अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल पर परेशान हुआ मैक्सिको का पर्यटक, जानें क्या है मामला
अंतरराष्ट्रीय पर्यटक केंद्र मैक्सिको के एक पर्यटक को इसलिए परेशान होना पड़ा क्योंकि उसे सड़क पर कोई संकेतक नहीं मिले।
By Edited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 09:08 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 10:07 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। अंतरराष्ट्रीय पर्यटक केंद्र कुशीनगर में भ्रमण पर आए मैक्सिको के एक पर्यटक को सोमवार की शाम असुविधा का सामना करना पड़ा। बस स्टापेज पर संकेतक न होने के कारण वह काफी समय तक भटकता रहा। अन्य पर्यटकों को भी प्रतिदिन यह समस्या झेलनी पड़ती है।
यहां आने वाले पर्यटकों को बस वाले बुद्ध द्वार के सामने उतार देते हैं, लेकिन जब विदेशी सैलानियों को यहां से गोरखपुर या कहीं और जाना होता है तो वे बस स्टापेज की तलाश में भटकते रहते हैं। गोरखपुर, तमकुही, पडरौना आदि स्थलों को जाने के लिए बसें बुद्ध द्वार के सामने राष्ट्रीय राजमार्ग पर मिलती हैं, लेकिन यहां उप्र पर्यटन या रोडवेज की ओर से कोई संकेतक नहीं बना है और न ही कुछ लिखा है कि बसें यहां रुकती हैं।
कुछ विदेशी पर्यटक तो ऐसे होते हैं जो ¨हदी या अंग्रेजी भाषा जानते ही नहीं उन्हें तो काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है। इसी का शिकार मैक्सिको का पर्यटक सी पाम हुआ। कुशीनगर में काफी देर तक बस स्टापेज की तलाश में वह भटकते रहा। उसे गोरखपुर जाना था। स्थानीय एक व्यक्ति ने उनकी सहायता की और बस पर बिठाया। उत्तर प्रदेश पर्यटन के संयुक्त निदेशक प्रदीप कुमार ¨सह ने कहा कि पर्यटकों की सुविधा के लिए शीघ्र ही साइनेज की व्यवस्था की जाएगी।
प्रतिबंध बेअसर, मंदिर परिसर में लग रहे बैनर अंतरराष्ट्रीय पर्यटक केंद्र कुशीनगर स्थित महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार का बैनर प्रदर्शित करना और बैनर के साथ पर्यटकों फोटो चिंचवाना पूर्णत: प्रतिबंधित है। बावजूद इसके पर्यटकों द्वारा प्राय: मंदिर परिसर में बैनर प्रदर्शित कर फोटो ¨खचवाया जाता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी का कहना है कि परिसर के अंदर बैनर की सूचना मिलते ही उसे हटवा दिया जाता है। अहम प्रश्न यह है कि प्रतिबंध के बावजूद बैनर परिसर के अंदर जाता ही क्यों है?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक एक्ट के अनुसार परिसर में बैनर, झंडा अंदर ही नहीं बल्कि सीमा से बाहर 100 मीटर की परिधि में भी नहीं लगाया जा सकता है। ऐसा इसलिए है कि धरोहर का स्वरूप स्वाभाविक रूप में दिखे। जबकि प्राय: बैनर के साथ फोटो ¨खचवाकर विदेशी पर्यटक उसे अपने देशों में प्रसारित करते हैं। इससे विदेशों में स्मारक का वास्तविक स्वरूप नहीं दिखता।
स्थानीय स्तर पर स्मारकों की भव्यता भी प्रभावित होती है। व्यवसायिक दुरुपयोग की भी संभावना बनी रहती है। विभाग के संरक्षण सहायक अविनाश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि परिसर और बाहर 100 मीटर तक बैनर प्रतिबंधित है। इसका कड़ाई से पालन कराया जाएगा। परिसर में दिखाई पड़ने पर उसे •ाब्त कर लिया जाता है।
यहां आने वाले पर्यटकों को बस वाले बुद्ध द्वार के सामने उतार देते हैं, लेकिन जब विदेशी सैलानियों को यहां से गोरखपुर या कहीं और जाना होता है तो वे बस स्टापेज की तलाश में भटकते रहते हैं। गोरखपुर, तमकुही, पडरौना आदि स्थलों को जाने के लिए बसें बुद्ध द्वार के सामने राष्ट्रीय राजमार्ग पर मिलती हैं, लेकिन यहां उप्र पर्यटन या रोडवेज की ओर से कोई संकेतक नहीं बना है और न ही कुछ लिखा है कि बसें यहां रुकती हैं।
कुछ विदेशी पर्यटक तो ऐसे होते हैं जो ¨हदी या अंग्रेजी भाषा जानते ही नहीं उन्हें तो काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है। इसी का शिकार मैक्सिको का पर्यटक सी पाम हुआ। कुशीनगर में काफी देर तक बस स्टापेज की तलाश में वह भटकते रहा। उसे गोरखपुर जाना था। स्थानीय एक व्यक्ति ने उनकी सहायता की और बस पर बिठाया। उत्तर प्रदेश पर्यटन के संयुक्त निदेशक प्रदीप कुमार ¨सह ने कहा कि पर्यटकों की सुविधा के लिए शीघ्र ही साइनेज की व्यवस्था की जाएगी।
प्रतिबंध बेअसर, मंदिर परिसर में लग रहे बैनर अंतरराष्ट्रीय पर्यटक केंद्र कुशीनगर स्थित महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार का बैनर प्रदर्शित करना और बैनर के साथ पर्यटकों फोटो चिंचवाना पूर्णत: प्रतिबंधित है। बावजूद इसके पर्यटकों द्वारा प्राय: मंदिर परिसर में बैनर प्रदर्शित कर फोटो ¨खचवाया जाता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी का कहना है कि परिसर के अंदर बैनर की सूचना मिलते ही उसे हटवा दिया जाता है। अहम प्रश्न यह है कि प्रतिबंध के बावजूद बैनर परिसर के अंदर जाता ही क्यों है?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक एक्ट के अनुसार परिसर में बैनर, झंडा अंदर ही नहीं बल्कि सीमा से बाहर 100 मीटर की परिधि में भी नहीं लगाया जा सकता है। ऐसा इसलिए है कि धरोहर का स्वरूप स्वाभाविक रूप में दिखे। जबकि प्राय: बैनर के साथ फोटो ¨खचवाकर विदेशी पर्यटक उसे अपने देशों में प्रसारित करते हैं। इससे विदेशों में स्मारक का वास्तविक स्वरूप नहीं दिखता।
स्थानीय स्तर पर स्मारकों की भव्यता भी प्रभावित होती है। व्यवसायिक दुरुपयोग की भी संभावना बनी रहती है। विभाग के संरक्षण सहायक अविनाश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि परिसर और बाहर 100 मीटर तक बैनर प्रतिबंधित है। इसका कड़ाई से पालन कराया जाएगा। परिसर में दिखाई पड़ने पर उसे •ाब्त कर लिया जाता है।
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