Coronavirus lockdown : 'लॉक' हुए वाहन तो 'डाउन' हुआ 'प्रदूषण', सांस के मरीजों को मिला सुकून Gorakhpur News
Coronavirus lockdown लॉकडाउन से थमी जीवन की भागदौड़ ने अगर किसी को सर्वाधिक फायदा पहुंचाया है तो वह हैं सांस के रोगी। प्रदूषण से आजाद हवा में ये रोगी सुकून की सांस ले रहे हैं।
गोरखपुर, डॉ. राकेश राय। लॉकडाउन से थमी जीवन की भागदौड़ ने अगर किसी को सर्वाधिक फायदा पहुंचाया है तो वह हैं सांस के रोगी। प्रदूषण से आजाद हवा में ये रोगी सुकून की सांस ले रहे हैं। इसकी तस्दीक शहर के वर्तमान एक्यूआइ (एयर क्वालिटी इंडेक्स) आंकड़े से ही से नहीं, सांस की रोगियों और चिकित्सकों के बयान से भी हो रही है।
घटकर इस स्तर पर आया प्रदूषण
बीते एक सप्ताह के एक्यूआइ के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो वह 100 से 50 माइक्रोग्राम घनमीटर के बीच सिमट कर रह गया है, जबकि लॉकडाउन से पहले यह आंकड़ा ज्यादातर 200 के करीब रहता था। गोरखपुर इन्वायरमेंटल एक्शन ग्रुप की ओर से पर्यावरण की वर्तमान स्थिति पर अध्ययन करने वाले मौसम विशेषज्ञ और पर्यावरणविद् कैलाश पांडेय ने बताया कि आमतौर होली के बाद धूल भरी हवाओं के चलते एक्यूआइ बढ़ता है लेकिन इस बार यह स्थिति नहीं है। इससे साबित हुआ है कि एक्यूआइ के बढऩे के जिम्मेदार पूरी तरह से हमारी गतिविधियां हैं।
मरीजों को मिली राहत
बीते एक दशक से सांस के रोगी बशारतपुर के शिवाकांत तिवारी बताते हैं कि उन्हें प्रतिदिन इन्हेलर लेना पड़ता था पर बीते एक सप्ताह से इसकी जरूरत ही नहीं पड़ी। बेतियाहाता के शिवचरण गौड़ तो इस विश्वास की ओर बढ़ते नजर आए कि उनकी सांस की दिक्कत हमेशा के लिए दूर हो गई।
नहीं चले वाहन तो नियंत्रण में आया एक्यूआइ
गोरखपुर विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के अध्यक्ष और पर्यावरणविद् प्रो. शांतनु रस्तोगी का कहना है कि गोरखपुर शहर और इसके आसपास के क्षेत्र के वातावरण में पिछले कुछ वर्षो में ब्लैक कार्बन की मात्रा तेजी से बढ़ी है। इसकी बड़ी वजह वाहनों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी है। चूंकि लॉकडाउन की वजह से वाहन नहीं चले हैं, इसलिए एक्यूआइ नियंत्रण में आ गया है।
सांस की रोग की 80 फीसद वजह वायु प्रदूषण है। चूंकि प्रदूषण का स्तर गिरा है, इसलिए रोगियों की शिकायत भी दूर हुई है। जब लॉकडाउन हुआ तो मुझे सांस के रोगियों को लेकर चिंता हुई क्योंकि उन्हें निरंतर हमारे संपर्क में रहना होना होता है। खुशी की बात यह है कि चिंता वाले ज्यादातर मरीजों की दिक्कत कम होने की सूचना फोन के माध्यम से मिल रही है। निश्चित रूप से इसकी वजह एक्यूआइ का नियंत्रित होना है। - डॉ. अश्वनी मिश्रा, सहायक आचार्य, टीबी व चेस्ट रोग विभाग, मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर
बीते एक सप्ताह में शहर का एक्यूआइ
तिथि एक्यूआइ
31 मार्च 76
30 मार्च 59
29 मार्च 59
28 मार्च 64
27 मार्च 70
26 मार्च 68
25 मार्च 105