ज्ञानशील व्यक्ति स्वार्थ से ऊपर उठकर बनाता संबंध
बौद्धिक क्षमता के उपयोग और दुरुपयोग के लिए मनुष्य खुद जिम्मेदार स्वार्थी लोगों के न स्थाई शत्रु होते हैं और न ही स्थाई मित्र
जागरण संवाददाता, बस्ती: मनुष्य के पास ज्ञान और विवेक दोनों हैं। ज्ञानशील व्यक्ति स्वार्थ से ऊपर उठकर संबंध बनाते हैं। मनुष्य में सभी तरह के फैसला लेने की क्षमता है। चाहे सही हो या गलत। यह संबंधित व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह किस तरह का फैसला ले रहा है। अपनी बौद्धिक क्षमता के उपयोग और दुरुपयोग के लिए मनुष्य खुद जिम्मेदार है।
यह विचार यूनिक साइंस एकेडमी के प्रधानाचार्य राजेश श्रीवास्तव ने व्यक्त किया। उन्होंने दैनिक जागरण के संस्कारशाला कार्यक्रम के तहत स्वार्थ से दूर विषय पर कहा कि मनुष्य को सामाजिक प्राणी का दर्जा मिला है। इसलिए मनुष्य सामाजिकता अपनाने और उसी तरह से व्यवहार करने के लिए बाध्य रहता है। लेकिन अधिकांश लोगों के बारे में आमधारणा स्वार्थी होने या नाकाबिल होने की होती है। जहां कहीं हमारे काम और स्वार्थ आ जाते हैं, वहां हम सारी दूरियां भुलाकर भी संबंधों को जोड़ लेते हैं। एक-दूसरे को अपना बनाते हुए साथ चल पड़ते हैं। अक्सर रिश्ते भी स्वार्थ देखकर निभाए जाते हैं। स्वार्थ सिद्ध होने के बाद फिर वहीं रिश्ते टूट भी जाते है। स्वार्थी मनुष्य का जीवन इसी तरह की कार्यशैली में बीत जाता है। उन्हें कभी सच्चे रिश्तों के मायने नहीं पता होते। सिर्फ काम के वक्त ही रिश्ते याद आते है। ऐसे लोग अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए कुछ भी कर सकते हैं। यह चलन समाज के लिए अभिशाप है। बिना स्वार्थ के बनाए गए रिश्ते अटूट और यादगार होते हैं। जैसे दो बचपन के दोस्त यदि संपर्क में हैं तो अंतिम समय तक एक जैसा प्रेम भाव बना रहता है। स्वार्थी लोगों के न तो स्थाई शत्रु होते हैं और न ही मित्र। स्वार्थ के हिसाब से यह लोग अपने जीवन का पैमाना बदलते रहते है। कटु अनुभवों से सीख लेकर और सुनहरी स्मृतियों को अपनी मुस्कान बनाकर आगे बढ़ना ही सफलता का मूल मंत्र है। सच्चा संबंध वहीं है जो सुख और दुख दोनों समय साथ रहे। यदि आपके पास ऐसे एक-दो भी मित्र हैं तो जीवन सफल समझिए।