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गोरखपुर विश्वविद्यालय के मेधवियों को मिले स्वर्ण पदक, हौसलों को लगे पंख

36वें दीक्षा संमारोह को संबोधित करते हुए प्रख्यात खगोलविद पद्मविभूषण डॉक्टर जयंत विष्णु नार्लीकर ने अनुसंधान के प्रति युवाओं के काम होते रुझान पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 19 Dec 2017 04:19 PM (IST)Updated: Tue, 19 Dec 2017 04:20 PM (IST)
गोरखपुर विश्वविद्यालय के मेधवियों को मिले स्वर्ण पदक, हौसलों को लगे पंख
गोरखपुर विश्वविद्यालय के मेधवियों को मिले स्वर्ण पदक, हौसलों को लगे पंख

गोरखपुर (जेएनएन)। पंडित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर के 36 वें दीक्षा समारोह में कुलाधिपति एवं प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक एवं बतौर मुख्य अतिथि प्रसिद्ध खगोलविद व खगोल भौतिकी अंतर विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय केन्द्र के संस्थापक निदेशक पद्मविभूषण डॉक्टर जयंत विष्णु नार्लीकर के साथ कुलपति प्रो वीके सिंह ने विश्वविद्यालय के 2016- 17 के स्नातक एवं स्नातकोत्तर परीक्षाओं में सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले मेधावी विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया। इस छात्रों में से स्वर्ण पदक पाने वाले विद्यार्थियों ने जमकर जश्न मनाया। पदक प्राप्त करने वाले 45 मेधावियों में से 37 छात्राएं हैं जबकि श्रेष्ठता सूची में 10 नाम छात्रों के हैं।

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विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति और राज्यपाल राम नाईक ने छात्र-छात्राओं को ज्ञान का सकारात्मक प्रयोग करने का आह्वान किया है। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के 36वें दीक्षा समारोह में मेधावियों को स्वर्ण पदक से विभूषित करने के बाद नाईक ने कहा दीक्षा समारोह जीवन का बहुत खास क्षण होता है। राज्यपाल ने कहा कि हर छात्र खास है, सभी में प्रतिभा है,पर प्रतिस्पर्धा के इस दौर में जरूरत इस प्रतिभा के सही दिशा में इस्तेमाल की है। शार्ट कट के फेर में न फंसे युवा।

राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त करने वाले 45  मेधवियों में से 37 छात्राओं की संख्या पर हर्ष जाहिर करते हुए बधाई दी। 1954 में अपनी बीकॉम कक्षा में महज चार छात्राओं के होने की बात बताते हुए हाल के वर्षों में हर क्षेत्र में महिलाओं के बढ़ते कदम को सशक्तिकरण का शानदार उदाहरण बताया। 

उपाधि प्राप्त कर रहे छात्र-छात्राओं से राज्यपाल नाईक ने कहा कि समारोह में स्नातक अथवा स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त कर रहे और सर्वश्रेष्ठ अंक प्राप्त कर स्वर्ण पदक पाने वाले युवाओं की जिम्मेदारी आज से और अधिक बढ़ जाती है। जीवन में जो परिवर्तन हो रहा है, उसका सकारात्मक प्रयोग करें। आवश्यक है कि अपने ज्ञान का सही दिशा में इस्तेमाल करते हुए अपने सपनों को पूरा करो और सफलता के आकाश में उड़ान भरो।

उत्साह, उमंग और उल्लास भरे माहौल में नाईक ने मेधावियों को हमेशा मुस्कराते रहने, दूसरों के अच्छे प्रयास की सराहना करने, किसी को कमतर न आंकने और सतत कोशिश करते रहने का मंत्र दिया। नाईक ने कहा कि इन्हीं युवाओं की मेधा, श्रम और हौसलों से भारत के स्वर्णिम भविष्य का निर्माण होगा। उन्होंने छात्रों को असफलता से न घबराते हुए सफलता के लिए निरंतर प्रयासरत रहने का आह्वान किया।

शिक्षा व्यवस्था में सुधार जरूरी : डॉ. नार्लीकर

विश्वविद्यालय में 36वें दीक्षा संमारोह को संबोधित करते हुए प्रख्यात खगोलविद पद्मविभूषण डॉक्टर जयंत विष्णु नार्लीकर ने अनुसंधान के प्रति युवाओं के काम होते रुझान पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया है। डॉ नार्लीकर ने देश मे शिक्षा की बदहाल स्थिति में बड़े परिवर्तन की ज़रूरत बताई है। उंन्होने कहा कि शिक्षा तथा अनुसंधान एक साथ चलते हैं और दोनों एक दूसरे को नए सिरे से प्रोत्साहित करते हैं। दुर्भाग्यवश भारत में विश्वविद्यालयों में अनुसंधान पर बहुत कम बल दिया जाता है। शोध संस्थानों में शिक्षा की परंपरा ही नहीं है। यही कारण है कि हमारे विश्वविद्यालय के छात्र नई खोजों के प्राप्त रोमांच से वंचित रह जाते हैं और हमारे शोध संस्थानों को बहुत कम छात्र मिल पाते हैं, जो अनुसंधान के लिए उत्साहित हों।

विदेशी विश्वविद्यालयों में शिक्षा में अनुसंधान के उचित सम्मिश्रण की बदौलत शिक्षक और छात्र दोनों प्रभावित होते हैं। हमारे विश्वविद्यालयों में तथा शोध संस्थानों में पदोन्नति प्रक्रिया में सम्मिश्रण का बढ़ाना चाहिए जहां छात्र शिक्षा पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं जबकि विशेषज्ञ विशेषज्ञ अनुसंधान की समीक्षा कर सकते हैं। 

 उन्होंने कहा कि यह खेदजनक है कि हमारी शिक्षा प्रणाली परीक्षा पद्धति और छात्रों से अपेक्षित उत्कृष्टता आज  उदाहरणों से बहुत दूर है। विषय को परीक्षा में अपेक्षित प्रश्न को सुलझा कर परीक्षा समाप्त होते ही रखी हुई जानकारी मस्तिष्क से निकाल दी जाती है। उन्होंने सवाल किया कि क्या माहौल बदल कर हम उत्कृष्टता को हमारा प्राथमिक ध्येय नहीं बना सकते

उपाधि प्राप्त कर रहे युवाओं को बधाई देते हुए उन्होंने आशा जताई कि विद्या नगरी से मिली दीक्षा का लाभ उठाकर अपने जीवन को सफल बनायेंगे। उन्होंने कहा कि गुरुजनों को कभी न भूलें जिन्होंने आप को सूचित किया। विद्या की महत्ता स्पष्ट साथ ही विद्या दान करने वाले गुरु की महत्ता हम कभी भूल नहीं सकते।

यह हैं मेधावी छात्र-छात्राएं - एमएससी के गोल्ड मेडलिस्ट 

रक्षा अध्ययन की टॉपर आकांक्षा तिवारी, रसायन शास्त्र की टॉपर मदीहा राशिद, गणित में छात्र वर्ग के टॉपर शुभम कुमार केडिया, छात्रा वर्ग की टॉपर आकांक्षा सिंह, जूलॉजी की रीतिका राज, बॉटनी की रुखसार परवेज, भौतिकी की नेहा सिंह, बायोटेक्नोलॉजी की कंचन यादव, इलेक्ट्रॉनिक्स के हरिओम मणि, सांख्यिकी की सुप्रिया मिश्रा, इन्वायरमेंटल साइंस की गरिमा शुक्ला, माइक्रो बायलोजी के अमर प्रजापति और गृह विज्ञान की अंकिता श्रीवास्तव, एमएससी कृषि के टॉपर आकशदीप मौर्य, एमए अर्थशास्त्र की टॉपर रजनी निगम, एमकॉम की टॉपर शालिनी, एमबीए की टॉपर श्वेता श्रीवास्तव।

चिकित्सा संकाय : एमबीबीएस में टॉपर सी थारूना।

एमए के स्वर्ण पदक प्राप्तकर्ता

दृश्य कला के टॉपर राहुल कुमार, मंच कला की सौम्या यादव, गृह विज्ञान की श्रुति यादव, मनोविज्ञान की आकांक्षा पांडेय, संस्कृत की पूजा सिंह, भूगोल के सुशील कुमार, इतिहास की ज्योत्सना मिश्र, प्राचीन इतिहास की नमिता सिंह, उर्दू की फरहीन फातिमा, अंग्रेजी की अंतिमा शुक्ला, समाज शास्त्र की ममता शर्मा, दर्शन शास्त्र के प्रफुल्ल चंद, हिन्दी की दीक्षा श्रीवास्तव, राजनीति शास्त्र की प्रज्ञा दीक्षित, शिक्षा संकाय की टॉपर रंजना पांडेय, सतत शिक्षा एवं प्रसार कार्य के टॉपर देवेश त्रिपाठी व बीएड की टॉपर गीतांजलि दूबे को भी गोल्ड मेडल दिया गया।

स्नातक के होनहार 

कला संकाय की ओवरआल टॉपर प्रियंका शुक्ला, इसी संकाय के छात्रों में टॉपर सुधांशु मिश्र, हिन्दी की टॉपर कृतिका सिंह, विज्ञान संकाय की टॉपर अनिसा गौहर, गणित की टॉपर नीसू मिश्रा, गृह विज्ञान की पूजा दूबे, बीसीए की टॉपर शशिकला, कृषि संकाय के टॉपर अश्वनी कुमार पटेल, कामर्स संकाय की टॉपर साक्षी जायसवाल और बीबीए की टॉपर तृशला सिंह को विवि के अलावा स्मृति गोल्ड मेडल मिला।


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