Lockdown 3: जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया Gorakhpur News
लाकडाउन में दुकान खोलने की अनुमति मिलने से सबसे ज्यादा खुश साइकिल पंचर बनाने वाले और मोटरसाइकिल की सर्विसिंग एवं मरम्मत करने वाले हैं। उन्होंने सरकार को धन्यवाद दिया है।
गोरखपुर, जेएनएन। साहब, अचानक सब कुछ बंद हो गया तो कमाई का जरिया भी खत्म हो गया। जो कुछ जेब में था उससे कुछ दिनों तक काम चला। रुपये खत्म हुए तो आसपास और फिर अन्य लोगों ने भी मदद की। लेकिन, मदद करने वालों की भी अपनी सीमा है। फिर भी किसी तरह दिन कट रहा है। अब सरकार ने दुकानें खोलने को कहा है तो अच्छे दिन आने की उम्मीद जगी है, देखिए क्या होता है।
ये हैं असलम मियां, बनाते हैं साइकिल का पंचर
यह दर्द है साइकिल का पंचर बनाने वाले असलम मियां का। सिविल लाइन में अपनी गुमटी में लेटे असलम ने जैसे ही कैमरा देखा, उठकर दुकान के सामने खड़े हो गए। कैसे कट रहे हैं दिन? सवाल पर असलम बोले, इस हालात में जो मिल गया उसी को मुकदï्दर समझ लिया। 'इधर-उधर से कुछ मिल जाता है, वही खाकर दिन काट रहा हूं।
पहाड़ के समान बीता है एक-एक दिन
बक्शीपुर में संजय कुमार विश्वकर्मा स्कूटी की रिपेयरिंग करते मिले। लॉकडाउन में जिंदगी पर सवाल किया तो बोल पड़े, 'एक-एक दिन गिन रहे हैं हम, समय मानो पहाड़ हो गया है। संकट में लोगों ने मदद की। अब सरकार ने रिपेयरिंग की दुकानें खोलने की अनुमति दे दी है, जैसे-जैसे गाडिय़ां बनने के लिए आएंगी, दिक्कतें दूर होती जाएंगी।
शहर के मजदूर जंगल में चलाएंगे फावड़ा
कोरोना संक्रमण के चलते शहरों में उद्योग धंधे बंद हो रहे हैं। बड़े पैमाने पर मजदूर गांवों में लौट आए हैं। उनके पास रोजगार नहीं है। यह मजदूर जल्द ही जंगल में फावड़ा चलाते नजर आएंगे। वहां जंगल के चारों तरफ सुरक्षा खाई तैयार करेंगे। जंगल में छोटा तालाब बनाएंगे, जिससे जानवर अपनी प्यास बुझा सकें। इसके अलावा वह मृदा संरक्षण का भी कार्य करेंगे।
बनाएंगे सुरक्षा खाई, चेकडैम और वाटर होल
दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद सहित देश के विभिन्न शहरों में काम करने वाले हजारों मजदूर अपने-अपने घरों पर लौट रहे हैं। इन मजदूरों को यहीं पर रोजगार मिल सके, इसके लिए विभिन्न विभागों को निर्देशित किया गया है कि वह अपने यहां ऐसी योजनाएं तैयार करें, जिसमें मनरेगा से भी कार्य कराया जा सके। वन विभाग को भी इसके लिए निर्देश मिला है। वन विभाग इसे ध्यान में रखकर इनके लिए जंगल में सुरक्षा खाई, चेकडैम, वाटर होल आदि के लिए कार्य योजना तैयार कर रहा है। जंगल की सीमा कहां तक है, इसे निर्धारित करके वहां पत्थर लगाए जाएंगे।
जानिए कैसे होगी सुरक्षा खाई
जंगल के सभी जानवर सुरक्षित रहें, वह बाहर न निकल सकें इसे लेकर जंगल के चारो तरफ सुरक्षा खाई तैयार की जाएगी। यह सुरक्षा खाई करीब एक मीटर गहरी व 1.2 मीटर चौड़ी होगी। डीएफओ बीसी ब्रह्मा का कहना है कि बाहर से लौटे मजदूरों को काम मिल सके, इसे लेकर योजना तैयार की जा रही है। योजना बनाने के बाद उसे मुख्यालय भेज दिया जाएगा और अनुमति मिलते ही उस पर काम शुरू हो जाएगा।