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छोटी सी फलक और इतना बड़ा काम, पहुंच गई पुलिस के पास

वह करीब साढ़े तीन साल की बच्ची है। वह पुलिस चौकी में पहुंच गई। उसने अपनी मां की शिकायत की। पुलिस ने पहुंचकर फलक की मां को समझाया।

By Edited By: Published: Thu, 20 Dec 2018 08:34 AM (IST)Updated: Thu, 20 Dec 2018 09:50 AM (IST)
छोटी सी फलक और इतना बड़ा काम, पहुंच गई पुलिस के पास
छोटी सी फलक और इतना बड़ा काम, पहुंच गई पुलिस के पास
गोरखपुर, जेएनएन। मां द्वारा छोटे भाई को ज्यादा प्यार करने से नाराज साढ़े तीन वर्षीय फलक का गुस्सा अब भी बरकरार है। सोमवार को संतकबीर नगर जिले के खलीलाबाद कोतवाली क्षेत्र के पचपोखरी पुलिस चौकी पर पहुंचकर उसने इस संबंध में अपनी शिकायत भी दर्ज कराई थी। फलक का कहना है कि उसकी अम्मी उसके भाई का अधिक ध्यान रखती हैं। पुलिस चौकी प्रभारी जितेंद्र कुमार यादव जब बुधवार को फिर उसके घर पहुंचे तो उसने भाई की ओर दिखाते हुए कहा कि बाबू को स्वेटर पहना रखा है, मुझे नहीं।
बाद में फलक के कहने पर चौकी प्रभारी ने उसे स्वेटर भी खरीद कर दी। घर से कुछ ही दूरी पर बने मदरसे में फलक एलकेजी में पढ़ाई कर रही है। सोमवार देर शाम पहुंची थी पुलिस के पास पचपोखरी कस्बे की रहने वाली करीब साढ़े तीन वर्षीय फलक अपनी मां से नाराज होकर चौकी पर पहुंच गई। उसके घर से पुलिस चौकी की दूरी लगभग तीन सौ मीटर की दूरी पर है। रास्ते में उसने किसी महिला से पूछा कि पुलिस का घर कहां हैं। इस तरह वह पूछते हुए वहां पहुंच गई। चौकी प्रभारी जितेंद्र कुमार यादव ने बताया कि शाम को जब बच्ची पहुंची तो उसने बताया कि उसकी मां उसे पुआल पर सुलाती हैं। छोटे भाई को ज्यादा प्यार करती हैं। यही नहीं उसे स्कूल भी नहीं भेजती।
आप चलकर मेरी अम्मी को डांट दीजिए। चौकी प्रभारी कुछ ग्रामीणों के साथ उसको लेकर घर गए। यहां उन्होंने फलक के पिता मकसूद खान उर्फ कलर और फलक की मां आसमां खातून से पूछताछ की। दोनों ने बताया कि बेटे की अधिक देखरेख से वह गुस्साती रहती है। आसमां ने कहा कि फलक उससे शिकायत करती रहती है कि आप बाबू को क्यों ज्यादा प्यार करती हैं। बाद में चौकी प्रभारी बच्ची को परिवार कोसुपुर्द कर वापस आ गए। पास के मदरसे में पढ़ती है फलक घर के पास ही स्थित जामिया अरबिया मदरतलूम में फलक एलकेजी में पढ़ती है। मदरसे के अध्यापक इमामुद्दीन ने बताया कि फलक करीब दो महीने से उनके यहां आ रही है। चूंकि बच्ची अभी छोटी है, इसलिए इसका नाम जुलाई में लिखा जाएगा। इसके पिता इसे लेकर आते हैं।
बुधवार को ग्यारहवीं शरीफ होने के कारण मदरसे में छुट्टी थी। पिता हैं मजदूर फलक के पिता मकसूद खान ने बताया कि वह मजदूरी का काम करता है। बीच-बीच में रोजगार के लिए मुंबई भी आता-जाता रहता है। पचपोखरी में ही वह रहकर परिवार की परवरिश करता है। फलक पहले बस्ती में अपने नानी के घर रहती थी। जब वह यहां आई तो उसका दाखिला मरदसे में करा दिया गया है। बेटे की अधिक देखरेख से वह नाराज रहती है। अपनी बातों से कर लिया सबको मुरीद फलक की मजेदार बातों के सब मुरीद है। सोमवार को पुलिस के पास पहुंचने के बाद से ही वह जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर बसे इस कस्बे में चर्चा का विषय बन गई है। अपनी बातों से वह लुभा लेती है।
पुलिस के पास जाने की बात पर उसने बताया कि उसे पता है कि पुलिस सब काम कर देती है। इसलिए वह पुलिस के पास गई थी। अम्मी नहीं करतीं प्यार, अब्बू और दादी करते हैं प्यार फलक ने बताया कि अम्मी बाबू को अधिक प्यार करतीं हैं। जबकि अब्बू और दादी उसका ज्यादा ध्यान रखते हैं। उसने अपना टीशर्ट दिखाते हुए कहाकि बाबू को स्वेटर पहना रखा है, मुझे टी शर्ट।
चौकी प्रभारी ने फलक के लिए खरीदी स्वेटर बुधवार को चौकी प्रभारी पुन: फलक के घर गए। जब वह घर से बाहर निकले तो फलक पीछे-पीछे भागती हुई आई और कहने लगी अंकल मुझे स्वेटर दिला दीजिए। उसके बा दचौकी प्रभारी ने कस्बे की एक दुकान से स्वेटर खरीदकर उसे दे दी। परिवार वालों को दी गई है हिदायत चौकी प्रभारी जितेंद्र कुमार यादव ने बताया कि सोमवार को फलक उनके पास आई थी। उन्होंने माता-पिता को समझाया कि बच्ची की ठीक से देखभाल करें। वह प्यारी बच्ची है। परिवार के लोगों को हिदायत दी गई है कि बच्ची को स्कूल जरूर भेजें।

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