गर्भावस्था से ही शिशु में शुरू हो जाता है कुपोषण, यहां देखें-विशेषज्ञों ने क्या कहा Gorakhpur News
गर्भवती माताओं द्वारा उचित मात्रा में ऑयरन न लेने से शिशु को आक्सीजन कम मिलता है जिससे विकास प्रभावित होता है। शिशु कम वजन के पैदा होते हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। कुपोषण कुछ दिन या महीनों में नहीं पनपता बल्कि ज्यादातर मामलों में इसकी शुरुआत गर्भावस्था से ही हो जाती है। पूर्वांचल में यह समस्या अधिक गंभीर है। यहां माताओं में जागरूकता की कमी, अशिक्षा व गरीबी के कारण यह समस्या विकराल है। गोरखपुर-बस्ती मंडल में एनीमिया या कुपोषण की शिकार महिलाओं की बात करें तो ज्यादातर जिलों में यह संख्या 50 फीसद के पार है।
गर्भवती माताओं की नहीं हो पाती देखभाल
गर्भधारण के दौरान माताओं की उचित देखभाल नहीं हो पाती, जिससे उनकी सेहत तो खराब होती ही है, शिशु भी कुपोषित पैदा होते हैं। एक तो ज्यादातर महिलाओं को पता नहीं होता कि उन्हें किस तरह का आहार लेना है। अनेक मामलों में जानकारी होने पर भी वह गरीबी के कारण उचित आहार का सेवन नहीं कर पातीं।
शिशु पर पड़ा है प्रभाव
गर्भवती माताओं द्वारा उचित मात्रा में ऑयरन न लेने से शिशु को आक्सीजन कम मिलता है, जिससे विकास प्रभावित होता है। शिशु कम वजन के पैदा होते हैं। इसी तरह कैल्शियम की कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। फोलिक एसिड सही मात्रा में नहीं मिलने से दिमाग का विकास नहीं हो पाता है।
गर्भावस्था में डाक्टर की सलाह जरूरी
स्वस्थ शिशु के जन्म के लिए जरूरी है कि माताएं गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर की सलाह से ऑयरन, कैल्शियम व फोलिक एसिड और पौष्टिक आहार लें। नियमित चेकअप भी कराएं।
पहले हजार दिन अहम
बीआरडी मेडिकल कॉलेज की स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की पूर्व अध्यक्ष डॉ.रीना श्रीवास्तव का कहना है कि गर्भवती महिला का सही पोषण उसके एवं गर्भ में पल रहे शिशु के जीवन पर दूरगामी प्रभाव डालता है। गर्भावस्था में मां का संपूर्ण आहार शिशु की लंबाई पर सकारात्मक असर डालता है। संपूर्ण आहार की कमी से बच्चे में बुद्धि का विकास भी नहीं हो पाता। गर्भावस्था के दौरान महिला को प्रतिदिन के भोजन में ऑयरन एवं फोलिक एसिड सही मात्रा में लेना भी जरूरी है। महिला के गर्भधारण के बाद पहले 1000 दिन बच्चे के शुरुआती जीवन की सबसे महत्वपूर्ण अवस्था होती है। आरंभिक अवस्था में उचित पोषण नहीं मिलने से ब'चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो सकता है, जिसकी भरपाई बाद में नहीं हो पाती है।
फोलिक एसिड बेहद महत्वपूर्ण
स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ.एमडी वर्मन के अनुसार गर्भधारण से एक माह पहले मां को फोलिक एसिड की गोली का सेवन अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से स्वस्थ मस्तिष्क के साथ ब'चे का जन्म होता है। गर्भावस्था के दौरान महिला को 180 दिन तक प्रतिदिन ऑयरन एवं फोलिक एसिड की एक गोली के साथ कैल्शियम की दो गोलियां लेनी चाहिए। प्रसव के उपरांत भी 180 दिन तक प्रतिदिन ऑयरन एवं फोलिक एसिड की एक गोली के साथ कैल्शियम की दो गोलियां लेनी चाहिए। गर्भवती महिला के आहार में विविधता होनी चाहिए। इससे सभी जरूरी पोषक तत्वों की प्राप्ति हो जाती है। माता के वजन से गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य प्रभावित होता है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान निश्चित अंतराल पर गर्भवती का वजन जरूर कराना चाहिए ताकि ज्ञात हो सके कि बच्चे का विकास हो रहा है या नहीं।
महिलाओं में कुपोषण
जिला फीसद
गोरखपुर 52
देवरिया 57.1
कुशीनगर 50.6
महराजगंज 48.1
बस्ती 56.1
सिद्धार्थनगर 57.9
संतकबीरनगर 50.9
(स्रोत- नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे फोर 2015-16)