गोरखपुर में सीरियल ब्लास्ट करने वालेे आतंकी तारिक काजमी को उम्रकैद, जानें-कहां-कहां किया था बिस्फोट Gorakhpur News
22 मई 2007 को शाम करीब सात बजे वह बलदेव प्लाजा पर मौजूद थे। उसी समय जलकल बिल्डिंग की तरफ से एक विस्फोट की आवाज सुनाई दी जिससे भगदड़ मच गई। इसी बीच दूसरा विस्फोट बलदेव प्लाजा पेट्रोल पम्प के बगल में हुआ।
गोरखपुर, जेएनएन। शहर के पाश इलाके गोलघर में 22 मई 2007 को हुए सीरियल बम ब्लास्ट के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश नरेंद्र कुमार सिंह ने आजमगढ़ के रानी की सहाय थाना क्षेत्र के ग्राम शंभूपुर निवासी अभियुक्त तारिक काजमी को आजीवन कारावास एवं दो लाख 15 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड न देने पर अभियुक्त को चार साल पांच माह की सजा अलग से भुगतनी होगी।
राजेश राठौर ने दर्ज कराया था मुकदमा
अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि इस मामले में मोहद्दीपुर निवासी राजेश राठौर ने कैंट थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने बताया था कि वह बलदेव प्लाजा पेट्रोल पम्प के निकट सरस्वती एजेंसी में बतौर सेल्समैन का काम करते हैं।
साइकिल में टंगे झोले में रखे हुए थे बम, यहां यहां हुआ विस्फोट
22 मई 2007 को शाम करीब सात बजे वह बलदेव प्लाजा पर मौजूद थे। उसी समय जलकल बिल्डिंग की तरफ से एक विस्फोट की आवाज सुनाई दी, जिससे भगदड़ मच गई। इसी बीच दूसरा विस्फोट बलदेव प्लाजा पेट्रोल पम्प के बगल में साईकिल में टंगे झोले में रखे हुए बम के कारण हुआ। अफरा तफरी के बीच दुकानें बंद होने लगी थीं कि तीसरा विस्फोट गणेश चौराहे पर हो गया। इसकी सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और विस्फोट वाले स्थानों से भीड़ को हटाने लगी।
विवेचना के दौरान पकड़ में आया तारिक काजमी
दौरान विवेचना बम के अवशेष, अभियुक्तों के फोटो स्केच तथा अन्य सबूतों के आधार पर तारिक काजमी का नाम प्रकाश में आया। विवेचक ने अभियुक्त के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया। उन्हीं आरोप पत्रों का अवलोकन करने के पश्चात उसे सजा सुनाई गई है।
इस धारा में सुनाई गई यह सजा
विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 3/4 के तहत आजीवन कारावास।
विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 5 के तहत 10 साल की सजा।
हत्या के प्रयास की धारा 307 में 10 साल की सजा।
सेवन क्रिमिनल ला अमेडमेंट एक्ट के तहत तीन साल की सजा।
विधि विरुद्ध क्रियाकलाप अधिनियम की धारा 16 व 18 में 10 साल की सजा।
विधि विरुद्ध क्रियाकलाप की धारा 23 के तहत पांच साल की सजा।