MMMUT: सेंटर बनने से पहले ही मालवीयंस ने बना दिए आधा दर्जन ड्रोन
MMMUT ने ड्रोन पर अध्ययन और शोध के लिए सेंटर आफ एक्सिलेंस स्थापित करने की योजना बनाई तो इससे उत्साहित विद्यार्थियों ने सेंटर की स्थापना से पहले ही आधा दर्जन ड्रोन बना लिया। यह कार्य उन्होंने उस लैब की मदद से किया है जिसे विश्वविद्यालय ने तैयार कराया था।
गोरखपुर, डा. राकेश राय। प्रतिभा अनुकूल माहौल का इंतजार नहीं करती। वह किसी भी परिस्थिति में उभरकर सामने आ ही जाती है। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुछ मेधावी विद्यार्थियों ने यह साबित कर दिया है। उधर विश्वविद्यालय ने ड्रोन पर अध्ययन और शोध के लिए सेंटर आफ एक्सिलेंस स्थापित करने की योजना बनाई, इधर इससे उत्साहित विद्यार्थियों ने सेंटर की स्थापना से पहले ही आधा दर्जन ड्रोन बना लिया। यह कार्य उन्होंने उस लैब की मदद से किया है, जिसे ड्राेन पर अध्ययन के लिए बीते दिनों विश्वविद्यालय ने तैयार कराया था और जिसके आधार पर सेंटर आफ एक्सिलेंस खोलने की तैयारी शुरू की है।
परिसर मे बने ड्रोन लैब का विद्यार्थी कर रहे उपयोग
विश्वविद्यालय ड्रोन योजना के सह अन्वेषक डा. राजन मिश्र के मुताबिक ड्रोन बनाने में सर्वाधिक रुचि इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग विभाग के विद्यार्थियों ने दिखाई है। कंप्यूटर और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरके विद्यार्थियों का भी विशेष रुझान दिखा है। ड्रोन पर अध्ययन को लेकर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों का रुझान कैसे हुआ? इस सवाल के जवाब में डा. मिश्र ने बताया कि दो वर्ष पूर्व इलेक्ट्रानिक इंजीनियरिंग विभाग को एग्रीकल्चर मानिटरिंग सिस्टम बनाने का प्रोजेक्ट मिला, जिसके तहत मुख्य अन्वेषक प्रो. एसके सोनी के नेतृत्व में इसके लिए न केवल ड्रोन का निर्माण किया गया बल्कि विश्वविद्यालय के पास के एक गांव रामलखना में समारोहपूर्वक इसका प्रदर्शन किया गया।
इसी सिलसिले को आगे बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय ने एक ड्रोन लैब स्थापित किया और सेंटर आफ एक्सिलेंस बनाने का प्रस्ताव तैयार कर लिया। विश्वविद्यालय के इस प्रयास से वह विद्यार्थी उत्साहित हो गए, जिन्हें ड्रोन पर अध्ययन और शोध में रुचि थी। सेंटर की स्थापना से पहले विद्यार्थियों द्वारा आधा दर्जन ड्रोन तैयार कर लेना उस उत्साह का ही नतीजा है।
कृषि और चिकित्सा के लिए उपयोगी हैं बनाए गए ड्रोन
विद्यार्थियों ने जो ड्रोन बनाए हैं, वह तीन प्रकार के हैं। पहला क्वार्डकाप्टर ड्रोन है जो चार रोटर की मदद से उड़ सकता है। इस ड्रोन का उपयोग सर्विलांस के लिए किया जा सकता है। दूसरे हेक्साकाप्टर ड्रोन का इस्तेमाल आपातकाल में चिकित्सीय सहायता पहुंचाने एवं दूर-दराज के क्षेत्रों में भोजन-पानी मुहैया कराने में किया जा सकता है। इस ड्रोन में चार रोटर लगाए गए हैं। इसकी स्थिरता एवं भार उठाने की क्षमता क्वार्डकाप्टर की तुलना में अधिक होती है। तीसरे प्रकार का ड्रोन एडवांस एक्स-8 ड्रोन बहुउद्देश्यीय है। यह ड्रोन आठ रोटर की मदद से उड़ता है। इसका उपयोग कृषि एवं चिकित्सा क्षेत्र सहित सभी क्षेत्रों में किया जा सकता है। इससे आडियो-वीडियो का लाइव ट्रांसमिशन भी किया जा सकता है। छात्रों को इस कार्य में प्रो. एसके सोनी और डा. राजन मिश्रा के अलावा सह अन्वेषक के रूप में प्रो. बृजेश कुमार और डा. प्रभाकर तिवारी का भी मार्गदर्शन मिला है। ड्राेन बनाने वाले विद्यार्थियों में हर्ष सिंघल, हरिओम तिवारी, अग्निवेश पांडेय, समृद्धि कुमारी, सगुफ्ता, शाश्वत पटेल, गौरव माथुर, रुचि पांडेय, सौरभ सोनी आदि शामिल हैं।
ड्रोन पर शोध और अध्ययन को लेकर विद्यार्थियों का उत्साह सराहनीय है। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस कार्य में उन्हें हरसंभव मदद की जा रही है। लैब कार्यरत है। पूरी कोशिश है कि ड्रोन पर अध्ययन के लिए छात्रों को जल्द से जल्द सेंटर आफ एक्सिलेंस की सुविधा मुहैया करा दी जाए। - प्रो. जेपी पांडेय, कुलपति, एमएमएमयूटी।