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स्‍मृति शेष : गोरखपीठाधीश्‍वर महंत अवेद्यनाथ में थी लालजी टंडन की अगाध श्रद्धा Gorakhpur News

स्‍मृति शेष भाजपा की वरिष्‍ठ नेता व मध्‍य प्रदेश के राज्‍यपाल रहे लालजी टंडन की गोरखपीठाधीश्‍वर महंत अवेद्यनाथ में अगाध श्रद्धा थी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 11:01 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 01:40 PM (IST)
स्‍मृति शेष : गोरखपीठाधीश्‍वर महंत अवेद्यनाथ में थी लालजी टंडन की अगाध श्रद्धा Gorakhpur News
स्‍मृति शेष : गोरखपीठाधीश्‍वर महंत अवेद्यनाथ में थी लालजी टंडन की अगाध श्रद्धा Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन के निधन की सूचना जब गोरखनाथ मंदिर पहुंची तो मंदिर से जुड़े उन लोगों में शोक की लहर दौड़ गई, जो नाथ पीठ और स्व. टंडन के  गहरे रिश्ते को जानते और महसूस करते थे। मंदिर के सचिव द्वारिका तिवारी पूरे दिन उनके ऐसे संस्मरणों को लोगों से साझा करते रहेे।

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गोरखनाथ मंदिर अक्‍सर होता था आना जाना

मंदिर सचिव ने बताया कि स्व. लालजी टंडन की बड़े महाराज यानी ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ में अगाध श्रद्धा थी। उनके ब्रह्मलीन होने से पहले जब भी वह गोरखपुर आए, बड़े महाराज का आशीर्वाद लेने मंदिर जरूर पहुंचे। टंडन के अंतिम बार मंदिर आने के सवाल पर द्वारिका तिवारी भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि जब बड़े महराज की सेहत खराब थी, तो 10 अप्रैल 2012 को टंडन उन्हें देखने गोरखनाथ मंदिर पहुंचे थे। तबीयत ठीक न होने के बावजूद बड़े महाराज उनसे देर तक श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की योजना और उसे लेकर अपनी चिंता पर चर्चा करते रहे। उस मुलाकात की कैमरे में तस्वीर कैद करने वाले मंदिर के मीडिया प्रभारी विनय गौतम बताते हैं कि बातचीत के लहजे से बड़े महराज और उनकी अंतरंगता का अंदाजा कोई भी लगा सकता था।

श्रद्धांजलि सभा में आशुतोष टंडन के साथ पहुंचे थे

मंदिर सचिव के मुताबिक  टंडन अंतिम बार 21 सितंबर 2014 को बड़े महाराज की श्रद्धांजलि सभा में अपने पुत्र आशुतोष टंडन के साथ श्रद्धा सुमन अर्पित करने पहुंचे थे। बड़े महाराज के समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि देने के बाद व बेहद भावुक हो गए और उन्होंने नाथ पीठ और अपने रिश्ते को मीडिया से साझा किया। बताया कि गोरखनाथ मंदिर में उनके आने का सिलसिला जनसंघ के जमाने से शुरू हुआ था। उन्होंने इसे लेकर विश्वास जताया था कि महंत जी की इच्‍छा के मुताबिक एक न एक दिन जन्मभूमि पर श्रीराम का भव्य मंदिर जरूर होगा। द्वारिका तिवारी बताते हैं कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से भी टंडन का बेहद करीबी रिश्ता था।

कार्यकर्ताओं के लिए समर्पित थे टंडन : शिव प्रताप

पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्यसभा के सदस्य और राज्यसभा के मुख्य सचेतक शिव प्रताप शुक्ल ने मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन के निधन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। उनसे जुड़े अपने संस्मरणों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि उनका सहयोगी और मिलनसार स्वभाव हमेशा याद किया जाएगा। कार्यकर्ता का काम उनकी प्राथमिकता में था। यही वजह थी कार्यकर्ताओं में वह लोकप्रिय रहे।

भाजपाइयों ने दी श्रद्धांजलि

भाजपा नेताओं ने ऑनलाइन शोक सभाओं का आयोजन किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। सबने एक स्वर से इसे पार्टी की अपूरणीय क्षति बताया। सदर सांसद रवि किशन ने कहा कि टंडन मृदुभाषी, शालीन जमीन से जुड़े से नेता तो थे ही, पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता भी थे। महापौर सीताराम जायसवाल ने कहा कि टंडन हमेशा भारतीय जनता पार्टी के आम कार्यकर्ता की तरह रहे। वह सभी कार्यकर्ताओं के लिए सहज उपलब्ध रहे। वह शिष्ट राजनीति और मर्यादा के प्रतीक थे। शोक व्यक्त करने वालों क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह, प्रदेश मंत्री कामेश्वर सिंह, जिलाध्यक्ष युधिष्ठिर सिंह, महानगर अध्यक्ष राजेश गुप्ता, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र सिन्हा, महानगर उपाध्यक्ष बृजेश मणि मिश्र, प्रदेश कार्य समिति सदस्य रमेश सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष जनार्दन तिवारी, पूर्व महानगर अध्यक्ष राहुल श्रीवास्तव, विधायक फतेह बहादुर सिंह, शीतल पांडेय, संत प्रसाद, डॉ. विमलेश पासवान, संगीता यादव, महेंद्र पाल ङ्क्षसह, रमाकांत निषाद, डॉ. विभ्राट चंद कौशिक, अश्वनी त्रिपाठी, महंत सिंह, राधेश्याम सिंह, पूर्व मंत्री राजेश त्रिपाठी, क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी बृजेश राम त्रिपाठी, विश्वजीताशु सिंह आशु, केएम मझवार, सत्यम साहनी, इंद्र कुमार निगम आदि शामिल रहे।

स्व. टंडन की मौजूदगी में ली महापौर पद की शपथ: अंजू चौधरी

राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अंजू चौधरी ने मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उनसे जुड़े संस्मरणों को  साझा किया। उन्होंने बताया कि 17 नवंबर 2006 को जब उन्होंने महापौर पद की शपथ ली थी तो उस दौरान ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के साथ स्व. टंडन नगर विकास मंत्री के तौर पर मंच पर मौजूद थे। टंडन से उनका पुराना पारिवारिक जुड़ाव था, इसलिए हमेशा मार्गदर्शन प्राप्त होता रहा। यही वजह है कि अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने ज्येष्ठ पुत्र अरविंद विक्रम चौधरी को भेजा है।  


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