शासन का आदेश दरकिनार,नाइलेट से जमीन वापस लेगा एमएमएमयूटी
अब नाइलेट से (एमएमएमयूटी) अपनी जमीन वापस लेने का पूरा मन बना लिया है। भले ही शासन ने आदेश दिया है लेकिन एमएमएमयूटी ने मानने को तैयार नहीं है
क्षितिज कुमार, गोरखपुर :मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) ने राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (नाइलेट)को 28 एकड़ की भूमि हस्तातरितकरने का प्रदेश सरकार का आदेश दरकिनार कर दिया है। भूमि हस्तातरण को लेकर केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशकर प्रसाद और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच बीते वर्ष सहमति बनी थी। इसके बाद प्रक्रिया शुरू हो ही रही थी कि विश्वविद्यालय के प्रबंध बोर्ड ने नाइलेट पर समझौता शतरें के उल्लंघन का आरोप लगा दिया और निर्णय लिया है कि विश्वविद्यालय के रूप में परिवर्तित होने के बाद अब संस्थान को खुद ही अधिक भूमि की आवश्यकता है। ऐसे में 30 वर्ष पहले दोनों संस्थानों के बीच समझौते को समाप्त करते हुए भूमि वापस ली जानी चाहिए। मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री के बीच सहमति बनने के बाद केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रलय ने भूमि हस्तातरण बाबत नाइलेट गोरखपुर के निदेशक को अपना प्रतिनिधि बनाया था। वहीं दिसंबर 2017 में जिलाधिकारी गोरखपुर ने विश्वविद्यालय को शासन की मंशा बताते हुए कार्यवाही करने को कहा। जवाब में विश्वविद्यालय ने शासन को पत्र भेजकर कहा कि 1989 में जब समझौता हुआ था तब यह संस्थान भारतीय इलेक्ट्रॉनिकी डिजाइन एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (सीईडीटीआइ) था, जो कि अब बंद हो चुका है। समझौते के अनुसार सीईडीटीआइ बंद होने के बाद सारी परिसंपत्तिया विश्वविद्यालय (कॉलेज) की हो जाएंगी। इसके साथ ही विश्वविद्यालय के रूप में विकास के लिए भूमि की जरूरत है, ऐसे में विश्वविद्यालय खुद ही इस भूमि का उपयोग करना चाहता है। वहीं अब विश्वविद्यालय के प्रबंध बोर्ड ने इस आशय का प्रस्ताव पास कर दिया है। जिसके चलते भूमि हस्तातरण की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही रुक गई है। जाहिर है अगर मुख्यमंत्री स्तर से पहल न की गई तो करीब 30 वर्ष से गोरखपुर में संचालित भारत सरकार के इस संस्थान को जल्द ही नया ठिकाना ढूंढना पड़ सकता है।
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1989 में हुआ था समझौता : गोरखपुर में सीईडीटी की स्थापना के लिए राज्यपाल के आदेश पर तत्कालीन एमएमएमईसी प्रशासन ने अपनी 28 एकड़ भूमि केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रलय को दी थी। हालाकि इसका विधिक हस्तातरण नहीं हो सका था। कुछ समय बाद सीईडीटी का डीओएसीसी में विलय हो गया और फिर कुछ वर्ष बाद डीओएसीसी का नाम नाइलेट कर दिया गया। बता दें नाइलिट, गोरखपुर केंद्र (पूर्ववर्ती डीओईएसीसी सोसायटी, गोरखपुर) की स्थापना जून, 1989 में भारतीय इलेक्ट्रॉनिकी डिजाइन एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (सीईडीटीआइ) के रूप में की गई थी। यह संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रलय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के अन्तर्गत एक स्वायत्त संस्था है। उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड तक परिक्षेत्र वाला नाइलिट, गोरखपुर 'ओ' तथा 'ए' लेवल सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर पाठ्यक्त्रमों तथा जैव-सूचना विज्ञान में 'ओ' तथा 'ए' लेबल कोर्स के लिए प्रतिष्ठित संस्थान है। इसके अलावा यहा से सीसीसी, बीसीसी, एम.टेक (इलेक्ट्रॉनिकी डिजाइन एवं प्रौद्योगिकी) पाठ्यक्रम भी संचालित होता है।
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मुख्यमंत्री और केंद्रीय आइटी मंत्री के बीच बनी थी भूमि हस्तातरण की सहमति
एमएमएमयूटी ने लगाया समझौता शर्तो के उल्लंघन का आरोप, कहा, हमें खुद ही है जमीन की जरूरत। नाइलेट ' फाइल फोटोयह संस्थान अब विश्वविद्यालय है। तकनीकी और प्रौद्योगिकी शिक्षा, शोध के क्षेत्र में हमारी ढेरों योजनाएं हैं। इसके लिए हमें भूमि की आवश्यकता है। वैसे भी नाइलेट समझौता शर्तो का उल्लघन कर रहा है। प्रबंध बोर्ड ने जो निर्णय लिया है वह विश्वविद्यालय हित में है। प्रो.श्रीनिवास सिंह,
कुलपति, एमएमएमयूटी एमएमएमयूटी
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प्रबंध बोर्ड के निर्णय की हमें जानकारी नहीं है। केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं आइटी मंत्रलय के स्तर से ही भूमि हस्तातरण की कार्यवाही चल रही है। केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री के बीच इस बाबत सहमति पिछले साल ही बन गई थी। भूमि हस्तातरण शीघ्र होने को लेकर हम आशावित हैं।
डॉ. एकेडी द्विवेदी,
निदेशक नाइलेट, गोरखपुर केंद्र