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Coronavirus से जंग में कारगर साबित हुईं सस्‍ती दवाएं Gorakhpur News

BRD मेडिकल कॉलेज में भर्ती कोरोना संक्रमितों को ठीक करने में सस्ता इलाज कारगर साबित हुआ है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 11:52 AM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 09:24 PM (IST)
Coronavirus से जंग में कारगर साबित हुईं सस्‍ती दवाएं Gorakhpur News
Coronavirus से जंग में कारगर साबित हुईं सस्‍ती दवाएं Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कोरोना संक्रमितों को ठीक करने में सस्ता इलाज कारगर साबित हुआ है। जिले में अब तक 11 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं। इनमें ज्यादातर मरीज केवल पैरासिटामाल के इस्तेमाल से ठीक हो गए। मरीजों को ठीक करने में गर्म पानी, डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टॉफ की सतर्कता की भी बड़ी भूमिका रही।

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ज्यादातर मरीज पैरासिटामाल या खानपान से हो गए स्वस्थ

हाटा बुजुर्ग के पहले कोरोना संक्रमित को हार्ट व सुगर की समस्या थी, इसलिए उन्हें ठीक होने में एक माह लगा। मेडिकल कालेज के साथ रेलवे अस्पताल में 46 मरीज भर्ती हैं। रेलवे अस्पताल में अभी तीन दिन पहले से भर्ती शुरू हुई है। मेडिकल कालेज में भर्ती ऐसे मरीज, जिन्हें हार्ट या किडनी की दिक्कत है, को छोड़ शेष मरीज सस्ती दवाइयों से ठीक होकर मात्र 14 दिन में घर जा चुके हैं। कुछ मरीजों को हाईड्राक्सीक्लोरोक्वीन व एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन दवाएं भी दी गईं। जिनकी कीमत क्रमश: छह रुपये व 25 रुपये है।

एक मरीज के एक खुराक पर महज 25-30 रुपये का खर्च आया है। जिनमें संक्रमण ज्यादा था, केवल उन्हें ही एंटीबायोटिक दी गई। जिन मरीजों में लक्षण नहीं थे, वे गर्म पानी व खान-पान से ही ठीक हो गए। अभी तक केवल एक मरीज को ऑक्सीजन लगाने की जरूरत पड़ी है।  - डॉ. गणेश कुमार, प्राचार्य, बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर।

लॉकडाउन ने आधा किया दवा का कारोबार

सरकार की मंशा तो थी कि लॉकडाउन में मरीजों को दवा की कमी न हो। लेकिन, अफसरों की अनदेखी ने मुसीबत बढ़ा दी। मरीज दुकानों तक नहीं पहुंच पाए, जो पहुंचे उनको सभी दवाएं नहीं मिलीं। फुटकर दुकानदारों का भी यही दर्द रहा। सख्ती के कारण किसी तरह थोक मंडी पहुंचे तो कुछ दवाएं मिलीं, कुछ की कमी बताई गई। असर सीधा दवाओं की बिक्री पर पड़ा। पूर्वांचल के थोक बाजार गोरखपुर के भालोटिया मार्केट में जहां रोजाना का कारोबार करीब सात से आठ करोड़ की दवाओं का होता था,वहां घटकर साढ़े तीन से चार करोड़ तक आ गया। करीब 16 सौ दुकानों वाली दवा की इस थोक मंडी में गोरखपुर ही नहीं, आसपास के जिलों के साथ नेपाल के सीमाई इलाकों व पश्चिमी बिहार के भी व्यापारी पहुंचते हैं। लेकिन लॉकडाउन ने यहां की पूरी तस्वीर बदल दी। 


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