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MMMUT: सौर ऊर्जा से ही विश्‍वविद्यालय परिसर में बिजली की मांग को पूरा करने की तैयारी

एमएमएमयूटी के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय का कहना है कि रूफ टाप सोलर पावर प्लांट स्थापित करने की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। इसकी स्थापना में आने वाले खर्च का वहन विश्वविद्यालय स्वयं अपने स्रोत से करेगा।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 07:30 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 07:30 PM (IST)
MMMUT: सौर ऊर्जा से ही विश्‍वविद्यालय परिसर में बिजली की मांग को पूरा करने की तैयारी
एमएमएमयूटी के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय का फाइल फोटो, जागरण।

गोरखपुर, जेएनएन। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के परिसर के भवनों के ऊपर बहुत जल्द सोलर पैनल चमकते नजर आएंगे। यह पैनल विश्वविद्यालय की सुंदरता तो बढ़ाएंगे ही, साथ ही सौर ऊर्जा से परिसर की बिजली की मांग को भी पूरा करेंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। 500 किलोवाट के रूफटाप सोलर पावर प्लांट की स्थापना करने के लिए विश्वविद्यालय को प्रबंध बोर्ड की मंजूरी भी मिल गई है।

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1000 किलोवाट हो जाएगी सौर ऊर्जा की उपलब्धता

विश्वविद्यालय का कहना है कि इस योजना के कार्यान्वयन के बाद विश्वविद्यालय में सौर ऊर्जा की उपलब्धता 1000 किलोवाट हो जाएगी। 500 किलोवाट रूफटाप सोलर पावर प्लांट से तो 500 किलोवाट प्रशासनिक भवन के सामने पहले से बने सोलर पावर प्लांट से। छतों के ऊपर सोलर पावर प्लांट स्थापित करने के पीछे विश्वविद्यालय का मकसद परिसर की जमीन को अकादमिक कार्यों के लिए सुरक्षित रखना है। इसके अलावा यह प्लांट छतों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक प्लांट को स्थापित करने में आने वाले खर्च को उससे मिलने वाली बिजली में समायोजित किया जाएगा। ऐसा करने में महज साढ़े छह वर्ष लगेंगे। यानी साढ़े छह वर्ष बाद इस प्लांट से विश्वविद्यालय को मुफ्त सोलर बिजली मिलने लगेगी। 500 किलोवाट के पहले से बने सोलर प्लांट को लेकर विश्वविद्यालय का बिजली विभाग के साथ पहले से करार है। बहुत जल्द रूफ टाप सोलर प्लांट के लिए भी करार प्रक्रिया पूरी की जाएगी। ऐसा इसलिए कि विश्वविद्यालय में स्थापित प्लांट को बिजली विभाग के ग्रिड से जोड़ा गया है।

रूफटाप सोलर पावर प्लांट लगाए जाने की तैयारी

एमएमएमयूटी के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय का कहना है कि रूफ टाप सोलर पावर प्लांट स्थापित करने की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। इसकी स्थापना में आने वाले खर्च का वहन विश्वविद्यालय स्वयं अपने स्रोत से करेगा। साढ़े छह साल में लागत को हासिल बिजली से समायोजित करने का लक्ष्य है। प्रबंध बोर्ड से इसे लेकर मंजूरी मिल चुकी है। बहुत जल्द वित्त समिति की मंजूरी भी हासिल कर ली जाएगी। परिसर में सोलर प्लांट से बिजली बनने से परंपरागत ऊर्जा पर हमारी निर्भरता तो कम होगी ही, साथ ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी बड़ा कार्य होगा।


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