आज से शुरू हो जाएंगे मांगलिक कार्य
गोरखपुर : भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण पर्व मेष संक्रांति (बैशाखी) शनिवार को परंपरागत रूप से आस्था व श्रद्धा के साथ मनाई जाएगी।
गोरखपुर : भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण पर्व मेष संक्रांति (बैशाखी) शनिवार को परंपरागत रूप से आस्था व श्रद्धा के साथ मनाई जाएगी। सूर्य मीन से मेष राशि में प्रवेश करेंगे और एक माह से चला रहा खरमास समाप्त हो जाएगा। इसी दिन से वैवाहिक व मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। हालांकि मांगलिक कार्यो के लिए सिर्फ एक माह का समय मिलेगा। 16 मई से अधिक मास (मलमास) लग जाएगा जो 13 जून तक रहेगा।
ज्योतिषाचार्य पं. शरदचंद्र मिश्र के अनुसार शनिवार को सूर्योदय 5.43 बजे और त्रयोदशी तिथि सुबह 7.41 बजे तक है। इसके बाद चतुर्दशी तिथि व उत्तराभाद्रपद नक्षत्र संपूर्ण दिन और रात्रिशेष 3.37 बजे तक है। इस दिन ऐंद्र नामक योग भी है। भगवान सूर्य इसी दिन मीन राशि का परित्याग कर दिन में 9.51 बजे मेष राशि में प्रवेश करेंगे। इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश में सतुआन के नाम से जानते हैं। भारतीय परंपरा में सूर्य की दो संक्रातियां बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, ये दोनों संक्रांतियां खरमास के ठीक बाद पड़ती हैं। पहली खरमास अर्थात वृहस्पति की राशि धनु से जब सूर्य मकर में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति होती है, इस दिन खिचड़ी का पर्व मनाया जाता है। दूसरी खरमास अर्थात वृहस्पति की राशि मीन से जब सूर्य मेष में प्रवेश करते हैं तो इसे मेष संक्रांति कहते हैं, इस दिन सतुआन का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
ज्योतिषाचार्य पं. नरेंद्र उपाध्याय ने कहा कि वृहस्पति की दो राशियां हैं- धनु और मीन। इन दोनों राशियों में जब सूर्य जाते हैं तो खरमास शुरू हो जाता है। जब इन राशियों से दूसरी राशि में संक्रमण करते हैं तो खरमास समाप्त होता है। इसके बाद मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। भारतीय विद्वत महासंघ के महामंत्री ज्योतिषाचार्य पं. बृजेश पांडेय ने बताया कि शनिवार से ही मांगलिक कार्यो के लिए मुहूर्त प्रारंभ हो जाएगा। इस दिन सत्तू दान करना श्रेयष्कर होता है। पूरे साल में बैशाख का महीना पुनीत माना गया है। इस माह में नियम-संयम के साथ संध्या वंदन व जप से तेज में वृद्धि होती है।
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विवाह के मुहूर्त
अप्रैल- 18, 19, 24, 25, 26, 27, 28 (दिवा लग्न), 29, 30 (दिवा लग्न)।
मई- 1, 2 (दिवा लग्न), 3, 4 (दिवा लग्न), 5, 6, 11, 12, 13 (दिवा लग्न)।