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लॉकडाउन के कारण बाजार में मंदी, संकट में उद्यमी और कामगार

लॉकडाउन ने उद्योग जगत को संकट में डाल दिया है। कामगारों की रोजी प्रभावित है।

By Edited By: Published: Mon, 25 May 2020 07:40 AM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 07:40 AM (IST)
लॉकडाउन के कारण बाजार में मंदी, संकट में उद्यमी और कामगार
लॉकडाउन के कारण बाजार में मंदी, संकट में उद्यमी और कामगार

गोरखपुर, जेएनएन। कुशीनगर में लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से लॉक कर दिया है। सरकारी कोशिशों के बावजूद सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग पर छाए संकट के बादल छंट नहीं रहे हैं। बाजार में मांग न होने से उत्पादित सामान गोदामों में डंप पड़े हैं। उद्यमियों की पूंजी फंस गई है। जिससे नया उत्पादन हो नहीं पा रहा है। उत्पादन, बिक्री का क्रमवार चक्र टूट गया है। उद्योग धंधे चौपट हो रहे हैं। कारोबारी हताश व ¨चतित हैं। उद्योग बंद होने के कगार पर हैं। 25 मार्च से लागू लॉकडाउन को 60 दिन पूरे हुए। सुदूर क्षेत्रों के कार्यरत कुशल कारीगरों, प्रवासी मजदूरों ने अपने घर की राह पकड़ ली है। इनके लौटने की उम्मीद क्षीण होने लगी हैं। उपायुक्त, उद्योग, अभय कुमार सुमन कहते हैं उद्योगों को गति देने के लिए प्रयास जारी है।

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शासनादेश का अनुपालन कर उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। मांग प्रभावित होने से संकट -पुस्तक, कापी, रजिस्टर के निर्माता सच्चिदानंद मल्ल कहते हैं स्कूल, कालेज बंद होने से पहले उत्पाद गोदाम में डंप पड़े हैं। खपत न होने से पूंजी फंसी हुई है। पूंजी में मूवमेंट रहता तो नया काम शुरू होता। हिम्मत जुटाना मुश्किल हो रहा है।

सरकार की पहल सराहनीय -उद्यमी व औद्योगिक विकास संगठन के अध्यक्ष राम आशीष जायसवाल कहते हैं सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग लगभग बंद हो चुके हैं। सरकार इन्हें चलाने, गति देने व अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बेहतर प्रयास कर रही है, लेकिन उत्पादन व खपत का चक्र टूट सा गया है

ठप हुई शादियां तो डंप हो गया माल

उद्यमी वसीम अहमद कहते हैं शादी विवाह का सीजन शुरू हुआ तो लॉकडाउन लागू हो गया। शादियां स्थगित हो गई। बृहद स्तर पर बनवाए गए आलमारी, बाक्स, रैक, ¨सगारदान, सोफा, कुर्सी, मेज की खपत नहीं होने से लाखों का माल गोदाम में यूं ही धूल फांक रहे हैं।

सुदृढ़ हो बाजार व्यवस्था -उद्यमी रवि प्रकाश यादव कहते हैं उत्पादन में गति तभी आती है जब उत्पादित वस्तु की खपत बाजार में होती है। उपभोक्ताओं के आमदनी के स्त्रोत घट गए हैं। जेब हल्की हो गई है। दुकानें खुलने के बाद भी बाजारों में रौनक नहीं है।


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