Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Earn By Learn Scheme: हाथ में आई जीवन की पहली कमाई तो मेधा मुस्कुराई, पढ़ाई के दौरान मिला रोजगार

    By Pradeep SrivastavaEdited By:
    Updated: Sat, 11 Sep 2021 08:04 PM (IST)

    Gorakhpur University Earn By learn scheme गोरखपुर विश्वविद्यालय में अर्न बाय लर्न योजना धरातल पर दिखने लगी है। विश्वविद्यालय की दो मेधावी छात्राओं के ...और पढ़ें

    Hero Image
    गोरखपुर विश्वविद्यालय ने अर्न बाय लर्न योजना शुरू की है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

    गोरखपुर, डा. राकेश राय। Earn by Learn Scheme: Gorakhpur University: एक तरफ पढ़ाई चलती रहे तो दूसरी तरह आमदनी के साथ रोजगार की राह बनती रहे, इस मंशा के साथ शुरू की गई दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की अर्न बाय लर्न योजना धरातल पर दिखने लगी है। विश्वविद्यालय की दो मेधावी छात्राओं के हाथ पढ़ाई के दौरान ही जीवन की पहली कमाई भी हाथ आ गई है। बीकाम द्वितीय वर्ष की छात्रा मनप्रीत कौर और बीएससी तृतीय वर्ष की छात्रा अनिष्का दुबे के चेहरे की मुस्कुराहट इसकी तस्दीक है। दोनों ही बेहद खुश है। एक स्वर से उनका कहना है कि इससे उनका न केवल आत्मविश्वास बढ़ा है बल्कि स्वावलंबन की दिशा मिली है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    धनराशि छोटी लेक‍िन संदेश बहुत बड़ा

    दोनों छात्राएं उन 100 विद्यार्थियों में शामिल हैं, जिन्हें अर्न बाय लर्न योजना के तहत सबसे पहले रोजगार देने का अवसर विश्वविद्यालय ने दिया था। दोनों ने विश्वविद्यालय के ग्रीन कैंपस इनिसिएटिव कार्यक्रम के तहत चलाई जा रही वेस्ट टू वेल्थ योजना में अपना हाथ बंटाया है। विश्वविद्यालय में मिलने वाले कूड़े से खाद बनाया है। इस योगदान के लिए उन्हें विश्वविद्यालय ने योजना के मुताबिक बाकायदा उन्हें घंटावार धनराशि जारी की है। उन्हें घंटे के हिसाब से 100-100 रुपये मिले हैं।

    चूंकि दोनों ने इस काम के लिए अपने 30 घंटे दिए हैं, इसलिए उन्हें तीन-तीन हजार रुपये मिले हैं। छात्राओं का कहना है कि धनराशि तो बड़ी नहीं है लेकिन उसका संदेश बहुत बड़ा है। ग्रीन कैंपस इनिसिएटिव की समन्वयक डा. स्मृति मल्ल ने बताया कि दोनों छात्राओं ने पूरे समर्पण के साथ योजना के कार्यान्वयन में अपना योगदान दिया है। यह तो मात्र शुरुआत है, अब सिलसिला तेजी से आगे बढ़ेगा।

    अनुभव काफी अच्छा है। विश्वविद्यालय की ओर से यह अवसर दिए जाने से स्व-रोजगार के प्रति मेरी ललक बढ़ी है। बहुत कुछ सीखने को मिला है। सीखने का भी पैसा मिला है, यह सोचकर ही मन खुश हो जा रहा है। - मनप्रीत कौर, छात्रा, बीकाम-2।

    विश्वविद्यालय की इस योजना की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। आमतौर पर कुछ सीखने के लिए धन देना पड़ता है लेकिन इस योजना में तो सीखने का पैसा मिला है। जीवन की पहली कमाई असीम सुख देने वाली है। - अनिष्का दुबे, बीएससी गृहविज्ञान -3।

    क्या है अर्न बाय लर्न योजना

    अर्न बाय लर्न योजना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह की अभिनव सोच का परिणाम है। योजना के तहत विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई के दौरान ही अस्थाई रोजगार देने की व्यवस्था है। इसके तहत हर सत्र में 500 विद्यार्थियों को रोजगार देने की तैयारी व्यवस्था है। पहले चरण में 100 विद्यार्थियों का चयन किया गया है। इनमें 500 फीसद छात्राएं शामिल हैं। लेडीज फर्स्ट की संकल्पना के तहत पहले दो छात्राओं को अवसर दिया गया है। उन्हें विश्वविद्यालय की वेस्ट टू वेल्थ योजना से जोड़ा गया है। योजना की शर्त के मुताबिक एक कार्यदिवस पर कोई भी विद्यार्थी अपना केवल एक घंटा ही इस कार्य के लिए दे सकता है। इसके पीछे विश्वविद्यालय की मंशा पढ़ाई का नुकसान न होने देने की है। हर घंटे के लिए 100 रुपये देने की व्यवस्था है।

    अर्न बाय लर्न योजना विद्यार्थियों को स्व-रोजगार की राह दिखाएगी। योजना के तहत विद्यार्थियों को पढ़ने के साथ-साथ रोजगार करने का तरीका भी सीखने को मिलेगा। सीखने के बदले दी जाने वाली धनराशि उनका मनोबल बढ़ाएगी। दो छात्राओं से यह सिलसिला शुरू हो गया है। - प्रो. राजेश सिंह, कुलपति, दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय।