लाह चौबीसों घंटे दुआ कबूल करता है।
मौलाना गुलाम दस्तगीर ने कहा कि रमजान माह को इस्लामी सिद्धांतों, सच्चाई, हमदर्दी तथा इंसानी वसूलों के प्रशिक्षण का पीरियड कहा जाता है। नमाज की पाबंदी करें, नेक बनें। जकात व फित्रा जल्द हकदारों तक पहुंचा दें। मौलाना जहांगीर अहमद अज़ीज़ी ने कहा कि हमें अल्लाह के हुक्म के मुताबिक जिंदगी गुजारनी चाहिए। जरूरतमंदों, यतीमों, की जकात व फित्रा से मदद करें। ईद की रात को गफलत में न गुजारें बल्कि इबादत करें। हाफिज रहमत अली निज़ामी ने कहा कि रमज़ानुल मुबारक रूखसत हो रहा है जिसकी हर घड़ी रहमत भरी है। रमजान के बाद भी इबादत का सिलसिला जारी रहना चाहिए। कारी अफजल बरकाती ने कहा कि सदका व जकात गरीबों का हक है। जल्द अदा कर दें ताकि गरीब ईद की खुशी में हमारे साथ शामिल हो सकें।