गोरखपुर, जागरण संवाददाता। एम्स व क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) द्वारा बिना लक्षण वाले मलेरिया का पता लगाया जाएगा। इनके नमूने जांच कर कारण पता करने के साथ रोकथाम के उपाय खोजे जाएंगे। अध्ययन का प्रोजेक्ट तैयार कर लिया गया है। इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च ने अनुमति प्रदान कर दी है। एम्स के ओपीडी में आने रोगियों की जांच कर ऐसे रोगियों का पता किया जा रहा है। अध्ययन तीन साल चलेगा।
बिना लक्षण वाले मिले कई मरीज
पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार के ऐसे अनेक लोग सामने आए जिनमें लक्षण नहीं थे, लेकिन उनमें मलेरिया के पैरासाइट मौजूद मिले। ऐसे रोगियों को पता नहीं होता कि वे पीड़ित हैं और उनके द्वारा समुदाय में रोग का प्रसार होता रहता है। इसका कारण ढूंढकर रोकथाम के उपाय खोजे जाएंगे। यह अध्ययन एम्स के डॉ. रमाशंकर रथ व आरएमआरसी के डॉ. गौरव द्विवेदी करेंगे। नमूनों की जांच आरएमआरसी में होगी।
पेट दर्द की शिकायत लेकर पहुंचे थे रोगी
सरकारी अस्पतालों में पेट दर्द की शिकायत लेकर ऐसे अनेक रोगी आए, जिनकी जांच करने पर पता चला कि उन्हें मलेरिया है। सरकार ने 2030 तक मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। इसके दृष्टिगत आरएमआरसी ने अनचाहे मलेरिया फैलाने वाले रोगियों की पहचान कर इसकी रोकथाम का निर्णय लिया है।
मलेरिया के लक्षण
बुखार, सिर दर्द, उल्टी, मिचली, ठंड लगना, चक्कर आना, थकान आदि मलेरिया के लक्षण हैं।
क्या कहते हैं डॉक्टर
आरएमआरसी के मीडिया प्रभारी डॉ. अशोक पांडेय ने बताया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश व पश्चिमी बिहार के अनेक रोगियों में मलेरिया था, लेकिन उनमें कोई लक्षण नहीं थे। एम्स व बीआरडी मेडकल कालेज में इनमें से ज्यादातर रोगी पेट दर्द की शिकायत लेकर आए थे। उनकी जांच की गई तो मलेरिया पाजिटिव मिले। कई बार ऐसा होता है कि मलेरिया के पैरासाइट शरीर में मौजूद होते हैं। वह लिवर में 10 साल तक पड़े रहते हैं, लेकिन रोगी में कोई लक्षण नहीं होता। ऐसे लोग मलेरिया के वाहक होते हैं, उनके माध्यम से यह रोग फैलता रहता है। इस अध्ययन से इसके कारण पता कर रोकथाम के उपाय खोजे जाएंगे।